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February 2, 2021
और अब महापौर को लेकर घमासान
प्रियशील हाड़ा अपनी पत्नी को ओछी राजनीति से पार लगाने के लिए ओछे लोगों से घिरे
भदेल नहीं चाहती कि कोई महिला कोली नेता का क़द ऊँचा हो,वंदना नोगिया को निपटाया तो अब ये
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
कौन सी पार्टी बनाएगी अजमेर में अपना मेयर यह तय है मगर कौन बनेगा अगला मेयर यह तय नहीं। भाजपा की नई डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बाड़े- बंदी में कई डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ऊपर से नीचे तक का यानी सर से पैर तक का जोर लगा रहे हैं।
भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी विजयी पार्षदों को बाड़े में बंद रखना दर्शा रहा है कि फिर से कोई पलाड़ा जैसा महान नेता लोगों को ले न उड़े। सच तो यही है कि अंदरूनी तौर पर भाजपा को भीतर घात का डर सता रहा है।
अजमेर के दोनो विधायक एक बार फिर दुधारी तलवार बाज़ी के लिए अपनी अपनी तलवारें लेकर आमने सामने नज़र आ रहे हैं।
एक तरफ बहन अनिता भदेल को महापौर की सशक्त दावेदार ब्रजलता हाड़ा जहाँ फूटी आँख नही सुहा रही है वहीं वे ब्रजलता के अतिरिक्त अन्य किसी को भी महापौर बनाने के लिए सहमत हैं।
उन्होंने अप्रत्याशित रूप से हाड़ा के वार्ड से ही विजयी हुई कुसुमलता सोगरा के नाम को आगे बढ़ाया है और अपने क्षेत्र से विजयी हुए सभी पार्षदों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे उनसे होने वाली रायशुमारी में कुसुमलता का ही नाम हाईकमान को देवें।
इधर भाऊबलि ने भी अंदरखाने महापौर की सबसे सशक्त दावेदार ब्रजलता हाड़ा को महापौर पद पर बैठाने के लिए ज़ोरदार पासा चला है। उन्होंने सभी महत्वपूर्ण पद कोली समाज को ही देने का विरोध करने की धमकी देकर हाड़ा को सरेंडर कर एक तीर से कई शिकार करने की चाल चली है।
भाऊबलि ने हाड़ा को स्पष्ट कह दिया है कि यदि वे अपनी पत्नी ब्रजलता हाड़ा को महापौर बनाना चाहते हैं तो वे इस पर तभी सहमत हो सकते हैं जब वे अपनी पत्नी के महापौर बनते ही अपना अध्यक्ष पद स्वयं ही हाईकमान को सौंप दें।
भाऊ चाहते हैं कि हाड़ा के अध्यक्ष पद छोड़ते ही अपने चोटिकट चेले रमेश सोनी को जिसे वे उपमहापौर बनाना चाहते थे को पार्टी का शहर अध्यक्ष बना कर एक बार फिर शहर में अपना वर्चस्व स्थापित कर लें।
यदि सोनी अध्यक्ष बन जाते हैं तो यह तय है कि पूरे संगठन पर भाऊबलि देवनानी का क़ब्ज़ा हो जाएगा। भाऊ ये अच्छी तरह जानते हैं कि संगठन सर्वोपरि होता है। यदि अध्यक्ष दमदार हो तो कोई भी पद संगठन अध्यक्ष के पद के सामने गौण हो जाता है।
उपमहापौर के लिए भाऊ आश्चर्यजनक रूप से अपनी स्वच्छ छवि के दम पर चुनाव जीते ज्ञान सारस्वत का नाम आगे बढ़ाकर काफी समय से रुष्ट चल रहे ब्राह्मण समाज को भी संतुष्ट कर सकते हैं।
चर्चा तो ये भी है कि भाऊ ने हाड़ा को ये भी सलाह दी है कि वे गंभीर आरोपों से घिरे संपत सांखला को अपने साथ रखने से थोड़ा गुरेज़ ही करें। संघ की इच्छा के विरुद्ध संपत को इस चुनाव में जिम्मेदारी देने से रुष्ट संघ को मनाने के लिए (क्लीन चिट नही मिलने तक) अपने से थोड़ा दूर ही रखें। ऐसा करके वो अपने प्रति संघ की नाराज़गी को भी समाप्त कर सकते हैं।
ऐसा लग भी रहा है कि हाड़ा ने सम्पत भाई को भाऊ की सलाह से अवगत करा भी दिया है। कल दिन भर भी सम्पत भाई अपनी पत्नी सहित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालय में उनके विरुद्ध चल रही जांच के संदर्भ में उपस्थित थे। ये सूचना भी हाड़ा की छवि खराब करने के लिए ही सम्पत भाई के कार सेवकों ने पूरे शहर में फैला दी। वरना इस चुनाव में संपत की चर्चा कोई क्यों करेगा
वैसे यदि संगठन कोली समाज के अतिरिक्त अन्य किसी समाज को ये पद देकर जातिगत असंतोष के बीच संतुलन करना चाहे तो बैरवा समाज से पढ़ी लिखी सीलम बैरवा भी एक चोंकाने वाला नाम हो सकता है । एक चोंकाने वाला नाम सीता टांक भी हो सकता है क्योंकि ये भी कोली समाज से ताल्लुक नही रखती हैं। यहाँ दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा वाली कहावत भी सिद्ध हो सकती है।
वैसे राजनीतिक अनुभवों में तो ये सभी नाम बिल्कुल नए हैं। इधर हाईकमान की नज़र में ब्रजलता ही सर्वाधिक प्राथमिकता में है। देखना ये है कि अनीता भदेल किस तरह अजमेर उत्तर से एक और भावी विधायक की भ्रूण हत्या कर पाती हैं।वंदना नोगिया को उन्होंने जिस नाटकीय ढंग से टिकिट कटवा कर अपनी राह से कांटा निकाला यह पूरा शहर जानता है।
दोस्तों..!! वैसे मैं अपनी उम्र के अनुभव से आपको बता दूँ कि मेयर तो ब्रजलता हाड़ा ही बनेगी और बहनजी को एक बार फिर भाऊ पटखनी देने में सफल होंगें।
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