Post Views 831
May 31, 2017
इधर जाऊं या उधर जाऊं बड़ी मुश्किल में हूँ किधर जाऊं ... वैसे तो यह पंक्तियाँ किसी गुमनाम शायर की अनमोल धरोहर हैं लेकिन आज कल यह देश की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर बिलकुल फिट बैठ रही है |
दरअसल कांग्रेस का आंतरिक ढांचा उनके युवराज के कुशल नेतृत्व में प्रयोग कर कर के इतना कमज़ोर हो चला है की अब यह अपने सेकुलरिज्म के मूल सिद्धांत से ही भटक गया है | जिसको जैसे समझ आ रहा है वो वैसे परिस्थिति के हिसाब से कांग्रेस के मूल सिधान्तों की बलि खुले आम चढा देता है |
इसका एक ताज़ा उदाहरण है अजमेर शहर कांग्रेस कमिटी द्वारा महराणा प्रताप जयंती मनाना | यह सचमुच पहली बार हुआ है की शहर कांग्रेस को महराणा प्रताप याद आये | जबकि सालो साल कांग्रेस में अपना योगदान दे चुके लोग अब तक इस सदमे से नहीं निकल पा रहे की ये क्या था ...?.
मतलब कुछ भी .... हद हो चुकी है किसी बात की |
राजनीति के चलते एक तरफ तो युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता केरल में एक प्रदर्शन के दौरान गौमांस खाते है और प्रदर्शन करते है और वहीँ दूसरी ओर अजमेर में हिन्दू सम्राट महाराणा प्रताप की जयंती मनाने पहुँच जाते है | जैसे जनता और आम बुधीजिवी वर्ग तो बेवकूफ ही है और ये समझ नहीं पायेगा की यह लोग आखिर चाहते क्या हैं ?
जवाब एक दम साफ़ है भाई ,और वह है सत्ता और केवल सत्ता |
दरअसल नेता जात के ही कोई ईमान धरम नहीं है इस दुनिया में | भाजपा को ही देख लीजिये | जीवन भर भाजपा की सेवा करने वाला और भाजपा को भगवान् राम से जोड़ने वाला व्यक्ति जब अपनी सोच के दम पर भाजपा को सत्ता के द्वार पर लाकर खडा कर देता है तो उसी का वरिष्ठतम शिष्य उसे धीरे धीरे परास्त करता हुआ ऐसे कगार पर ले आता है की वह भले ही खुद देश का प्रधान मंत्री बन जाए लेकिन अपने गुरु को बजाये देश का राष्ट्रपति बनाने के बस जेल न जाने देने की शर्त पर ही अपनी गुरु दक्षिणा की इति श्री कर लेता है |
कांग्रेस में भी प्रदेश स्तर पर हालात कुछ ठीक नहीं हैं | यहाँ भी इन दिनों कुछ भी ... होता हुआ दिखाई दे रहा है |
गौरतलब है की राजस्थान प्रदेश कांग्रेस को इतने वर्षों से जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल कर चलाया है वही अभी का प्रदेश नेतृत्व बस केंद्र में बैठे कांग्रेस युवराज का थोपा हुआ ही साबित होता नज़र आ रहा है | राजस्थान प्रदेश की आज की कांग्रेस में न तो वरिष्ठ और कनिष्ठ की समझ दिखाई देती है न ही कोई चमत्कारिक बात जिस से जनता झट से आंदोलित हो कर आगामी चुनाव में कांग्रेस को वोट दे बैठेगी | बस युवराज और उनके प्रिय राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष की आँखें मूँद कर जय जय कार करने वालों की भीड़ जमा है , जिनका विवेक उनको सच कहने की हिम्मत नहीं दे पा रहा है की दरअसल .... वर्तमान कर्णधार के पास न तो कोई जनाधार है ना ही राष्ट्रीय नेतृत्व को दी जाने वाली कोई सूची जिस से वह खुद पूर्ण रूप से आगामी चुनाव में जीत को लेकर संतुष्ट हों |
कहने का मतबल यह है भैया की पूर्व मुख्यमंत्री के पास भी शायद तकरीबन 200 विधानसभा सीटों पर लगभग 300 से 350 मजबूत उम्मीदवार बचे हों जो सीना ठोक कर कह सकते हों की - हाँ हम साहब के आदमी हैं |
|वर्तमान प्रदेषाध्यक्ष के पास तो ऐसे जांबाज लोगों का इस वक़्त टोटा ही नज़र आ रहा है |
उनका स्कोर बोर्ड नहीं लगता की 120 मजबूत खिलाड़ियों से ज्यादा होगा| और होगा भी तो वह सब कौनसा उनके साथ लम्बा जुड़े रहेंगे | | सो अपन इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं की .....
अपनेु मूल सिधान्तो से भटकी हुई कांग्रेस का अब इस देश में बहुत ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है |
जल्द ही हम लोग कहते सुनेंगे लोगों को की
एक थी कांग्रेस ....
होगेा तो होगे भैया तुम कोई इंसान
नेतानागरी के वास्ते पशु नर एक समान ...
श्री कृष्णं शरणम ममः
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved