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February 28, 2021
स्टेशन पर मास्टर जी कर रहे हैं नौकरी
ज़िले प्रशासन के तुगलकी आदेश में झुँझलाया पूरा विभाग
कोरोना के केरियर्स न बन जाएं ये बापडे
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
रात के 2 बज कर 20 मिनट हुए हैं।। मैं !! अजमेर शहर का ज़र ख़रीद ग़ुलाम सुरेन्द्र चतुर्वेदी रेलवे स्टेशन अजमेर से बोल रहा हूँ।यहाँ रेलवे के कर्मचारी बेचारे अपनी अपनी रात्रिकालीन सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।रेलवे पुलिस के इक्के दुक्के कर्मचारी और चोर उचक्के सभी अपनी अपनी भूमिका के साथ तैनात हैं। यहाँ मुझे कुछ जाने पहचाने चेहरे भी नज़र आ रहे हैं।आइए जानें कि ये मरदूत रात के ढाई बजे घरबार को छोड़ कर स्टेशन पर क्या कर रहे हैं
फ़क़ीर से दिखने वाले इन लोगों से चलिए बात की जाए।
ओ नीली शर्ट वाले भय्या !! कौन हो आप? इतनी रात गए क्या कर रहे हो
अपनी ऐसी तैसी करवा रहा हूँ! दिखता नहीं नौकरी कर रहा हूँ!
मैं ताज़्ज़ुब से उसे देख रहा हूँ।ये मरियल कौनसे विभाग का कर्मचारी होगा? सोच नहीं पा रहा।हिम्मत करके पूछता हूँ।
भाई साहब! ख़ुफ़िया विभाग में हो क्या
वो चीखा ख़ुफ़िया विभाग में नहीं भिक्षा विभाग में हूँ।ये सारे लोग उसी विभाग के हैं। कह कर उसने पास खड़े लोगों की तरफ इशारा किया।
बाद में पता चला कि बिफ़रे हुए सारे लोग शिक्षा विभाग के बापडे मास्टर हैं और ज़िला प्रशासन के आदेश पर स्कूलों की नौकरी के साथ स्टेशन पर सेवाएं भी प्रदान कर रहे हैं।
आप भी कहेंगे कि ये ऐसा कैसा ब्लॉग है जो फ़िल्म की कहानी जैसा लग रहा है। मित्रो!! आज का ब्लॉग उन बापडे मास्टरों के नाम ही है जिनको सरकार ग़रीब की ज़ोरु समझ कर हर किसी विभाग की भाभी बना देता है।
यहाँ आपको बता दूँ कि अजमेर जिला प्रशासन द्वारा शिक्षकों को रेलवे स्टेशन पर round-the-clock ड्यूटी के लिए लगा दिया गया है।
....और ड्यूटी भी रात को 2 बजकर 20 मिनट से..!!
यह एक खुला सत्य है कि जबसे कोरोना काल शुरू हुआ, कर्मचारी वर्ग में एक मात्र शिक्षक वर्ग सबसे ज्यादा ड्यूटी देता आया है।
कोरोना काल के शुरुआती दौर में प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं के पास यह जवाब था कि स्कूल बंद है शिक्षक फ्री हैं ।
हालांकि ऐसा कभी भी नहीं रहा। शिक्षक ऑनलाइन क्लास, घर-घर जाकर होमवर्क देना, विभिन्न प्रकार की निगरानी ड्यूटी, सर्वे आदि में व्यस्त था लेकिन इन्होंने मनमर्जी से शिक्षकों को रात दिन कोरोना काल में बिना सुरक्षा उपकरणों के लगाए रखा।
अब जबकि विद्यालय खुल गए हैं, बच्चे स्कूल आ रहे हैं, बोर्ड की परीक्षा का टाइम टेबल जारी हो चुका है,दूरी -दूरी पर बैठाकर बच्चों को पढ़ाने से एक कक्षा की दो-दो - तीन-तीन कक्षाएं हो रही हैं, पोषाहार के कोंबो पैक बांटे जा रहे हैं, वार्षिक उत्सव की तैयारियां चल रही हैं, ऐसे में स्टाफ की कमी से जूझते विद्यालयों के शिक्षकों को round-the-clock रेलवे स्टेशन पर लगाए जाने के फिर आदेश हो गए हैं ।
न जाने शिक्षा अधिकारी इन प्रशासनिक अधिकारियों की ऐसी कौन सी बात से डरते हैं जो विभाग की असलियत से उनको अवगत नहीं करवाते। तुरंत उनके कहे अनुसार आदेश जारी कर देते हैं। उनके कहे अनुसार विद्यालय के प्रधानाचार्य भी खुद के विद्यालय पर गाज़ गिरने के डर से बचते हुए ,दूसरे विद्यालय के शिक्षकों को इस काम में लगा देते हैं।
गौरतलब बात है कि अजमेर शहर में अनेक विभाग के हज़ारों कर्मचारी कार्यरत हैं लेकिन कभी भी उनके कर्मचारियों को इन कामों में नहीं लगाया जाता ।जैसे वे अलग मिट्टी के ख़ुद्दार लोग होते हैं।सरकार को ट्रांसफर से डरे हुए यही बापडे नज़र आते हैं।
अब जबकि स्कूल खुल गए हैं। स्कूल में बच्चे आ रहे हैं । ऐसी स्थिति में क्या दूसरे विभाग के कर्मचारियों को इस कार्य में नहीं लगाया जाना चाहिए
सवाल ये उठता है कि अगर कोई शिक्षक शिक्षिका रेलवे स्टेशन पर संक्रमित हो गया और दूसरे दिन विद्यालय में आ गया और वहां के बच्चों को संक्रमित कर दिया तो कौन जिम्मेदार होगा
.....लेकिन जिला प्रशासन को और विशेष तौर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस बात से कोई सरोकार नहीं है !!
उन्हें तो गर्दन झुका कर अपनी मार्किंग बढ़वाते हुए यस सर ! यस सर कह के तुरंत आदेश की पालना करानी है।।
यहां यह बात भी विशेष तौर पर गौर करने वाली है कि अजमेर शहर के शिक्षकों को अभी तक कोरोना वारियर माना ही नहीं गया है और अजमेर शहर के शिक्षकों को अभी तक वैक्सीनेशन की पहली डोज के लिए सूचीबद्ध भी नहीं किया गया है।
जबकि उन विभाग के कर्मचारियों को वैक्सीनेशन दे दिया गया है जो कभी कोरोना की ड्यूटी में नहीं गए।
मैंने स्टेशन पर खड़े मास्टरों से कहा कि आप देश के सच्चे सिपाही हैं।आपको देश सलाम करता है।
तभी सारे मास्टर चीख़ें। तुम्हारे सलाम की ...( भद्दी गाली)..हमको कोरोना हो गया तो सारे स्कूलों को तबाह कर देंगे
तब से सोच रहा हूँ ज़िला प्रशासन को कब इन बापडों पर दया आएगी। आखिर कब
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