Post Views 11
April 12, 2021
मुझको मेरा घर सुनता है,
शायर को शायर सुनता है।
ख़तरों की हर ख़ामोशी को,
अंदर बैठा डर सुनता है।
दिल की बातें आईनों की,
सुना है अब पत्थर सुनता है।
रो पड़ती हैं झील की लहरें,
उनको जब कंकर सुनता है।
लहू में डूबी मेरी ग़ज़लें,
चुभा हुआ नश्तर सुनता है।
मेरे दिल की है ये ख़ूबी,
सब कुछ चुप रह कर सुनता है।
विष पीकर भी ज़िन्दा हूँ मैं,
मुझको शिव शंकर सुनता है।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved