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September 13, 2020
लोकडाउन की बहुत बडी सीख, बन्द करो इस मुत्यु भोज को
भारत विकास परिषद ने की मृत्युभोज पर रोक लगाने की मांग
ब्यावर,(हेमन्त साहू)। भारत विकास परिषद ब्यावर ने मृत्युभोज को एक कुप्रथा बताते हुए इस पर रोक लगाने के लिए सभी समाज को निर्णय लेने का आग्रह किया। लोकडाउन की बहुत बडी सीख, बन्द करो इस मुत्यु भोज को, मुत्यु भोज एक कुप्रथा, यह एक सामाजिक बुराई है। मुत्यु भोज करना किसी धर्म ग्रन्थ में नही लिखा है, ना ही इसे करने का कोई विधान है । महाभारत काल में भी बताया गया है कि मुत्यु भोज करने से आपकी ऊर्जा नष्ट हो जाती है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही हैं, और समय समय पर इसका विरोध भी हुआ है, परम्परा व देखा-देखी, समाज क्या कहेगा का भय इसके पीछे के कारण गिनाए जाते हैं। राजा राममोहन राय व स्वामी दयानन्द सरस्वती जैसे समाज सुधारकों ने इस बुराई का पुरजोर विरोध किया। यह कुप्रथा कई समाजों मे बन्द हो चुकी है ,राजस्थान में इस पर कठोर सजा का कानून बना रखा है। यह प्रथा गलत है तभी तो इस पर कानून बना है ।सरकार के इस फसलें का हम स्वागत करते है। हमारे हिन्दू धर्म के साधु ,सन्त ,व सन्यासी मुत्यु भोज का खाना ग्रहण नही करते हैं। उनका सोचना है मुत्यु भोज करना पाप है। गरुड पुराण में भी लिखा गया है कि जिस परिवार में किसी की मृत्यु हुई हो उस परिवार में भोजन नहीं करना चाहिए। इसलिए कहते हैं जीते जी करो सेवा मरने के बाद कोई नही जानता। किसी जानवर की मुत्यु पर साथी जानवर भी उस समय खाना नही खाते हम तो फिर भी इंसान है । समाज की जो अन्तिम पंक्ति में खडा है उसके लिए भी हमे इस कुप्रथा को बंद करना चाहिये। ये एक बडी सामाजिक बुराई है , इस कुप्रथा के कारण कई परिवार कर्ज में डूब कर बर्बाद हो गए हैं, लोकाचार में हैं परम्परा अब इसे बन्द किया जाना चाहिए । कोरोना काल के दौरान हजारों लोगों की मौत सकर्मित होने से हुई जिनकी अंतिम किर्याए भी प्रशासन ने ही सम्पन्न कराई वह अभी भी करवा रही है , औऱ उठावना तक के सार्वजनिक आयोजन नही हो रहे है । ऐसे लोगों की आत्मा की शान्ति के नाम पर न ही उनकी अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार की रस्म अदा कर गंगाजली की गई । आत्मा अजर अमर है बाकी सब अंधविश्वास, पाखंड बेकार है । कोरोना से यह सबक सीखना चाहिए कि हमारे देश में आडम्बरों मैं लिप्त होकर लाखों रुपये की बर्बादी करता है और जो धन बच्चों व महिलाओं की शिक्षा व उन्नति पर खर्च होना चाहिये उसे झूठे दिखावे पर खर्च कर परिवार का , विकास अवरूद्ध किया जाता है। आओ शपथ लें हम मुत्यु भोज ना करेगे ना ही किसी के करने जायेंगे । अब हम सब जागरूक बने और सभी को जागरूक करें। अब यह प्रश्न है कि - ये नही करें तो क्या करें? भाविप ने लोगों से अपील की है कि वे अपने प्रिय जनों को स्मृति में आप समाज सेवा के अनेक कार्य कर सकते है। जैसी जिसकी क्षमता - देश सेवा में लगाए, जल प्याऊ लगाए, शिक्षा व चिकित्सा में लगाये, गरीब बच्चों को पढाए, वृद्ध जनों की सेवा में लगाये, धार्मिक कार्य करे... ऐसे अनेक कार्य हैं। ब्यावर भारत विकास परिषद शाखा इस कुरीति का पुरजोर विरोध करती है व मुत्यु भोज का बहिष्कार करती है। पर अभी भी ये सच्चाई है शहरों में मुत्युभोज कुछ कम हुवे है पर गाँवो में आज भी ये बुराई पुर जोर से चालू है , प्रशासन का ध्यान इस और भी होना चाहिए ,वह आम जन को जागरूक होना चाहिए।
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