Post Views 01
November 21, 2025
जयपुर।अमेरिकी नागरिकों को साइबर ठगी के जाल में फंसाकर उनके साथ धाेखाधड़ी करने वाले दो फर्जी कॉल सेंटर जयपुर के पुलिस थाना मालवीय नगर और प्रताप नगर में पकड़े गए। दोनो काॅल सेन्टरों में कॉलर बनकर ठगी करते कुल 60 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। गिरफ्तार ठगो की बारात से 57 कम्प्यूटर व 3 लैपटॉप जब्त किए गए हैं। ये अमेजॉनव एप्पल जैसी नामचीन कंपनियों के कस्टमरर्स को ऑन लाइन फर्जी कस्टमरकेयर वेबसाइट बनाकर उनके कस्टमर्स का डेटा हासिल करते थे। उनके कॉल जब इस ठग कंपनी के कॉल सेंटर पर आते थे, तो यह उन्हें फंसा कर धोखाधडी करते थे। जब्त किये गये कम्प्यूटरों में कस्टमरों को डराने के लिए अमेरिकी सरकारी एजेन्सियों के फर्जी वारण्ट, नोटिस, रसीद मिले हैं। फिलहाल कम्प्यूटर में मिले डेटा के मुताबिक यह गिरोह हजारों अमेरिकी लोगों के साथ लाखों डॉलर की धोखाधड़ी कर चुका है। साइबर क्राइम पकड़ने वाली एजेंसियों को भनक नहीं लगे इसलिए गिरोह के सदस्य EYEBEAM एवं VICI जैसे हाईटेक सॉफ्टवेयरों का उपयोग करते थे।
स्पेशल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश एंड टीम
जयपुर पुलिस को शहर में फर्जी कॉल सेन्टर चलाकर अमेरिकी नागरिकों को ठगे जाने की भनक लगी तो गोपनीय ढंग से अनुसंधान किया गया। साइबर फ्राॅड पर अकुंश लगाने के लिए स्पेशल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश (IPS) के निर्देशन में काम करते हुए मालवीय नगर और प्रतापनगर थाना इलाके में पुलिस ने दो कॉल सेंटर पर छापा मारा। इन कॉल सेंटरों से अमेरिकी लोगों की साइबर फिशिंग चल रही थी। दोनों कॉल सेंटर ये कुल 60 ऑपरेटर्स को पकड़ा है। इनमें 11 लड़कियां भी शामिल है। यह सभी जयपुर में बैठकर विदेशों में ठगी का नेटवर्क चला रहे थे।
जयपुर पुलिस कमिश्नर सचिन मित्तल ने इस खुलासे को लेकर प्रेस कांफ्रेस में बताया कि फर्जी काॅल सेन्टर व साइबर फ्राड कि गतिविधियों पर अकुंश लगाने के लिए गठित की गई टीम ने शानदार सफलता हासिल की है।
जयपुर पुलिस को मुखबिर से मिली थी गोपनीय सूचना
जयपुर पुलिस को 19 नवंबर को ही मुखबिर से इस बारे मेंसूचना मिली थी। मुखबिर ने बताया था कि पुलिस थाना मालवीय नगर के शिवानंद मार्ग पर प्लॉट ए-265 होटल HOTEL THE SPARK INN एवं पुलिस थाना प्रताप नगर में सरस्वती अपार्टमेन्ट के सामने प्लाट नम्बर 160/05 सेक्टर 16 प्रतापनगर में ठगी के कॉल सेंटर चलरहे है। इन कॉल सेन्टर की आड में अमेरिकी नागरिकों से साइबर क्राइम के जरिए ठगी करने वाला गिरोह काम करता है। अमेरिकी नागरिकों द्वारा अमेजॉन एवं एपल कस्टमर केयर के नाम से इंटरनेट पर नंबर सर्च करने पर इन गिरोह के नंबर ब्राउजर पर सामने आते है। कस्टमर इन नम्बरों पर कॉल कर अपनी विभिन्न समस्याओं जैसे डिलीवरी
गलत एड्रेस पर हो जाना, रिटर्न का रिफण्ड ना मिलना, ऑडर का अपने आप कैसिंल हो जाना, गलत ऑडर डिलीवर हो जाना, अकाउण्ट ब्लॉक हो जाना, पेमेन्ट अनसक्शेसफुल दिखाना, गिफ्ट कार्ड का काम ना करना, इत्यादि बताता है।
मछली फंसाने वाले का कोडवर्ड 'डायलर' , पकाने वाले का 'क्लोजर'
जिसके बाद गिरोह के 'डायलर' कॉल रिसीव करते हैं तथा कस्टमर को उसकी समस्या का कारण उसके बैंक अकाउंट में गड़बड़ी होना बताते हैं। समस्या के समाधान के लिए कॉल डायवर्ट कर अगले ठग 'क्लोजर' को ट्रांसफर करते है, जो अपने आप को बैंक कर्मचारी बताते हैं और कस्टमर से उसकी बैंक एवं कार्ड डिटेल लेते हैं। नया अकाउण्ट बनाने के लिए दबाव बनाया जाता है। कस्टमर को यह प्रतीत होता है कि उसने नया बैंक अकाउंट खोल लिया है, जबकि ये गिरोह द्वारा क्रिएट किया गया फर्जी अकाउंट होता है। इसके बाद कस्टमर के पुराने बैंक अकाउंट से पैसा नए फर्जी बैंक अकाउंट मे ट्रांसफर करवा लिया जाता है। इस जैसी ही कई ट्रिक अपनाई जाती हैं, जिनमें 'क्लोजर' जो अमेरिकी सरकारी संस्था का कर्मचारी बनकर कस्टमर से बात करता है तथा कस्टमर को उसके बैंक अकाउण्ट में आई रुकावटो का कारण मनी लांड्रिग, चाइल्ड प्रोनोग्राफी बताता है। कस्टमर को डराने एंव विश्वास दिलाने हेतु अमेरिकी कोर्ट, एफबीआई, आईटी विभाग एवं अन्य सरकारी संस्थाओं के फर्जी नोटिस भेजते हैं। कस्टमर को अपना पैसा अपने पुराने अकाउंट से दूसरे फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर के लिए विवश किया जाता है। गिरोह के सदस्यों रकम फर्जी अकाउंट में आने के बाद क्रिप्टो केरेन्सी एवं हवाला के जरिए अपने पास प्राप्त किया जाता है।
जयपुर पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कर दी रेड
काॅल सेन्टरों की सूचना मुखबिर से लेकर उच्चाधिकारियों ने पुलिस की दो टीमें बनाई। एक ही समय पर मालवीय नगर और प्रतापनगर दोनों जगह के कॉल सेंटरों पर रेड की गई। रेड के समय दोनो काॅल सेंटर पर गिरोह के सदस्य फॉड कर रहे थे। मौके पर पुलिस टीमों ने देखा कि गिरोह के सदस्यों ने अपने कम्प्यूटर पर कलाॅउड कॉलिंग के लिए EYEBEAM एंव VICI जैसे हाई टेक सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे थे, जिसके कारण पुलिस एवं अन्य एजेन्सियाें के लिए उन्हें ट्रैक करना बेहद मुशिकल होता है। इन कम्प्यूटरों पर VPN के माध्यम से इन्टरनेट कनेक्शन चल रहे थे। गिरोह के सदस्यों पर मौके पर पर ही सख्ती से पूछताछ की गई और उनके कम्प्यूटरों का डेटा खंगाला गया तो सिस्टम में मोजूद कस्टमरों से पहले की गई कॉलिंग का डाटा, कस्टमरों की बैंक डिटेल, विभिन्न कस्टमरों से प्राप्त की गई फ्रॉड राशि के संबंध मे दस्तावेज मिले तथा गिरोह के सदस्यों द्वारा धोखाधडी करना कबूल किया गया। सभी कम्प्यूटर, मोडेम व अन्य डिजीटल साक्ष्यों को नियमानुसार जब्त कर लिया गया। गैंग के सदस्य प्रियेश एवं साजन कुमार साहनी के लेपटॉप से अमेरिकी सरकारी एजेन्सियों के फर्जी वारंट, नोटिस, रसीद मिली हैं, जिनका उपयोग कस्टमरों को डरा-धमकाकर एवं डिजीटल अरेस्ट कर पैसे ऐंठने के लिए किया जाता था। लगभग 24 घण्टे चली कार्यवाही के बाद 49 पुरुष व 11 महिलाओं सहित कुल 60 व्यक्ति गिरफ्तार किये गए। तथा गिरहो के सदस्यों के कब्जे से 57 कम्प्यूटर व 3 लैपटॉप जब्त किए गए। इन कम्प्यूटर एवं लैपटाॅप की जांच विस्तृत रुप से अनुसंधान के दौरान की जाएगी। जिससे स्पष्ट होगा कि गिरोह के द्वारा अभी तक कितने अमेरिकी नागरिकों से कितनी राशि का फ्रांड हुआ है। प्रतापनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved