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February 20, 2021
मेला क्षेत्र में सूअरों को रोकने का भरसक प्रयास करने वाले पुलिस कर्मी सम्मानित
हाड़ी रानी बटालियन ने दो पुलिस कर्मियों को दिया 101और 51 रुपये का ईनाम
धन्य हैं ये पुलिस कर्मी और उनके भरसक प्रयास
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
ख्वाजा साहब के उर्स में कोई सूअर न प्रवेश कर जाए इस बात का ध्यान रखने के लिए लंगर खाना गेट पर हाड़ी रानी महिला बटालियन की तरफ से कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। मुझे खुशी है कि बटालियन के दो कर्मचारियों को सूअर रोकने के भरसक प्रयास करने के लिए बाकायदा ₹101 और ₹51 की राशि प्रदान की गई है।
हैड कांस्टेबल जितेंद्र कुमार को ₹101 तो कॉन्स्टेबल श्रीमती नरेश को ₹51 देकर सम्मानित किया गया है। कमांडेंट ऋचा तोमर ने यह सम्मान दिए जाने की लिखित में घोषणा की है।
मैं हाड़ी रानी बटालियन को इस उच्चस्तरीय काम को सफलतापूर्वक करने के लिए बधाई देता हूं। मीडिया ने इतनी महत्वपूर्ण खबर को कहीं जगह नहीं दी। इसके लिए मैं स्थानीय मीडिया पर कोताही बरतने का आरोप लगाता हूँ।
सूअर किस्म के लोगों का किसी भी तरह पता नहीं लगाया जा सकता मगर सूअरों को तो देखते ही पहचाना जा सकता है। मुझे खुशी है कि हाड़ी रानी बटालियन के कर्मठ प्रतिनिधियों ने सूअरों को पहचान कर उन्हें गली कूचे के रास्तों से मेला क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर पाने के लिए जान की बाज़ी लगा दी।
हाड़ी बटालियन की कर्तव्यनिष्ठा को नमन करते हुए मैं कमांडेंट साहिबा से पूछना चाहता हूं कि सूअरों को मेला क्षेत्र में रोकने के लिए क्या कोई विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है क्या इसके लिए उनकी बटालियन में कुशल प्रशिक्षकों का अलग से सेल बना हुआ है क्या सिर्फ सूअरों को रोकने में ही उनके लोग विशेष हुनर रखते हैं या अन्य जानवरों जैसे कुत्तों नील गायों आवारा मवेशियों के लिए भी बटालियन के लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है
तोमर मैम ने अपने आदेश में इन दोनों महान कर्मचारियों को पुरस्कृत करते हुए लिखा है कि इन दोनों ने लंगर खाने के गेट पर आतंकी सूअरों को रोकने की भरसक कोशिश की।
मुझे यह बात समझ में नहीं आई कि सूअरों को रोकने के लिए भरसक कोशिश कैसे की जाती है
जैसे फुटबॉल मैच में गोलकीपर गोल बचाने के लिए प्रयास करता है क्या यह प्रयास उसी तरह किया जाता है
मैं स्कूल के समय में फुटबॉल मैच में गोल बचाने के लिए एक बार ज़मीन पर लेट गया था ।क्या सूअरों को गली में प्रवेश रोकने के लिए इतनी कला बाज़ियाँ भी करनी पड़ती हैं।
उर्स को कामयाब करने और शान्ति पूर्ण बनाए रखने के लिए सरकार को भी कैसी कैसी और क्या-क्या व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं?
सब जानकर सरकार और प्रशासन के प्रति कृतज्ञता से दिल भर जाता है।
पुष्कर के पशु मेले में पशुओं के प्रवेश को नहीं रोकने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ती है।जानवरों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए भरसक प्रयास किए जाते हैं और ऐसा करने वालों को प्रशासन पुरस्कृत करता है
मैं हाड़ी रानी बटालियन के भरसक प्रयासों से चमत्कृत हूँ।कोई काम छोटा- बड़ा नहीं होता बस निष्ठा से किया जाना चाहिए ।
ज़रा सोचिए कि आप पुलिस फोर्स में हों और आपको किसी गली के नुक्कड़ पर सूअरों को रोकने के लिए तैनात कर दिया जाए तो आपकी मानसिकता क्या होगी ? सूअरों की फौज़ को तो आपने देखा ही होगा। गंदगी के प्रति उनका सहज स्वाभाविक आकर्षण और फिर उसे ग्रहण करने के प्रति उनके तीरंदाज़ी प्रयास कितने आक्रामक होते हैं। इसे आप भली-भांति समझते होंगे। ज़रा सी सावधानी हटी कि कोई भी सूअर की संतान गली में प्रवेश कर सकती है।
गली सीज़ करना पाकिस्तानी या चाइना की सीमा को सीज़ करने से ज्यादा कठिन होता है ।सीमाओं पर तो गोलाबारी करके घुसपैठ रोकी जा सकती है मगर सूअरों को रोकने के लिए तो बंदूक का प्रयोग भी वर्जित होता है ।उन्हें तो ज्यादा से ज्यादा डंडों से रोका जा सकता है। ऐसे में डंडा चलाना वह भी निशाने पर ,इसको ध्यान में रखना बड़ा मुश्किल हो जाता है।
हाड़ी रानी बटालियन को इतना दुष्कर कार्य सौंपा गया इसके लिए उनकी जितनी सराहना की जाए कम है ।
मेलों में अक्सर इंसान ही जब सूअरों जैसा सोच रख कर घूमते फिरते हों, ऐसे में सूअरों से इंसानी फितरत की उम्मीद नहीं की जा सकती ।
बटालियन हिमालय की चोटी पर फ़तह पाकर जितनी लोकप्रिय नहीं हो सकती उतनी मेले में सूअरों को रोकने से हो गई है ।उनका यह जज्बा बना रहे , इसके लिए मैं अजमेर जिले के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे मन से उनको दुआएँ दे।
मेरे पास मैडम तोमर का फोन नंबर नहीं है वरना मैं भी अपने मित्र शिव कुमार मित्तल की तरह फोन नंबर लिखता और कहता कि आप चाहें तो इस नंबर पर मैडम को बधाई दे सकते हैं।
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