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October 29, 2017
मध्यवर्ती लोकसभा चुनाव की तैयारी में पिछड़ रही है कांग्रेस
नरेश राघानी
मध्यवर्ती लोक सभा चुनाव का समय सिर पर है ।सभी पार्टियों ने गुप्त रूप से लगभग अपने उम्मीदवार तय कर लिया है। दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं।किन लोगों की मदद से कैसे वोट लेने हैं और कितने वोट लेने हैं इस पर गंभीर विचार विमर्श दोनों दलों कांग्रेस और भाजपा में चल रहा है । भाजपा देहात अध्यक्ष बी पी सारस्वत ने एक बयान जारी कर कर कहा की सारी मतदाता सूची के हर पन्ने पर एक पन्ना प्रमुख नियुक्त करने की कवायद जारी है। जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ उस पेज पर छपे हुए मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में वोट डलवाने की होगी। सचमुच यह सुनने में बिल्कुल एक सटीक और अभेद्य रणनीति नजर आ रही है । संगठनात्मक ढांचे में सबसे छोटी इकाई बूथ के बाद आगे का विस्तार सोच पाना भाजपा और राष्ट्र संरक्षण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन के ही बस का है ।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस है जो कि पूरा माहौल कांग्रेस के पक्ष में होने के बावजूद भी अपने आप को जीत हुआ मानकर तैयारियों में पिछड़ती नजर आ रही है । इसके प्रमुख कारण हमेशा की तरह आंतरिक गुटबाजी और आपसी वैमनस्य नजर आ रहे हैं ।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन पर डीसीसी की कार्यकारिणी घोषित होने के बाद जैसे चार गुना भार पढ़ गया है , जिसका प्रमुख कारण यह है की सभी ब्लॉक अध्यक्षों को उच्च पदों पर ले लिया गया है और नवीन ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। यानि कि विजय नागौरा आरिफ हुसैन और अशोक बिंदल तीनो ही ब्लॉक अध्यक्ष के साथ-साथ महासचिव पद पर भी आसीन है । खुद का प्रमोशन हो जाने के बाद कार्य के प्रति उदासीन नजर आते हैं। हालात तब और गंभीर दिखाई देते हैं जब ब्लाक कार्यकारिणी और वार्ड कार्यकारिणी तक की सूचियां डीसीसी अध्यक्ष को बनानी पड़ रही हैं ।बूथ इकाइयों के गठन की प्रक्रिया भी धीमी नजर आ रही है। क्योंकि अजमेर उत्तर और दक्षिण वुधान सभा क्षेत्र जो कि शहर कांग्रेस के अधीन आते हैं ,दोनों में ही ऐसे मजबूत नेता जो कि अशोक गहलोत के जमाने से पार्टी का काम संभालते आये हैं और चुनाव भी लड़ते आये हैं ,सभी ने अप्रत्यक्ष रुप से किनारा कर रखा है या सचिन पायलट द्वारा किनारे लगा दिए गए हैं । सभी अपने अपने गुट का समर्थन शहर कांग्रेस को देने से अप्रत्यक्ष मनाही कर चुके हैं। स्वाभाविक सी बात है जब चुनाव करीब आता है तभी पुराने तीरंदाजों को याद किया जाएगा तो वह भी अपनी अपनी हैसियत के हिसाब से नाराजगी तो जताएंगे ही । यह पायलट की नीति की वजह से ही कांग्रेस भुगत रही है । जिसके चलते बूथ स्तर की नियुक्तियां केवल 55 से 60 प्रतिशत ही हो पाई है। खबरीलाल की खबर के अनुसार विजय जैन कम से कम 50 बार आग्रह कर चुके है इन भारी नेताओं से उनके कार्यकर्ताओं की सूचियां भी मांग चुके हैं , परंतु उन सभी के अड़ियल रवैए की वजह से विजय जैन को बूथ स्तर तक भी खुद ही के लोग ढूंढ ढूंढ कर लगाने पढ़ रहे हैं । जिससे शहर अध्यक्ष के काम का भार 4 गुना बढ़ रहा है। वहीं देहात अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह राठौड़ भी पूरे देहात क्षेत्र में घूम-घूमकर कांग्रेस के हित में काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं जिसके फलस्वरूप देहात कांग्रेस की हालत शहर कांग्रेस से बेहतर नज़र आ रही है ।
एक तरफ भाजपा जिला प्रमुख से लेकर पन्ना प्रमुख तक सभी लोगों को चुनावी रण में उतरने के लिए प्रेरित कर रही है, वहीं दूसरी ओर मौजूदा कांग्रेस संगठन की ऐसी आंतरिक कमजोरी न जाने कांग्रेस को जीत दिला पाएगी भी या नहीं?
प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पूरे प्रदेश में कमरतोड़ मेहनत कर रहे हैं और वह मेहनत आए दिन मीडिया के माध्यम से सब लोगों को नजर आ रही है पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए गुजरात में राहुल गांधी के साथ एड़ी चोटी का जोर लगा कर बैठे हैं , ताकि कांग्रेस के पुराने दिन लौट कर आ सके लेकिन बड़े बड़े दिग्गज नेताओं के अनुयायी अजमेर जिले में किस तरह से कांग्रेस की हार का सामान तैयार कर रहे हैं वह देखने लायक है ।
फिलहाल तो चुनाव की तैयारी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नंबर कांग्रेस से ज्यादा ही नजर आ रहे हैं। जब की उपलब्धि के नाम पर भाजपा के पास कोई भी ऐसा सटीक कारण नहीं है जिस से आने वाले मध्यवर्ती लोकसभा चुनाव में मतदाता को अपनी उपलब्धियां गिनवा कर विश्वास मत जीता सके फिर भी कांग्रेसजन अपनी ही गलती से ओवर कॉन्फिडेंस में आकर राज भाजपा को परोस कर दे दें तो बात और है।
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