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February 1, 2021
ज़िले में काँग्रेस की हत्या नहीं आत्महत्या हुई
केकडी और सरवाड़ में रघु शर्मा ने काँग्रेस को आत्महत्या से बचाया
कुकर्मी इतिहास के रचयिता चुनाव जीत गए,भाजपा नहीं जीती ,काँग्रेस हार गई
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर ज़िले में किशनगढ़, बिजयनगर और अजमेर में सत्तारूढ़ कांग्रेस का भाजपा ने वध नहीं किया बल्कि उसने ख़ुद फाँसी लगा कर अपनी जान ले ली । जापान में इस तरह की आत्महत्या को हारा -करी कहते हैं ।जब राजा मारा जाता है, सेनापति भी मौत के घाट उतर जाता है , तो बचे हुए सैनिक आत्मसमर्पण न करके आत्महत्या कर लेते हैं।
अजमेर ज़िले में ऐसा ही हुआ। गहलोत सरकार की बेवकूफी और सचिन पायलट की ख़ुद गर्ज़ी से अजमेर ज़िले में मूर्ख स्थानीय नेताओं ने अपने आपको पार्टी समझ लिया।इन मूर्ख और निरंकुश नेताओं ने मुन्नी की तरह बदनाम हुई भाजपा के सामने जिस तरह बेलिबास होकर केबरा डांस किया उसी की वजह से आज कांग्रेस की स्थिति दयनीय हो गई है।
हाल तो कांग्रेस का केकड़ी और सरवाड़ के चुनावों में भी यही हो जाता मगर डा रघु शर्मा ने चुनाव प्रबंधन अपने हाथों में लेकर अपनी और पार्टी की इज्जत को नंगा होने से बचा लिया। यदि रघु शर्मा जैसा कोई और सर्वमान्य शक्तिशाली नेता बिजयनगर, किशनगढ़ और अजमेर का चुनाव प्रबंधन अपने हाथों में ले लेता तो कांग्रेस आत्महत्या के मुहाने पर खड़ी नहीं होती ।
पार्टी ने तीनों ही शहरों में आत्महत्या का सुसाइड -नोट तब ही लिखना शुरु कर दिया था जब सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से हटाया गया था।
डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष का पद तो सौंपा गया मगर उनको गहलोत ने अपने शिकंजे से बाहर नहीं आने दिया। उनका खुद का प्रभाव मंडल निस्तेज रहा और है भी ।डोटासरा जिला अध्यक्षों की नियुक्ति तक नहीं कर पाए हैं ।
सुसाइड नोट पर फिर हारा- करी करने वाले नेताओं ने दस्तखत करने शुरू कर दिए। तीनो ही शहरों में स्वयंभू और बेसिर पैर के नेताओं ने सर उठाना शुरू कर दिया।
अजमेर में विगत विधानसभा के चुनाव हारे नेता महेंद्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी ने जीते हुए विधायकों की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया । प्रदेश में सरकार क्योंकि कांग्रेस की थी इसलिए उनकी डिजायर पर नियुक्तियां और सरकारी तबादले होंगे यह भ्रम फैला दिया गया। इन दोनों नेताओं ने शहर कांग्रेस को अपनी मुट्ठी में मसल कर रख दिया।
उनसे जितनी काँग्रेस बच पाई उसे डॉक्टर राजकुमार जयपाल,डॉ श्री गोपाल बाहेती, विजय जैन ने हड़प लिया। शहर में कांग्रेसी नेताओं ने टिकट वितरण में जितना खेल खेला ,उसी समय कांग्रेस ने आत्महत्या के नोट पर दस्तखत कर दिए ।
नगर निगम अजमेर में भाजपा का विगत कार्यकाल कालिख़ पुता रहा। भूमाफियाओं ने जम कर सरकारी ज़मीनें बेचीं! जम कर अवैध निर्माण हुए! खुल कर पार्षदों ने गुंडागर्दी की! भाजपा के पार्षदों ने जितना काला धन कमाया उतना आजादी के बाद कभी नहीं कमाया गया।
निगम में ईमानदारी को तार-तार किया गया । लिफाफों में मासिक किस्त बाँटी गईं। पार्षद चाहे कांग्रेस के हों या भाजपा के सभी ने शहर को लूटने में सामूहिक भूमिका निभाई।
अंदर खाने में कांग्रेसी पार्षदों और भाजपाई पार्षदों के बीच अदृश्य गठबन्धन बने रहे ।
इधर कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी निगम में हो रहे काले कारनामों के विरुद्ध कोई आवाज़ नहीं उठा पाए। यदि ऐसा हुआ होता तो अजमेर की जनता (भाजपा से नहीं) बल्कि निगम में भाजपाइयों के क्रियाकलापों से तंग आ चुकी थी।जनता को लग रहा था कि ऐसा भ्रष्ट शासन तो कभी नहीं आया। यदि 5 साल तक कांग्रेस भाजपा के चेहरों से मुखौटे नोंचती रहती और हाईकमान के नेता जिले पर नियंत्रण रखते तो भाजपा किसी भी हाल में दोबारा चुनाव नहीं जीत सकती थी।
राजा रलावता और नगर सेठ हेमंत भाटी को तो जो करना था वे कर ही रहे थे मगर डॉ बाहेती और जयपाल ने भी ऐसा कुछ नहीं किया जिससे कांग्रेस के कपड़े खुलने से बच जाते ।
डॉ बाहेती जाफरी से ही काँग्रेस चलाते रहें और जयपाल अजमेर क्लब से ! और बेचारे निवर्तमान हो गए विजय जैन अपने दफ्तर से!
मेरा दावा है कि डॉक्टर राजकुमार जयपाल अजमेर क्लब से बाहर आकर पूरे दम ख़म के साथ कांग्रेस संभाल लेते तो आज कांग्रेस चौराहे पर निर्वस्त्र न होती ।
कल तक जिन पार्षदों को लोग लुटेरे और गुंडा कह रहे थे वे फिर चुनाव जीतकर लोगों की छाती पर मूँग दलने को मौज़ूद हैं। एक नहीं ,कई रावण चुनाव जीतकर निगम में पहुंच चुके हैं। वजह साफ है कि कांग्रेस ने राम जैसे उम्मीदवार उनके सामने खड़े ही नहीं किये।
डॉ रघु शर्मा ने जिस तरह केकडी और सरवाड़ में अपने शानदार कुशल प्रबंधन के साथ कांग्रेस को निर्वस्त्र होने से बचाया उसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूँ, साथ ही उम्मीद करता हूँ कि वे जिले के इकलौते मंत्री हैं और यदि वे पूरे जिले की तरफ भी देखना शुरू करें तो अपने कुशल नेतृत्व से मुर्दा पड़ी कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं। उनको ऐसा करना भी चाहिए।
भाजपा के नेताओं को मैं उनके कुशल चुनाव प्रबंधन के लिए बधाई देता हूँ। उनका चुनाव प्रबंधन इतना बेहतरीन रहा कि काले घोड़े भी सफेद घोड़ों में शुमार हो गए हैं! कुछ जेल हो आए हैं तो कुछ जाने की तैयारी में हैं। उनके विरुद्ध जाँचें चल रही हैं। परिणाम तक पहुंचने पर क्या होगा इसके लिए हमें अभी इंतजार करना पड़ेगा।
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