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क़लमकार: कांग्रेसयियों के फूटे ग़ुब्बारे से निकली फुस्स की आवाज़: शेख़ी बघारने वाले सारे नेता रह गए धरे के धरे

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February 9, 2021

बहन अनीता जी ! ले लिया न भाऊबली से पंगा,अब देखते जाओ ..!! 

कांग्रेसयियों के फूटे ग़ुब्बारे से निकली फुस्स की आवाज़: शेख़ी बघारने वाले सारे नेता रह गए धरे के धरे




बहन अनीता जी ! ले लिया न भाऊबली से पंगा,अब देखते जाओ ..!! 





सुरेन्द्र चतुर्वेदी





ख़ाली पीली की डींगें मारना, शेख़ी बघारना कांग्रेसियों के डी एन ए में शामिल हो चुका है।जहाँ तक अजमेर के कांग्रेसयियों का सवाल है वे तो सिर्फ़ गप्पों के गोल गप्पे बनाने में ही अपनी कामयाबी समझते हैं।निगम के पार्षदों की टिकट बांटने से मेयर और उपमेयर बनाने तक काँग्रेसयियों ने हवाई बातें करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।....मान झोंपडी नाम तारागढ़ वाली कहावत ज़िन्दा होती रही।रलावता ,भाटी,बाहेती, विजय जैन,जयपाल सभी आख़िर तक ऊँची ऊँची छोड़ते रहे।मुझे ऐसे में राजस्थान की एक अजीबोगरीब कहावत याद आती रही । घर मे कोन्या तेलन ताहीं, रांड मरे गुलगुला ताहीं।





वैसे कांग्रेस का महापौर चुनाव से तो उपमहापौर में बेहतर प्रदर्शन रहा। मेयर में जहां कांग्रेस को 19 मत मिले थे वहीं उपमेयर में 22 मत हासिल करने में कांग्रेस सफल रही। पर शेख़ी बघारने वाला कोई भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इस पर पार्टी की तरफ से वक्तव्य देने को उपलब्ध नहीं था।





दोस्तों..!! ये बात अब बिल्कुल सिद्ध हो गयी है कि राजनीति में जो होता है वो दिखाई नहीं देता और जो दिखाई देता है वो होता नही है। और जो होता है वो झूँठ होता है।





उपमहापौर प्रत्याशी बनवाने में भाजपा की सियासत भी चुटकले जैसी देखने को मिली। भाऊ को पटखनी देने के लिए इस बार चौंकाने वाले समीकरण बने। सबसे पहले तो भाऊ के खास रहे नीरज जैन ने भाऊ से पल्ला झाड़ा। उसके बाद जो गठबंधन हुआ वो भाऊ के लिए सोचने की बात है कि भाऊ से उनके ये खास लोग कैसे,उनके दाएँ बाएँ एक एक करके छिटक गए। कुछ ने तो खुलेआम उनके खिलाफ खड़े होकर भाऊ के चहेते उपमहापौर के प्रबल प्रत्याशी रमेश सोनी को ही निबटा दिया।






यहाँ मैं आपको बता दूँ कि अंदरखाने सुरेन्द्र शेखावत उर्फ़ लाला बना , धर्मेंद्र गहलोत, अनिता भदेल , नीरज जैन सबने एक होकर इस बार भाऊ को दिन में तारे दिखा दिए। (पहली बार)






बहन अनीता ने उपमहापौर के अपने प्रत्याशी देवेन्द्र सिंह शेखावत के नाम को पहले आगे बढ़ाया फिर अंत समय में देवेन्द्र के राजनीतिक आका लाला बना को ही आगे बढ़ा दिया।उनके सहारे नीरज जैन के नाम पर सहमति बनवाने सियासती अस्तबल यानी बाड़े में भेजा ।उससे सांप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी। लाला बना के कहने से ही देवेन्द्र भी नीरज जैन के नाम पर सहमत हो गए।यदि लाला बना न होते तो देवेन्द्र बहन जी को ढंग से आड़े हाथों ले लेता।





यहाँ एक और सच ये है कि नीरज जैन को अनिता बहन जी ने उपमहापौर बनवाने में खुद को पूरा झोंक तो ज़रूर दिया है पर इससे उनके कार्यकर्ता ही खुश नही हैं। जिस प्रकार महापौर के लिए अनिता बहन जी ने कुसुमलता का नाम चलाया था, उनकी इस नादानी से दक्षिण के तीनों मंडल अध्यक्ष उनसे मुँह मोड़ चुके हैं। हाल फिलहाल तो शहर अध्यक्ष हाड़ा ही हैं और वो भी उनसे बेहद नाखुश हैं। ये सब हाड़ा जी ने प्रदेश आलाकमान को भी बता दिया था ,जिससे प्रदेश आलाकमान ने भी अनिता के इस कृत्य से नाराज़गी व्यक्त कर ब्रजलता हाड़ा को ही मेयर प्रत्याशी घोषित किया था।





......और बहन जी ने अब भाऊ से भी खुला पंगा और ले लिया है।





मेरा आंकलन है कि इससे अनिता भदेल को फायदा तो क्षणिक ही हुआ है पर आने वाले समय में नुकसान बहुत बड़ा होगा। इस बार अनिता के साथ साथ भाऊ के टारगेट पर और भी कई लोग आ गए हैं। किसको कितना नुकसान होगा ये भाऊ के अगले कदम से ही पता चलेगा।






राजनीति में ज़रा सा भी इंटरेस्ट रखने वाले भी अनिता के लिए खुले आम बोल रहे हैं कि अनिता का काम किसी भी कार्यकर्ता को नज़दीक लाकर उसकी हत्या करवाना ही रह गया है। उनकी हरक़तों से और उनके निर्देशो को मानने से निचले स्तर के नेताओं की बिना बात की दुश्मनीयां बन जाती हैं। इसीलिए तीनो मंडल अध्यक्षों ने और कई जीते हुए पार्षदों ने अस्तबल में महापौर के लिए कुसुमलता का नाम आगे बढ़ाने से भी साफ इंकार कर दिया था ।





दूसरी तरफ़ भाऊ की तारीफ करनी पड़ेगी कि उन्होंने कभी अपने किसी कार्यकर्ता के साथ चोट नही की। चोट की गई तो नादान नेताओं ने उनके साथ ही की। भाऊ की खासियत है कि वो दोस्ती भी पूरी निभाते हैं और दुश्मनी भी।





वही अनिता भदेल तो समय समय पर किसी किसी का सहारा लेकर अपने गॉड फादर लखावत जी, लाला बना से लेकर संपत सांखला तक को निबटा चुकी हैं। फिर यही निबटे लोग कब खास हो जाते हैं ये भी पता नही चलता। इससे उनके कार्यकर्ता ही असमंजस में रहते हैं। यही नहीं उनसे निःस्वार्थ भाव से जुड़े कई व्यवसायियों, समाजसेवियों को मैं जानता हूँ जिनको उन्होंने बेरहमी से यूज़ एंड थ्रो किया।





एक और मज़ेदार बात भी सुनिए।कल निगम में नीरज जैन की हरक़तों को देखकर ये तो मैं कहूंगा कि शहर को एक और रासासिंह जी मिल गए हैं। वही नम्रता।वही ढोक देने की परंपरा। ग़ज़ब। कमाल। वाह।ख़ूब।अद्भुत।आश्चर्यजनक।






बात ही बात में आपको ये भी बता दूं कि अनिता भदेल इस बार भाऊ पर भारी इसलिए भी पड़ गईं क्योंकि ऊपरी आलाकमान तो वैसे भी नीरज जैन को ही उपमहापौर बनाना चाहता था । उन्हें बस ज़रूरत थी तो सिर्फ दो में से एक विधायक की हां करने की। नीरज के पक्ष में समर्थन देने की। वो काम नीरज जैन ने जैसे तैसे बहन जी से करवा दिया और जीत अनिता के खाते में चली गयी।






चुनाव प्रभारी से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक नीरज के प्रभाव में पहले से ही थे।





सुना है कल ही अनिता बहन जी द्वारा ये अलाप चालू कर दिया गया है कि एक घर मे दो पद नही रहने चाहिए इसलिए तुरंत शहर अध्यक्ष नया बनना चाहिए।





अब देखना ये है कि ये गठबंधन चलता कितने समय तक है! कहीं इसका बिखराव अभी शहर अध्यक्ष की नियुक्ति में ही तो नही होने वाला है






अनीता बहन जी ! एक बात सुन लो ! किसी के लिए भी भाऊ को कम आंकना बहुत बड़ी भूल है। ये तो भाऊ के अपनो ने ही भाऊ के साथ चोट कर दी वरना... भाऊ को निबटाना नामुमकिन ही नही असंभव है।


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