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अजमेर न्यूज़: राजस्थान महिला कल्याण मण्डल ने अजमेर जिले को बाल विवाह मुक्त करने का लिया संकल्प,

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November 28, 2025

कैंडल मार्च द्वारा ग्रामीणों ने ली बाल विवाह रोकथाम की शपथ,

राजस्थान महिला कल्याण मण्डल ने अजमेर जिले को बाल विवाह मुक्त करने का लिया संकल्प,
कैंडल मार्च द्वारा ग्रामीणों ने ली बाल विवाह रोकथाम की शपथ,

जिले से बाल विवाह को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से राजस्थान महिला कल्याण मण्डल के निदेशक राकेश कुमार कौशिक ने कहा कि अजमेर को वर्ष 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर एक लक्षित रणनीति तय करते हुए काम करेंगें। इसमें स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों, उन धार्मिक स्थलों जहां विवाह संपन्न कराए जाते हैं, विवाह में सेवाएं देने वाले पेशेवर सेवा प्रदाताओं, और आखिर में पंचायतों व वार्डों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि बच्चों के खिलाफ इस सदियों पुराने अपराध का अंत सुनिश्चित किया जा सके। राजस्थान महिला कल्याण मण्डल देश में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन है। इसके 250 से भी अधिक सहयोगी संगठन देश के 451 जिलों में बाल विवाह के खात्मे के लिए जमीन पर काम कर रहे हैं। बालविवाह के खिलाफ जागरूकता व बालविवाह के खिलाफ अजमेर जिले के 50 गांवो में कार्य कर रहे है राजस्थान महिला कल्याण मण्डल संस्था ने पिछले एक वर्ष में अजमेर में जिला प्रशासन व पुलिस के साथ करीबी समन्वय से काम करते हुए 19 बालविवाह रूकवाएं गए तथा 950 से अधिक परिवारों के मुखिया व बच्चों के परिजन जो अपने बच्चों का विवाह छोटी उम्र में करने कि सोच रखते थे उन्हे वचन पत्र के माध्यम से सबंधित सरपंच,विकास अधिकारी,वार्डपंच के संज्ञान में लाकर पाबंद कर बालविवाह की सोच को खत्म करके संभावित बाल विवाहों को रोका गया।
बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के 27 नवंबर को एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर पूरे देश में शुरू किए गए इस कार्यक्रम में राजस्थान महिला कल्याण मण्डल ने भी स्कूलों,आंगनबाडी, ग्रामीण समुदायों और अन्य संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम व बाल विवाह के खिलाफ शपथ समारोह आयोजित किए जिसके अन्तर्गत संस्था द्वारा मदारपुरा, रसुलपुरा, बबाईचा, अरडका, बडगांव, सेदरिया, पालरा, कडैल, देवनगर गांवो में संगठन ने जनसमुदाय को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों के बारे में भी जागरूक किया साथ ही कैंडल मार्च निकालकर बालविवाह के जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ साथ मिलकर दृढता से खडे होकर इसे मिटाने का संदेश दिया और उन्हें समझाया कि कानून के अनुसार बाल विवाह में किसी भी तरह से शामिल होने या सहायता करने वालों जिसमें शादी में आए मेहमान, कैटरर्स, टेंट वाले, बैंड वाले, सजावट वाले या बाल विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहित, सभी को इस अपराध को बढ़ावा देने के जुर्म में सजा हो सकती।
राजस्थान महिला कल्याण मण्डल के निदेशक ने कहा है कि आने वाले दिनों में भी यह कार्यक्रम जिले के विभिन्न गांवो में निरन्तर जारी रखते हुए जनसमुदाय को जागरूक करेंगे। साथ ही बताया कि सदियों से हमारी बेटियों को अवसरों से वंचित किया गया है और विवाह के नाम पर उन्हें अत्याचार, शोषण और बलात्कार की ओर धकेला गया है। जन प्रतिनिधियों, सरकारी विभागों, कानून लागू करने वाली एजेंसियों और समुदायों का अभूतपूर्व तरीके से एक साथ आना, बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता और प्रयासों को नई ऊर्जा व रफ्तार देगा। इस समन्वय और सामूहिक संकल्प से हम जिले को साल भर के भीतर बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति आश्वस्त हैं और अब इस अपराध को छिपने के लिए कहीं भी जगह नहीं मिलेगी।


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