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May 8, 2022
नरेश राघानी,✒️
किसी भी राज्य को चलाने वाले राजा का प्रथम मूल्यांकन राज्य में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धि से होता है ।कुछ महीनों से राजस्थान में बिजली संकट के चलते राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा है। भीषण गर्मी की वजह से बिजली की खपत बड़ी हुई है । उस पर कोयले की कमी की वजह से बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। सुबह उठा तो देखा सरकार शाम तक रद्दी हो जाने वाले अखबारों को फुल पेज एड दे रही है । जिसमें बिजली बचाने की सतर्कता पर कम और बिजली संकट क्यों आया है उस पर ज्यादा स्पष्टीकरण दिया गया है। कोई भी यह विज्ञापन पड़ेगा तो उसे साफ दिखाई दे जाएगा कि सरकार बदनामी को बचाने का प्रयास कर रही है।
चलो यह तो सरकार है ऐसे ही चलती है । सोने पे सुहागा तो अजमेर डिस्कॉम और टाटा पावर ने जड़ दिया है। टाटा पावर और सरकार ने एक नया धंधा शुरू किया है। जिसके चलते बजाए खुद सरकार सोलर पावर से उत्पादन कर के लोगों तक सस्ती बिजली पहुंचने के , जो लोग सोलर प्लांट लगा कर सस्ती बिजली का उपभोग कर रहे है उनसे पर यूनिट वसूली करना शुरू कर दिया है। जिसका लक्ष्य केवल और केवल टाटा पावर की महंगी बिजली खरीदने का दबाव बनाना लग रहा है।
सोलर पावर से अपना घर और बिजनेस चलने वाले लोग तो उल्टा सम्मानित करना चाहिए । और उनको सरकार निर्देशित कर सकती है की वह बिजली के अतिरिक्त उत्पादन को अपने पड़ोसी को मुफ्त देगा तो उसे टैक्स में अतिरिक्त छूट मिलेगी।
उल्टा सरकार अतिरिक्त सोलर बिजली के उत्पादन पर टैक्स वसूली करके यह संदेश दे रही है, कि ना खुद बिजली उपलब्ध करवाऊंगी और अगर कोई सस्ती बिजली भी उपलब्ध करवाएगा तो उससे टैक्स वसूलूंगी। समझ में नहीं आता सरकार आखिर चाहती क्या है ?? प्रजा को राहत पहुंचाना या बिजली महंगी बेचना ???
वैसे तो सरकार का काम लोगों तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना है। और आजकल तो फ्री का ट्रेंड बहुत चल भी रहा है। पंजाब और दिल्ली में तो एक न्यूनतम हद तक बिजली फ्री ही मिल रही है ।
ऐसे में हमारे जननायक महोदय शाम तक रद्दी हो जाने वाले अखबारों को करोड़ों रुपए का ढक ढकाव शुल्क देकर अपनी सफाई देने में लगे हैं। जबकि यही पैसा अगर घरेलू उपभोक्ताओं को फ्री में सोलर प्लांट लगाकर दिए जाने पर खर्च किया जाए, तो आत्मनिर्भर ऊर्जा उत्पादन योजना बना कर इस समस्या को शायद हल किया जा सकती है ।
मुझ बैल बुद्धि की बुद्धि में जिताना आया मैंने बक दिया। अब सरकार चलाने वाले मुझसे बेहतर ज्ञानी प्रशासनिक बंधु और जननायक जी के साथ राज कर रहे कुछ परम ज्ञानी यदि इसमें कोई और तड़का लगा के इसे बेहतर बना के लागू करें तो शायद कुछ नया निकाल आए।
और हां ... अगर कोई मेरे इस विचार पर टिप्पणी करना चाहे तो मेरी गलती सुधारने के लिए सादर आमंत्रित है। मैं बड़े प्रेम से ऑफिस में बैठा कर चाय पिलाऊंगा। और इसका बेहतर उपाय सोचकर फिर ब्लॉग लिखूंगा।
तब तक आप से निवेदन है की कोशिश कीजिए यह ब्लॉग मुख्यमंत्री महोदय तक पहुंच जाए। ताकि राजस्थान को इस घनघोर अंधेरे में कोई सकारात्मक किरण नजर आए।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
संपादक
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