Post Views 1231
September 12, 2020
वैसे ज़िला बने न बने कोरोना का तो ज़िला बन चुका है ब्यावर
भूतड़ा का भूत घर में तो शंकर सिंह रावत का ज़िन्द धरने पर_
रावत की औक़ात टंगी सूली पर_
कैसे जानने के लिए पढ़ें ये बावला ब्लॉग_
*✒सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
ब्यावर में कोरोना ने आतंक मचा कर उसे "कोरोना जिला" घोषित कर दिया है। आज सुबह सुबह ही 36 मरीज़ पॉजिटिव आ चुके हैं। अब तक कई मारे जा चुके हैं ।भाजपा नेता व विधायक ब्यावर को ज़िला बनाए जाने की पुरानी ज़िद पर फिर से धरने पर बैठे हुए हैं ।उधर उन्हीं की पार्टी के पूर्व विधायक देवीशंकर भूतड़ा कोरोना के आतंक से बचने के लिए घर में सुरक्षित बैठे हुए हैं।
ब्यावर आदिकाल से प्रतिक्रियावादी शहर रहा है ।अजमेर ज़िले में केकड़ी और ब्यावर प्रतिक्रियावादी शहर माने जाते हैं 1 मिनट में यहां लोगों का ख़ून खौल उठता है ।नसीराबाद के लोग खुराफाती माने जाते हैं ।मौका मिलते ही कोई ना कोई खुराफ़ात खड़ी कर देते हैं ।पुष्कर के लोगों की भावनाएं बहुत जल्दी आहत होती हैं।ज़रा कोई धार्मिक बात खड़ी हो जाए तो भावनाओं को ठेस लगने में देर नहीं लगती ।किशनगढ़ के लोग आसानी से सड़कों पर नहीं आते ,उन्हें निकालना पड़ता है ।उनकी भावनाएं अंडरकरेंट चलती हैं।
यह पूरा ज़िला कुल मिलाकर मौखिक क्रांति में अव्वल दर्जे का स्थान रखता है ।राज्य में ही नहीं पूरे देश में अजमेर ज़िले को डींग मारने वाले नेताओं का ज़िला कहा जाता है। यहां चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या कोई और पार्टी ,सभी के नेता बयानबाज़ी में सबसे ज्यादा आगे रहते हैं ।होता जाता किसी से कुछ नहीं । सब अपने अपने शहर के दो चार पत्रकारों को पालकर अपनी राजनीति चलाते रहते हैं। अखबार में नाम आ जाने पर घर में खीर बनाकर खाते हैं।
ब्यावर के नेताओं में अखबार बाज़ी का शौक अपेक्षाकृत कुछ ज्यादा है ।ब्यावर को ज़िला बनाया जाना चाहिए और वह बहुत जल्दी बनाया भी जाएगा, लेकिन ब्यावर के नेता ज़िला बनाए जाने के लिए जो राजनीतिक खेल रहे हैं वह मेरी समझ के बाहर है ।
यहां कांग्रेस तो जैसे भाजपा के मजे लेने के लिए ही पैदा हुई है। ख़ुद कुछ नहीं करती ।भाजपा कुछ करे तो उसके कपड़े खींचने फाड़ने में लग जाती है।
प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है। कांग्रेस चाहे तो ब्यावर को जिला बनवाकर बढ़त ले सकती है ।यह साबित कर सकती है कि उनके प्रयासों से , उनकी इच्छाशक्ति से ज़िला बना, मगर कांग्रेस जब जब भी सत्ता में रही ,यहां के कांग्रेसियों ने केवल ट्रांसफर करवाए ,दुश्मनों से बदले लिए, अपने उल्लू सीधा किए। जनता उनके लिए ऐसी घोड़ी बनी रही जिस पर बैठकर उन्हें हर रोज़ प्रभात फेरी करनी होती है ।
अपना मतलब सिद्ध करने में लगी कांग्रेस के बाद ,भाजपा को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी मगर ब्यावर की भाजपा में जलने की बदबू बहुत जल्दी आने लगती है ।एक नेता का कुर्ता ज्यादा सफेद नज़र आ जाए तो दूसरे नेता के कुर्ते से झांकती बनियान भौंकने लगती है। नेताओं के बदन से बिजली के तार जलने की बदबू आने लगती है ।
इन दिनों देहात भाजपा अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा के कुर्ते से विधायक शंकर सिंह रावत को बदबू आ रही है। रावत अपने आप को ज़मीन से जुड़ा राजनेता मानते हैं ।उनकी जड़ें शहर में ही नहीं मगरा इलाके में गहरी और मजबूत मानी जाती हैं ।वह कहने को तो भाजपा को एक जाजम पर बैठाने की बात करते हैं मगर उनमें भूतड़ा एंड पार्टी को लेकर भारी रोष है ।उनका वश नहीं चलता वरना भूतड़ा को वे ज़िला बनाने से पहले ठिकाने लगा दें।
दरअसल ब्यावर को ज़िला बनाने से ज्यादा भाजपा के नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने में अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं ।एक नेता पद यात्रा करता है तो दूसरा पोस्ट कार्ड अभियान चला देता है ।
दो दिन पहले मैंने एक अखबार में पढ़ा जिसमें विधायक शंकर सिंह रावत का बयान छपा था कि यदि वे अपनी औक़ात पर आ गए तो अकेले दम पर ब्यावर को जिला बनवा देंगे। पढ़कर लगा कि बाहुबली रावत आख़िर कब अपनी औकात में आएंगे इतने सालों से गांठ के घोड़े खोल रहे हैं अब तक अपनी औकात में क्यों नहीं आए पदयात्रा करते रहे। अब धरने पर बैठे हैं।चांग गेट में सोशल डिस्टेंसिंग की बारह क्यों बजा रहे हैं हे रावत पुत्र!! बाहुबली नेता जी!! एक बार अपनी औकात में आ ही जाओ!! क्या आपको औक़ात में लाने के लिए देवीशंकर भूतड़ा की उंगली चाहिए। जब वे उंगली टेढ़ी करेंगे, तब आपकी औकात बाहर आएगी
प्रभु !! करुणावतार !! ब्यावर को ज़िला बनाना है ।आप जितनी जल्दी हो सके औकात में आ जाओ !! आपकी औक़ात गर ज़िला बना सकती है तो उसे शरीर के किसी हिस्से में कुलबुलाने मत दो ,उसे शरीर से बाहर निकालो ।नगाड़े बजाओ।थाली बजाओ। भोपाजी बनकर उछलो कूदो।औकात का आव्हान करो ! जैसे भोपों को भाव आते हैं ,वैसा कुछ करो!! चांग गेट जहां आप धरना देकर बैठे हैं वहां भूचाल आ जाना चाहिए! आपकी औकात देखने को अब पूरा जिला आप पर नज़र टिकाए बैठा है । दिखा दो एक बार औकात हे मेरे बाहुबली!
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved