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September 13, 2020
एमडीएस यूनिवर्सिटी के निलंबित वीसी प्रो. आरपी सिंह के कार्यकाल में नियमाें के विरुद्ध वित्तीय निर्णय लेने का मामला सामने आया है। यूनिवर्सिटी में जाे अधिकारी और कर्मचारी ओवरटाइम नहीं करते, उन्हें भी वेतनमान के आधार पर एक या दाे माह का अतिरिक्त वेतन देने के आदेश जारी कर दिए गए थे। खास बात यह है कि यह भुगतान रेप्सा एक्ट के खिलाफ हाेने के बाद भी बाॅम में पािरत कर दिया गया। हालांकि, वित्तीय विभाग में इसी एक्ट का हवाला देकर भुगतान काे राेक दिया। विवि में कुछ कर्मचारियाें और अधिकारियाें काे ओवरटाइम मिलता है, ऐसे कर्मचारियाें की संख्या 30% है। 21 अगस्त को ओवरटाइम नहीं करने वाले कर्मचारियाें काे भी बगैर किसी अतिरिक्त काम के अतिरिक्त भुगतान के आदेश जारी कर दिए गए थे। इस आदेश में उच्च अधिकारियाें तक काे अतिरिक्त वेतन देने के निर्देश जारी कर दिए गए थे। सूत्राें का कहना है कि ऐसा यूनिवर्सिटी के कर्मचारियाें काे ओब्लाइज करने के लिए किया गया था। खास बात यह है कि यह प्रस्ताव जून में हुई 97वीं बाॅम की बैठक में 11वें नंबर पर रखा गया था। इस प्रस्ताव काे मंजूरी भी मिल गई। चाैंकाने वाली बात यह है कि बाॅम की बैठक में भी किसी ने यह नहीं कहा कि यह रेप्सा एक्ट के तहत राज्य सरकार के नियमाें से ज्यादा अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जा जा सकता। प्रस्ताव पारित हाेने के बाद 21 अगस्त काे यह आदेश जारी किया गया कि छठा वेतनमान लेने वाले ऐसे कर्मचारी जाे ओवर टाइम नहीं कर रहे हैं उन्हें दाे-दाे माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। जाे कर्मचारी सातवे वेतनमान का लाभ लेने वाले हैं उन्हें एक-एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया। यदि इस आदेश पर अमल हाेता ताे यूनिवर्सिटी के छठा वेतनमान लेने वाले एक मंत्रालयिक कर्मचारी काे 80 हजार रुपए अतिरिक्त भुगतान किया जाता, वह भी बगैर ओवरटाइम किए। सहायक कर्मचारियाें काे भी दाे-दाे माह का अतिरिक्त वेतन मिलता ताे एक सहायक कर्मचारी के हिस्से कम से कम 25 से 30 हजार रुपए की राशि आती। जबकि अधिकारी वर्ग काे 80 हजार से 1 लाख रुपए तक का अतिरिक्त भुगतान किया जाता।
बाॅम से प्रस्ताव पारित हाेने के बाद कुलपति के निर्देश पर रजिस्ट्रार कार्यालय से भुगतान संबंधित आदेश 21 अगस्त 2020 काे जारी कर दिया गया था, लेकिन वित्तीय शाखा में अतिरिक्त भुगतान की राशि का आंकलन किया गया। यहां पता चला कि यह भुगतान राज्य सरकार के नियमाें में नहीं आता है। रेप्सा एक्ट में साफ है कि राज्य सरकार से ज्यादा अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जा सकता। यूनिवर्सिटी में मंत्रालयिक कर्मचारियाें की संख्या 165 है। इनमें से आधे कर्मचारी छठे वेतनमान वाले हैं। यानी इन्हें दाे माह का अतिरिक्त वेतन देने की तैयारी थी। जबकि आधे कर्मचारियाें काे एक माह का वेतन देने की तैयारी थी। आदेश के मुताबिक यदि ओवरटाइम लेने वालाें का भुगतान एक माह के वेतन से कम है ताे उन्हें भी शेष राशि का भुगतान करके एक माह के बराबर भुगतान किया जाता। सहायक कर्मचारियाें की संख्या 103 है। इन्हें यदि दाे-दाे माह का वेतन दिया जाता और कम से कम 15 हजार वेतन भी माने ताे 30 हजार रुपए एक कर्मचारी काे मिलते। छठे वेतनमान वाले एक मंत्रालयिक कर्मचारी का कम से कम वेतन 40 हजार रुपए भी माने और दाे माह का अतिरिक्त भुगतान दिया जाता ताे राशि लगभग 60 लाख रुपए से ज्यादा की हाेती है। सातवें वेतनमान वाले कर्मचारियाें का अलग। यानी यह राशि सवा कराेड़ से ज्यादा तक पहुंच जाती।
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