October 29, 2017
October 11, 2017
#मधुकर कहिन: यूँ तो आज एअरपोर्ट के उदघाटन के साथ ही शहर यह मान कर बैठ गया है की एअरपोर्ट शुरू हो गया है लेकिन शायद इस शहर की भोली भाली जनता को यह पता नहीं है की कई ऐसे भी एअरपोर्ट तैयार और उद्घाटित हुए पड़े हुए हैं जो राजनेताओं के वादों को पूरा करने के लिए शुरू तो कर दिए गए लेकिन फिर विमानों में सीटें खाली रहने की वजह से बंद भी कर दिए गए | कुछ तो ऐसे भी है जिन पर बस उदघाटन का फीता काटने के पश्चात आज तक कोई विमान नहीं उतर पाया है क्यूंकि आर्थिक के अलावा और भी कई परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है या कह लीजिये की उत्पन्न कर दी जाती है ताकि मुद्दे को और ज़रा लंबा खींचा जा सके | राजनेताओं और राजनीति की परम्परा रही है की कर्म कोई करे और फल किसी और को मिले | लेकिन यहाँ तो जनता ने सीधे सीधे मान और ठान रखा है की यह एअरपोर्ट केवल और केवल पूर्व सांसद सचिन पायलट की देंन है |और बात में दम भी बहुत है वर्ना क्या मजाल थी किसी की की पांच पांच बार सांसद रहते हुए भी सचिन पायलट के आने से पहले तक एअरपोर्ट के मुद्दे पर राजनीति के सिवा कुछ और काम किया हो |
September 9, 2017
#मधुकर कहिन: बेशक वर्ष 1993 में हुए मुंबई बम विस्फोट कांड में कानून के हाथ धीरे-धीरे अपराधियों तक पहुंच रहे हैं, लेकिन यह सवाल हमारे सामने है कि 24 साल बाद न्यायिक प्रक्रिया का इस मुकाम तक पहुंचना कितने संतोष की बात हो सकता है? इस सामूहिक हत्याकांड के प्रमुख षड्यंत्रकारियों में से एक याकूब मेमन को सवा दो साल पहले फांसी दी गई थी। अब मुंबई के टाडा (आतंकवादी एवं विध्वंसकारी गतिविधि निरोधक कानून) कोर्ट ने दो और प्रमुख अपराधियों (ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान) को सजा-ए-मौत सुनाई है। लेकिन मुंबई में अलग-अलग जगहों पर बम रखने की साजिश में दूसरे कई लोगों को शामिल करने और हमले के लिए सामान जुटाने वाला प्रमुख मुजरिम अबू सलेम कठोरतम सजा पाने से बच गया है। दरअसल, सलेम हमारी सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देते हुए भागकर पुर्तगाल चला गया था। वहां से उसका प्रत्यर्पण उसकी जिंदगी की गारंटी बन गया। यूरोपीय मानवाधिकार संधि के तहत पुर्तगाल ने उसे भारत को सौंपने के पहले मृत्युदंड ना देने की शर्त लगा दी। भारत उस शर्त से बंधा हुआ है। लेकिन इस कांड में मृत्युदंड पाने वाले दूसरे अपराधी इसे जरूर एक विसंगित के रूप में देखेंगे। टाडा कोर्ट ने अबू सलेम और करीमुल्लाह शेख को उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक अन्य मुजरिम रियाज सिद्दीकी को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है।
August 24, 2017
June 22, 2017
#मधुकर कहिन: इसे अजमेर के लोगों का दुर्भागय ही कहेंगे। राजस्थान सरकार में अजमेर से दो विधायक मंत्री हैं। लोकसभा और राज्य सभा में सांसद भी अजमेर से है। इन सबके बावजूद शहर के कई हिस्सों के लोग पानी को तरस रहे हैं। इसे राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी या फिर जनता के प्रति संवेदनहीनता नहीं तो और क्या कहेंगे। शहर के कई हिस्सों में पिछले तीन दिनों से पानी की सामान्य सप्लाई नहीं हो रही है। लोगों को निजी स्तर पर पानी के टेंकर मंगवाकर अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। पानी टेंकरों की मनमानी भी लोगों को भारी पड़ रही है। जलदाय विभाग पूरी तरह नाकाम सा साबित हो रहा है।
June 7, 2017
#मधुकर कहिन: इन दिनों जिस तरफ देखो सभी ओर से हाईवे पर दुर्घटनाओं की जैसे बाड़ सी आ गयी है |सारे सोशल मीडिया पर चाहे वह फेसबुक हो या वाट्स अप्प या रोज़ सुबह आने वाला अखबार , हर रोज़ औसतन दो या चार ख़बरें पढ़ने को मिल जाती है की भीषण सड़क दुर्घटना में लोगों की तत्काल मृत्यु हो गयी | अब यह घटनाएं चाहे कहीं की भी हो या चाहे कितने भी लोग काल का ग्रास बन गए हो इन सभी दुर्घटनाओं में एक चीज़ सामान है और वह है भारी वाहन जैसे ट्रक ,ट्रोला ,डम्पर इत्यादि | माना अन्धेरा बहुत घना है पर दिया जलाना कहाँ मना है ... जय श्री कृष्णा
May 31, 2017
#मधुकर कहिन: दरअसल कांग्रेस का आंतरिक ढांचा उनके युवराज के कुशल नेतृत्व में प्रयोग कर कर के इतना कमज़ोर हो चला है की अब यह अपने सेकुलरिज्म के मूल सिद्धांत से ही भटक गया है | जिसको जैसे समझ आ रहा है वो वैसे परिस्थिति के हिसाब से कांग्रेस के मूल सिधान्तों की बलि खुले आम चढा देता है | इसका एक ताज़ा उदाहरण है अजमेर शहर कांग्रेस कमिटी द्वारा महराणा प्रताप जयंती मनाना | यह सचमुच पहली बार हुआ है की शहर कांग्रेस को महराणा प्रताप याद आये | जबकि सालो साल कांग्रेस में अपना योगदान दे चुके लोग अब तक इस सदमे से नहीं निकल पा रहे की ये क्या था ...?.इधर जाऊं या उधर जाऊं बड़ी मुश्किल में हूँ किधर जाऊं ... वैसे तो यह पंक्तियाँ किसी गुमनाम शायर की अनमोल धरोहर हैं लेकिन आज कल यह देश की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर बिलकुल फिट बैठ रही है | मतलब कुछ भी .... हद हो चुकी है किसी बात की | राजनीति के चलते एक तरफ तो युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता केरल में एक प्रदर्शन के दौरान गौमांस खाते है और प्रदर्शन करते है और वहीँ दूसरी ओर अजमेर में हिन्दू सम्राट महाराणा प्रताप की जयंती मनाने पहुँच जाते है | जैसे जनता और आम बुधीजिवी वर्ग तो बेवकूफ ही है और ये समझ नहीं पायेगा की यह लोग आखिर चाहते क्या हैं ? जवाब एक दम साफ़ है भाई ,और वह है सत्ता और केवल सत्ता | दरअसल नेता जात के ही कोई ईमान धरम नहीं है इस दुनिया में | भाजपा को ही देख लीजिये | जीवन भर भाजपा की सेवा करने वाला और भाजपा को भगवान् राम से जोड़ने वाला व्यक्ति जब अपनी सोच के दम पर भाजपा को सत्ता के द्वार पर लाकर खडा कर देता है तो उसी का वरिष्ठतम शिष्य उसे धीरे धीरे परास्त करता हुआ ऐसे कगार पर ले आता है की वह भले ही वह खुद देश का प्रधान मंत्री बन जाए लेकिन अपने गुरु को बजाये देश का राष्ट्रपति बनाने के बस जेल न जाने देने की शर्त पर ही अपनी गुरु दक्षिणा की इति श्री कर लेता है | कांग्रेस में भी प्रदेश स्तर पर हालात कुछ ठीक नहीं हैं | यहाँ भी इन दिनों कुछ भी ... होता हुआ दिखाई दे रहा है | गौरतलब है की राजस्थान प्रदेश कांग्रेस को इतने वर्षों से जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल कर चलाया है वही अभी का प्रदेश नेतृत्व बस केंद्र में बैठे कांग्रेस युवराज का थोपा हुआ ही साबित होता नज़र आ रहा है | राजस्थान प्रदेश की आज की कांग्रेस में न तो वरिष्ठ और कनिष्ठ की समझ दिखाई देती है न ही कोई चमत्कारिक बात जिस से जनता झट से आंदोलित हो कर आगामी चुनाव में कांग्रेस को वोट दे बैठेगी | बस युवराज और उनके प्रिय राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष की आँखें मूँद कर जय जय कार करने वालों की भीड़ जमा है , जिनका विवेक उनको सच कहने की हिम्मत नहीं दे पा रहा है की दरअसल .... वर्तमान कर्णधार के पास न तो कोई जनाधार है ना ही राष्ट्रीय नेतृत्व को दी जाने वाली कोई सूची जिस से वह खुद पूर्ण रूप से आगामी चुनाव में जीत को लेकर संतुष्ट हों | कहने का मतबल यह है भैया की पूर्व मुख्यमंत्री के पास भी शायद तकरीबन 200 विधानसभा सीटों पर लगभग 300 से 350 मजबूत उम्मीदवार बचे हों जो सीना ठोक कर कह सकते हों की - हाँ हम साहब के आदमी हैं | |वर्तमान प्रदेषाध्यक्ष के पास तो ऐसे जांबाज लोगों का इस वक़्त टोटा ही नज़र आ रहा है | उनका स्कोर बोर्ड नहीं लगता की 120 मजबूत खिलाड़ियों से ज्यादा होगा| और होगा भी तो वह सब कौनसा उनके साथ लम्बा जुड़े रहेंगे | | सो अपन इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं की ..... अपनेु मूल सिधान्तो से भटकी हुई कांग्रेस का अब इस देश में बहुत ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है | जल्द ही हम लोग कहते सुनेंगे लोगों को की एक थी कांग्रेस .... कोई इंसान नेतानागरी के वास्ते पशु नर एक समान ... श्री कृष्णं शरणम ममः
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