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क़लमकार: विधानसभा में अध्यक्ष सी पी जोशी ने लगाई फटकार तो शिक्षा मंत्री के होश आये ठिकाने

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March 11, 2021

स्कूल्स में वार्षिकोत्सव के आदेश लिए वापस

विधानसभा में अध्यक्ष सी पी जोशी ने लगाई फटकार तो शिक्षा मंत्री के होश आये ठिकाने



स्कूल्स में वार्षिकोत्सव के आदेश लिए वापस




वेक़सीन को लेकर चल रही ऊपरी सियासत का अजमेर में कोई असर नहीं ,उपलब्ध हैं पर्याप्त वेक़सीन




नेहरू अस्पताल में शानदार टीका प्रबंधन




सुरेन्द्र चतुर्वेदी




स्कूलों में वार्षिक उत्सव पर रोक लगाने के लिए मैंने विगत 1 मार्च को ब्लॉग लिखा था। मैंने शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी के तुगलकी नीतियों को आड़े हाथों लिया था। वे आए रोज़ आदेश प्रसारित करते हैं और फिर उन्हें रद्द करके वापस ले लेते हैं। शिक्षा विभाग को उन्होंने भिक्षा विभाग बनाकर रख दिया है।




मेरे ब्लॉग के बाद जब अलवर, उदयपुर, भीलवाड़ा और कई जिलों में कोरोना का संकट गहरा हुआ तो जिला स्तर पर वार्षिक उत्सव पर रोक लगा दी गई।




मैंने ब्लॉग में लिखा था कि लाखों रुपए वार्षिक उत्सव पर अलग से बजट देकर खर्च किए जाना कोरोना काल के टूटे अर्थ तंत्र पर जानबूझकर किया जा रहा हमला है।




सौरभ स्वामी की तब अक्ल ठिकाने नहीं आई मगर अब आ गई है।




विधानसभा में शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा और उनकी मिलीभगत से वार्षिक उत्सव का होना सामने आया है ।




प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया ने कल विधानसभा में वार्षिक उत्सवों के आयोजन पर सवाल उठाया। हंगामा हुआ । विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने कड़ी फटकार लगाई। साफ़ तौर पर कहा कि जब उन्होंने वार्षिक उत्सव पर रोक लगाने को कह दिया था तो एक अधिकारी की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि वह अपनी तरफ से जिद्दी होकर वार्षिक उत्सव की तारीख 20 मार्च तक बढ़ा दे।




जोशी जी ने ऐसे अधिकारी के विरुद्ध सीधी कार्रवाई करने की बात कही । विधानसभा में उनकी फटकार के बाद शिक्षा मंत्री डोटासरा का यह कहकर बैक फुट पर आ जाना कि यह शिक्षा निदेशक की ग़लती नहीं। उनके कहने पर ही उन्होंने आदेश जारी किए थे। वे तत्काल आदेशों को वापस ले रहे हैं ।




कमाल की बात है कि एक शिक्षा मंत्री विधानसभा में कह रहे हैं कि उनका शिक्षा निदेशक उनकी आज्ञा का ग़ुलाम है।असल में तो सारे आदेश उनकी सहमति से ही ज़ारी होते हैं।शिक्षा निदेशक तो उनकी कठपुतली हैं।




राजस्थान में कोरोना का ख़तरा दिन ब दिन बढ़ रहा है ।स्कूल और हॉस्टल में आए रोज़ एक साथ कई छात्र-छात्राओं के संक्रमित होने के समाचार सामने आ रहे हैं।




पांचवी तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई है ।ऐसे में शिक्षा मंत्री कहते हैं कि वार्षिक उत्सव मनाने के आदेश उनके कहने पर हुए तो यह उनकी नादानी और शर्मसार होने वाली बात है ।





जिम्मेदार सरकार के जिम्मेदार मंत्री का गैर जिम्मेदाराना आदेश शिक्षा विभाग के लोगों को ताज़्ज़ुब में डाल रहा है ।लोग शिक्षा निदेशक को ग़लत ठहरा रहे थे। उन्हें तुगलकी और सनकी अधिकारी समझ रहे थे मगर अब साफ़ हुआ है कि आदेशों के पीछे मंत्री जी खड़े रहते हैं। इस पर मैं तो कहूंगा कि यह डोटासरा जी का ही सनकीपन है, जो राज्य सरकार की छवि पर दाग लगा रहा है ।




ख़ैर !! जो भी हुआ अंत ठीक हुआ। थूका हुआ चाट लिया गया। अब इससे क्या फर्क पड़ता है किसने थूका और किसने चाटा। विधानसभा में चाट लिया गया तो पब्लिक ने सच को जान लिया।





इधर वैक्सीन को लेकर अफ़वाहों और चर्चाओं का बाज़ार गर्म है ।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा समवेत स्वरों में कह रहे हैं कि केंद्र सरकार पर्याप्त संख्या में राजस्थान के लिए वेक़सीन सप्लाई नहीं कर रही। इससे कई जिलों में वैक्सीन लगाने का काम रोकना पड़ रहा है। उधर केंद्र सरकार कह रही है कि राजस्थान में वैक्सिंन की पर्याप्त सप्लाई की जा रही है ।कोई कमी नहीं है ।





हम आम आदमी हैं। हम जो भी खबरें समाचारों में पढ़ते हैं या मीडिया के माध्यम से जानते हैं वही मान लेते हैं। केंद्र सरकार ग़लत है या राज्य सरकार! हमें कुछ समझ में नहीं आता!




वैक्सीन को लेकर यदि ऊपर कोई राजनीति खेली जा रही है तो उस राजनीति से हमारा कोई लेना-देना नहीं ।




कल मैं जवाहरलाल नेहरू अस्पताल गया ।पुराने यूरोलॉजी विभाग में मेरी मुलाकात हुई डॉ दीप्ति जी से।वे बेहद ज़िम्मेदारी से टीका प्रबंधन संभाल रही थीं।उनका सहयोग राजकुमार जी कर रहे थे। मैंने उनसे जानना चाहा कि क्या नेहरू अस्पताल में वैक्सीन की कोई कमी महसूस की जा रही है? क्या लोगों को वैक्सीन लगाने की रफ्तार में कोई कमी आ रही है





उन्होंने कहा कि आप ख़ुद देख लीजिए ।लोग बड़ी संख्या में बराबर वैक्सीन लेने आ रहे हैं और बिना बाधा के वैक्सीन लगाई भी जा रही है।




ज़ाहिर था कि अस्पताल में वेक़सीन की सप्लाई में कोई कमी नहीं। बराबर वैक्सीनेशन चल रहा है।





खुशी की बात मुझे ये लगी कि टीका प्रबंधन ,जो जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में देखने को मिला वह किसी भी निजी अस्पताल से बेहतर है। डोज़ 1 और डोज़ 2 के अलग-अलग काउंटर बने हुए हैं ।स्टाफ बड़ी ही आत्मीयता से लोगों का स्वागत कर रहा है ।किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई नज़र नहीं आ रही ।




अब ऊपर की राजनीति के सवालों पर कौन जाए और क्यों जाए


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