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March 3, 2021
संपत साँखला जैसे लोग भाजपा की नई पीढी को सिखा रहे हैं नैतिकता का पाठ
भाजपा के बागी होकर कभी भाजपा को ही आईना दिखाने वाले देवी शंकर भूतड़ा और नवीन शर्मा कार्यकर्ताओं को सिखा रहे हैं भाजपा की रीति नीति और चाल चरित्र।
सारस्वत जैसे दिग्गज नेता! जानते बुझते निगल रहे हैं ज़हर के घूँट
क्या देवी शंकर भूतड़ा निभा रहे हैं गुरु भाई होने का दायित्व
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
भाजपा को मजबूत बनाने और कार्यकर्ताओं को संस्कारित करने के लिए पार्टी इन दिनों राज्य भर में प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है।विद्वान और चरित्रवान वरिष्ठ नेता नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं।पार्टी के सिद्धांतों ,रीति नीतियों और इतिहास का पाठ पढ़ाया जा रहा है।नई पीढ़ी अपनी चाल बदल रही है।चेहरा साफ़ कर रही है।अपना चरित्र उज्ज्वल बना रही है।
मुझे ख़ुशी हो रही है कि चलिए कोई तो राजनीतिक दल है जो अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहा है।
अजमेर ज़िले में भी इसी तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
आपको यहाँ बता दूं कि अजमेर के पूर्व जिला अध्यक्ष और भाजपा के विद्वान नेता डॉ बी पी सारस्वत पूरे राज्य के प्रशिक्षण प्रभारी हैं।उनकी देख रेख में ही निर्धारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है।यही वजह है कि मैं उनको राज्य भर में दिए जा रहे प्रशिक्षण के लिए बधाई देता हूँ।
दूसरी बधाई देता हूँ भाजपा के जिला प्रभारी देवीशंकर भूतड़ा जी को जो खुद कभी पार्टी से बागी होकर भाजपा को आईना दिखा चुके हैं, उनके नेतृत्व में अदभुत नेता कार्यकर्ताओं को अपने शानदार अनुभवों का लाभ प्रदान कर रहे हैं।
अजमेर में दो बार नवीं क्लास में फेल हुए,भरस्टाचार के मामलों में लिप्त और चर्चित चेहरे,सरकारी ज़मीनों की खरीद फ़रोख़्त में बदनाम हुए नेता युवा पीढ़ी को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हैं।
आदरणीय सारस्वत जी और भूतड़ा जी इसके लिए बधाई के पात्र हैं।
जी हाँ, आप उस नेता का नाम भी पूछना चाहेंगे ,तो आपको बता दूं कि वो महान नेता और कोई नहीं,पिछले दिनों अख़बारों की सुर्खियां बने पूर्व उपमेयर संपत साँखला ही हैं।
पुलिस की गिरफ्तारी से फ़िलहाल वे किसी तरह बचे हुए हैं और आने वाली नस्लों को अपने तज़ुर्बों का लाभ पहुंचा रहे हैं।वक्ता के रूप में वे कार्यकर्ताओं को ईमानदारी और निष्ठा का सबक सिखा रहे हैं।
जैसा कि सब जानते हैं कि संपत साँखला फ़र्ज़ी मार्कलिस्ट कांड के अभियुक्त हैं।आज भी गुजराती स्कूल के काग़ज़ उनके दसवीं पास नहीं होने की गवाही दे रहे हैं।आज भी उनके विरुद्ध ए सी बी में सरकारी ज़मीन बेचने के खरीद बेचान का आपराधिक मामला लंबित है।पुलिस उनको दोषी मान कर जाँच कर रही है।जिस नेता का चाल चेहरा और चरित्र आरोपों से घिरा हो ,वो कार्यकर्ताओं को क्या पढ़ायेगा ,ये भूतड़ा जी ही बता सकते हैं।
संपत साँखला और भूतड़ा जी दोनों ही एक ही हेडमास्टर जी के चेले हैं इसलिए मौसेरे भी हो सकते हैं।
यहाँ एक और चरित्र संपत साँखला का बता दूं।पिछले यानि हाल ही सम्पन्न हुए चुनावों में उन्होंने किशनगढ़ के भाजपा उम्मीदवार वेद प्रकाश दाधीच को सुरेश दगड़ा के साथ षड्यंत्र रच कर हरवाया।यह बात किसी और ने नहीं स्वयं ने अपने मुंह से फोन पर कही। दाधीच को निपटाने की जानकारी दी। उन्होंने राज्य प्रशिक्षण प्रभारी सारस्वत जी को अभद्र शब्दों तक से नवाजा और ठहाके लगाए।जिसकी शिक़ायत स्वयं सारस्वत जी और दाधीच ने हाई कमान को कर रखी है। (जैसा इन दोनों ने मुझे बताया)
इस तरह के चरित्र वाले नेता अब ज़िले के कार्यकर्ताओं को नैतिकता और चरित्र का पाठ पढ़ा रहे हैं।
सवाल उठता है कि उच्च संस्कारित प्रभारी सारस्वत इस तरह के नेता को क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं। देवी शंकर भूतड़ा की बात तो समझ में आती है कि वे उनके गुरु भाई है मगर सारस्वत जी इतने कमज़ोर कैसे हो गए कि वे प्रभारी होने का नैतिक दायित्व भी नहीं निभा पा रहे।
विधायक अनीता भदेल के ब्लू आई बॉय रहे सम्पत साँखला ने उनके साथ किस तरह की निष्ठा निभाई क्या उसी को निष्ठा मान कर वे कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देंगे क्या फ़र्ज़ी वाड़े, ज़मीनों के कारोबार को भी पार्टी ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर रखा है
ज़िले के कार्यकर्ताओं को चरित्र का पाठ पढ़ाने के लिए पुलिस के आरोपियों को यदि शामिल किया जाना उचित है तो फिर जेल से भी कुछ विद्वानों को बुला लेना चाहिए।वैसे अभी धन सिंह जी भी गिरफ्त में आए हैं।प्रशिक्षण में उनका लाभ भी लिया जा सकता हैं।
सच कहूँ तो मुझे तक़लीफ़ इस बात की है कि संस्कारित पार्टी जिस उद्देश्य से ये शिविर आयोजित कर रही है उस उद्देश्य के साथ ही शारीरिक ज़बरदस्ती की जा रही है।अनुशासन हीन लोग अनुशाशन सिखा रहे हैं।चरित्रहीन चरित्र सिखाने लग जाएं तो सवाल उठना जायज़ ही होता है।
मुझे पता है कि सारस्वत जी इन दिनों ख़ुद को पार्टी में अनफिट पा रहे हैं।उनमें अब वो उत्साह नज़र नहीं आ रहा जो उनमें ज़िला अध्यक्ष के समय था।उनको पार्टी में दूसरी किस्म की नागरिकता जैसा समझा जा रहा है।वसुंधरा जी का नाम अभी उनके नाम के साथ जुड़ा हुआ माना जा रहा है।शायद यही वजह है कि वे पूरे राज्य के प्रभारी होने के बावज़ूद अपने ही ज़िले में प्रशिक्षण को अपने हिसाब से चला नहीं पा रहे।आख़िर किससे और क्यों इतना डर रहे हैं हमारे प्रोफ़ेसर साहब.. समझ से परे है !!
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