Post Views 971
February 6, 2021
राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुईं वरना दाधीच होते प्राधिकरण के चेयरमैन
अजय माकन की लिस्ट में लिखा है शहर का अगला भाग्य विधाता
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यदि इशारा कर देते और अजय माकन अपनी राजनीतिक नियुक्तियों की सूची जारी कर देते तो अजमेर के भाग्य विधाता होते आना सागर टापू के स्वप्न दृष्टा जे पी दाधीचजी ।आज जे पी दाधीच को लेकर आपकी क्या राय है ये कोई मायने नहीं रखती! वे कांग्रेसी राजनीति में क्या स्थान रखते हैं यह भी कोई महत्वपूर्ण बात नहीं! सच तो यह है कि जो लोग सत्ता की तिमारदारी करते हैं वही सत्ता के हकदार होते हैं।
सत्ता राजपूतों के लिए बनी होती है। मैं यहां राजपूत शब्द किसी जाति विशेष के लिए प्रयोग में नहीं ला रहा। यहां मेरा मतलब जिसका भी राज हो उसका पुत्र बन जाना राजपूत कहलाने से है। जे पी दाधीच के अनुसार वे इन अर्थों में सच्चे राजपूत हैं।राज चाहे किसी भी पार्टी का हो, किसी भी विचारधारा का हो, उनकी सत्ता में लेन दारी बनी ही रहती है।
दाधीच जी अड़ियल किस्म के व्यक्ति नहीं ।सबसे हिलमिल कर चलते हैं। यही वजह है कि पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत के भी वे बेहद आत्मीय रहे ।आना सागर में नाव के ठेकों को लेकर जब निगम की लेडी सिंघम चिन्मयी गोपाल उनसे पंगा ले रही थीं तब भी दाधीच बड़ी सावधानी से भाजपा का इस्तेमाल कर रहे थे ।
अब जबकि राज्य में सत्ता कांग्रेस की है वे शक्तिपुंज नेताओं के नज़दीकियों में माने जाते हैं। जानकारी मिली है कि राजनीतिक नियुक्तियों की लिस्ट में जे पी साहब का नाम अजमेर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के लिए निर्धारित कर दिया गया है।घोषणा भले ही मार्च के बाद हो लेकिन जे पी साहब ही होंगे प्राधिकरण के चेयरमैन। यह मुझे मिली उच्च स्तरीय जानकारी का सच है ।
जे पी साहब मुझे चाचा कहते हैं, क्योंकि मैं उनके पिता जी का मित्र हूँ! उनका शुभेच्छु हूँ! उनकी नीति, विचारधारा, मानसिकता से वाकिफ हूँ। मैं जानता हूं कि विषम परिस्थितियों में भी जे पी साहब रिश्तों का व्यवहारिक समायोजन करना जानते हैं ।उनको तालमेल बनाकर चलने का हुनर आता है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े व्यक्ति से वे निजी ताल्लुक रखते हैं ।उन्हें मधुमक्खियों के छत्ते से शहद निकालना आता है। वे बगीचे में फूल पौधे लगाकर मधुमक्खियों को आमंत्रित करना जानते हैं ।शहद का छत्ता बनाए जाने तक इंतजार भी करना जानते हैं । शहद की पर्याप्त मात्रा इकट्ठी होने पर वे धुआँ लगाकर मधुमक्खियां उड़ाना भी जानते हैं।और फिर शहद निकालना भी।
यही वजह है कि वे आज शहर के ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं ,जिनका कोई मुकाबला नहीं। ज़मीनों की खरीद-फरोख्त से धन कमाने वाले दाधीच की सबसे बड़ी ख़ूबी ये है कि वे शहर के बदनाम भूमाफियाओं में शुमार नहीं किए जाते । करोड़ों की ज़मीन ख़रीदते बेचते हैं मगर अपना सम्मान बनाए रखते हैं ।
राजनेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों ,और खुराफातियों तक से कभी रिश्ते बिगाड़ कर नहीं चलते। यही वजह है कि वे हर क्षेत्र में कामयाब रहते हैं ।
आनासागर झील के बीचो-बीच बने टापू पर अपना साम्राज्य स्थापित करना उनकी कला का नायाब नमूना है ।शहर में कोई ऐसा माई का लाल नहीं जो इतनी सोच समझ के साथ इतना बड़ा समायोजन कर ले। डूब क्षेत्र की ज़मीन का आधिकारिक मालिकाना हक हासिल कर ले। यूँ तो टापू शहर की एक गैर राजनीतिक संस्था के जरिए हासिल किया गया मगर इसमें दाधीच की कुशाग्र बुद्धि का लोहा तो मानना ही पड़ेगा। ख़ास तौर पर तब ,जब आना सागर के एक हिस्से पर मिट्टी डाल कर कृत्रिम ज़मीन बनाये जाने पर हाल ही में 40 लाख का ज़ुर्माना लगाया गया हो
राजनीतिक नियुक्तियों की लिस्ट यधपि अभी सामने नहीं आयी है मगर मैं अपने भतीजे जे पी दाधीच को अग्रिम बधाई देता हूँ। उन्होंने जिस तरह दीपक हासानी जैसे प्रबल दावेदार को अजमेर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन की दौड़ से बाहर का रास्ता दिखाया ।वह काबिले तारीफ़ है। दो ताक़तवर नेताओं के माध्यम से उन्होंने जिस तरह अपने नाम पर सहमति बनवाई, वह सच में सुई की नोक से हाथी निकालने जैसा है ।
डॉ श्री गोपाल बाहेती के लिए कहा जा रहा था कि वे विकास प्रधिकरण के चेयरमैन पद पर नियुक्ति पा सकते हैं,मगर अब उन्हें बड़े प्यार से अलग रहने को राजी कर लिया गया है। यह कोई मामूली बात नहीं।
हो सकता है दाधीच जी मेरे इस ब्लॉग पर कहें कि मैंने अफ़वाहों पर आधारित ब्लॉग लिख दिया है। यह भी कहे कि ऐसा दूर-दूर तक कुछ भी नहीं है ।वे प्राधिकरण के लिए राजनीतिक नियुक्ति की दौड़ में शामिल ही नहीं। उनका ऐसी किसी नियुक्ति से कोई लेना-देना नहीं। चलिए उनकी बात मान भी ली जाए। मेरी जानकारियां सही न हों।(जिसकी संभावना कम ही है)
मगर यदि ऐसा हो जाए तो बुराई क्या वे शहर की ज़मीन के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं! कौन सी ज़मीन कितनी उपजाऊ है ,जानते हैं। मेरा दावा है कि यदि जे पी साहब को प्राधिकरण का चेयरमैन बना दिया गया तो प्राधिकरण निहाल हो जाएगा! ख़ाली पड़े ख़ज़ाने कैसे भरे जाते हैं यह हमारे भतीजे जी अच्छी तरह जानते हैं। उनका चेयरमैन बनना शहर की सेहत के लिए लाभदायक रहेगा ये मेरा दावा है।
भतीजे को अग्रिम बधाई
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved