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August 31, 2022
पुष्कर के प्राचीन मंदिरों में से एक प्रथम पूज्य देव गणेश के मंदिरों में प्रमुख स्थान रखने वाला भट बावड़ी गणेश मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि के साथ श्रद्धालुओ द्वारा मानी जाने वाली रोचक मान्यताओं के चलते क्षेत्र में आस्थाओ के मुख्य केंद्र के रुप मे जाना जाता है । बूढ़ा पुष्कर रोड स्थित भट्बावड़ी प्राचीन गणेश मंदिर का निर्माण मंडोर के राजा नाहर राव ने लगभग 1100 वर्ष पूर्व कराया था। पुजारी कुंज बिहारी शर्मा ने बताया कि किवदंती है कि गुर्जर राजा नागभट्ट के नौ लाख गाय थीं। उन्होंने ही गणेश मंदिर के पास बावड़ी का निर्माण कराया। इस मंदिर की प्राकृतिक बनावट इस प्रकार है कि बावड़ी में शिवलिंग के नीचे स्थित मां पार्वती के स्वरूप की आकृति है। श्रद्धालु घरों में शादी विवाह या मांगलिक कार्य की मनोकामना पूर्ण करने की मंशा लिए सर्वप्रथम भट्बावड़ी मंदिर पूजा करने आते है । प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की कतार लग जाती है। जयपुर अजमेर हाईवे पर रेगिस्तान के मध्य स्थापित इस मंदिर में बुधवार को दर्शन पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शादी के बाद नवविवाहित दूल्हा-दुल्हन जोड़े से भगवान गणेश के मंदिर में धोक लगाने आते हैं। पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि जिन लोगो की घरों में विवाह में देरी हो रही होती है तो मंदिर प्रांगण से मूर्ति के आकार के पत्थर को खोज कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा और पुजा कर रख दिया जाता है । जिसके बाद यजमान के परिवार से वो प्रतिष्ठित गणेश प्रतिमा बिना बताए अपने घर ले जाते है । और कुछ ही दिनों में उनके घरों में शादी विवाह का कार्य समपन्न हो जाता है । इन्ही मान्यताओं के अनुसार सैकड़ो श्रद्धालु मंदिर प्रांगण से मूर्त्ति ले जाकर मनोकामना करते है । गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर क्षेत्र में बड़ा मेला भी लगता है । इस मेले में पुष्कर सहित आसपास के क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं और मेले के अवसर पर 1000 किलो लड्डुओं का भोग भगवान गणेश को लगाकर श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है । जिसकी तैयारी मेले के कई दिनों पूर्व से शुरू हो जाती है।
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