Post Views 11
September 12, 2020
कोविड संकट के बीच भी सरकार के खर्च की रफ्तार कम नहीं हुई है। सरकार के खर्च की गाड़ी चल तो रही है लेकिन उधार के दम पर। अपना खर्च चलाने के लिए सरकार को इस बार कर्ज का भारी भरकम बोझ भी अपने उपर लेना पड़ा है। रोजमर्रा के खर्चों को चलाने के लिए ही सरकार अब तक 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है। जबकि पिछले साल इसी अवधि तक यह रकम इसकी आधी भी नहीं थी। दरअसल कोविड लॉकडाउन के चलते एक तरफ सरकार का टैक्स कलेक्शन चरमरा रहा है दूसरी तरफ केंद्र सरकार की तरफ से भी जीएसटी कंपनसेशन नहीं दिया गया है। इसलिए सरकार को अपने खर्च चलाने के लिए बाजार से उधार लेना पड़ रहा है। हालांकि खर्चों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। अप्रेल से लेकर जुलाई तक राज्य सरकार ने स्कीम बजट में से 32 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो कि कुल स्कीम बजट का करीब 30 प्रतिशत है। इसमें से 16 हजार करोड़ सिर्फ सोशल सेक्टर पर खर्च किए गए हैं। कोविड 19 के चलते प्रदेश में मुफ्त राशन, कैश सब्सिडी सहित कई योजनाओं पर सरकार ने भारी भरकम खर्च किया है। इसमें केंद्र सरकार ने भी करीब 1500 करोड़ रुपए राहत कार्यों के नाम पर राज्य सरकार को भेजे हैं। कृषि व इससे संबंधित सेवाओं पर भी ठीक-ठाक खर्च किया गया है। इस सेक्टर पर अब तक 3800 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों पर भी सरकार का फोकस है। ग्रामीण विकास विभाग से जुड़ी योजनाओं पर करीब 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। हालांकि बड़े प्रोजेक्ट्स पर इसकी मार भी पड़ी है। खास तौर पर सिंचाई परियोजनाओं पर होने वाला खर्च इससे प्रभावित हुआ है। सिंचाई परियोजनाओं पर अब तक 650 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए हैं। इनके अलावा ट्रांसपोर्ट पर भी एक हजार करोड़ रुपए का ही बजट खर्च हुआ है। कोविड लॉकडाउन के चलते प्रदेश में करीब 4 महीने से ज्यादा समय तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी बंद रहा। ऐसे में इस सेक्टर पर होने वाला खर्च भी प्रभावित हुआ है। पॉवर सेक्टर पर 4 हजार करोड़ रुपए का खर्च हुआ है लेकिन इस सेक्टर के लिए ज्यादा खर्च नई बात नहीं है।
Satyam Diagnostic Centre
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved