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October 29, 2017
आखिर चिदंबरम जैसे नेता कैसे दे देते है ऐसे बयान ?
नरेश राघानी
लो भैया आ गया एक और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता का मूंह जोर और बेतुका बयान । वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम हद ही लांग गये जब अपने बयान में वह यह कह गए कि कश्मीर में विरोध कर रहे युवा और जनता आजादी नहीं स्वायत्तता चाहती है । और एक हद तक उन्हें स्वायत्तता दे देनी चाहिए। यह एक अप्रत्यक्ष रूप से कश्मीर की आजादी का एलान सा सुनाई पड़ रहा है। मेरे यह समझ में नहीं आता कि इतने वरिष्ठ नेता इस तरह के बेतुके और सरफिरे बयान आखिर कैसे दे जाते हैं । चिदंबरम का यह बयान उनकी सोच कम और सोनिया गांधी और राहुल गांधी या कहें कांग्रेस आलाकमान को यह याद दिलाने का प्रयास ज्यादा नजर आता है कि में भी एक पीएम पद का दावेदार हूँ और अभी जिंदा हूं ।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी लिखी गई किताब के हवाले से यह घोषणा मीडिया के बीच में की थी की प्रणव मुखर्जी मुझसे ज्यादा योग्य प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे फिर भी सोनिया गांधी के कहने पर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया । जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से प्रणब मुखर्जी जैसे योग्य व्यक्ति की उपेक्षा थी ।
जब-जब लोकसभा चुनाव सर पर होते हैं और कांग्रेस में जीत का माहौल होता है यह देखा गया है कि कांग्रेस हाईकमान सिर्फ राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के इर्द-गिर्द सोचती नजर आती है , तब कांग्रेस के बूढ़े बरगद जो कांग्रेस की सदियों से राष्ट्र स्तर पर सेवा करते आए हैं अपना अपना वजूद महसूस कराने के लिए इस तरह के बयान देते हैं , जिसमें कांग्रेस के अंदर गांधी परिवार के खिलाफ दबे स्वरों मैं अभिव्यक्ति साफ दिखाई देने लगती है।
चिदंबरम का बयान भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है हालांकि भाजपा इस बयान पर खुलेआम बल्लेबाजी करने से नहीं चूकेगी क्योंकि उनके लिए तो कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी या जनता विरोधी घोषित करने का यह बहुत बड़ा मौका है। हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह चिदंबरम की अपनी निजी राय है यह पार्टी की राय नहीं है। परंतु अब यह स्पष्टीकरण देने से होने वाला भी क्या है । जनता को जो संदेश कांग्रेस के लिए जाना था वह चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेता की जुबानी जा ही चुका है। हैरत की बात यह है कि यह इतने पुराने लोग बोलते वक्त स्वार्थवश अपने आप की मौजूदगी सिद्ध करने के लिए अपनी ही पार्टी का कितना बड़ा नुकसान कर बैठते हैं शायद यह उन्हें अंदाजा ही नहीं लगता। इन्हीं कारणों की वजह से कांग्रेस जैसा राष्ट्र दल पिछले एक दशक में अपने आप को सिमटता हुआ देख रहा हैं। बाकी धत्ता बिठाने के लिए तो राहुल गांधी हैं ही ।
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