Post Views 11
January 20, 2021
नुकीले ख़ंजर कहाँ गए थे,
कटे हुए सर कहाँ गए थे।
सर तो नेज़े पर थे लेकिन,
ख़ूनी लश्कर कहाँ गए थे।
सच के आगे खड़ा हुआ जब,
खौफ़नाक़ डर कहाँ गए थे।
ज़िबह हो रहा था जब मैं तो,
अल्लाहो अक़बर कहाँ गए थे।
पास का घर जब सुलग रहा था,
सारे समन्दर कहाँ गए थे।
तुम तो बस इतना सा बता दो,
आग लगा कर कहाँ गए थे।
गिरे हुए घर पूछ रहे हैं,
नींव के पत्थर कहाँ गए थे।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved