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September 10, 2020
अच्छा हुआ पोस्टर ही फाडे वरना तो.....कांग्रेस की छवि फाड़ कर तार तार कर दी जाती
पोस्टर फाड़ने ,थाने पहुंचने या रघु शर्मा हाय हाय के नारे लगाने का नुक़सान ही हुआ सचिन को
पुलिस वाले गुंडे बदमाशों को तो देखते ही पहचान लेते हैं, राकेश पारीक को नहीं
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अच्छा हुआ पोस्टर ही फाड़े गए वरना तो मुझे लग रहा था कि सुनियोजित गुस्से में आए लोग कहीं कपड़े या और कुछ ... ना फाड़ दें। राजस्थान में कांग्रेस फट चुकी है और राजनेताओं की झूंठी ज़िद इस फटी कांग्रेस में टांग अड़ा रही है।
अगली बार राज्य में कांग्रेस का फिर से सत्ता में लौटना नामुमकिन है। राजनेताओं और उनके चिलगोजों ने जो स्थिति पैदा कर दी है वह एक क्या कई ललित माकन आ जाए तो भी फटने से नहीं बच सकती।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों अपनी-अपनी प्रभुसत्ता को लेकर पूरी तरह से बावले हो चुके हैं। शक्ति प्रदर्शन के चक्कर में पार्टी की इज्जत पूरी तरह फट चुकी है। पार्टी की फाड़ने में दोनों तरफ से बराबर की ताक़त लगाई जा रही है। पहले पार्टी की बाड़ों में रहकर फाड़ी जा रही थी अब सड़कों पर आकर।
कल अजय माकन अजमेर संभाग के नेताओं से बात करने आए। उनका मक़सद सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पिछले दिनों आई दरार को कम करना था मगर यह दरार कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है ।
अजमेर में गहलोत और पायलट के समर्थक न केवल आपस में भिड़े बल्कि उन्होंने गुंडागर्दी के स्तर तक पहुंच कर पोस्टर फाड़े, नारेबाजी की। ख़ास तौर से सचिन पायलट के पक्ष में नारे लगाने वाले लोग ज्यादा छिछोरे नज़र आए। अपनी बात कहने का भी अलग अंदाज होता है। बात नम्रता से भी कही जा सकती है मगर यहां तो नारा लगाने में सीना ज़ोरी नज़र आ रही थी। कई तो नारों में गालियां तक इस्तेमाल कर रहे थे ।
सचिन पायलट के समर्थकों में कांग्रेसी की जगह जाति विशेष के लोग शामिल थे। उनकी आस्था कांग्रेस में नहीं बल्कि सचिन पायलट में थी। उनकी नज़र में सचिन पायलट कांग्रेस के नहीं उनकी जाति के नेता थे।
संख्या बल के हिसाब से शक्ति प्रदर्शन का दवाब बनाया जा सके इसके लिए किशनगढ़ में राजू गुप्ता ने खुद को सचिन पायलट मान कर शक्ति दिखाई तो नाथूराम सिनोदिया ने अपने आप को गहलोत की जगह रखकर ।
अजमेर मसूदा के विधायक राकेश पारीक ने भी अजीब किस्म की राजनीति का परिचय दिया। अपने कार्यकर्ताओं को थाने से छुड़वाने के लिए पहुंचे। पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें न पहचाने जाने पर नाटक किया। पुलिस वालों को लपकाया।
अरे यार आप कोई खुदा तो हो नहीं ,जो हर पुलिस वाला आप को पहचाने !! आप इतने लोकप्रिय और कद्दावर चेहरा भी नहीं कि आप के पोस्टर चौराहों पर लगे रहते हों!! हर शहर में !!
पुलिस वाले तो वैसे भी अपराधियों को ही पहचानते हैं । गुंडे बदमाशों को तो देखते ही पहचान लेते हैं। राजनेताओं से उनका क्या लेना-देना है वैसे आप हैं भी किस खेत की मूली ! मामूली से विधायक ही तो हैं। नए-नए विधायक बने हैं ।आपने कोई ऐसा भारी काम भी नहीं किया है कि पूरा संभाग या पूरा राजस्थान आप को जान ले!!
आप मसूदा क्षेत्र के किसी सरकारी दफ्तर में ही चले जाएं आपको 40 प्रतिशत कर्मचारी ही नहीं पहचान पाएंगे। और तो और आप सरवाड़ के किसी प्राइमरी स्कूल में चले जाएं जहां आपका बचपन बीता है, वहां भी दावा है कि आपको स्कूल के बच्चे तक नहीं पहचानेंगे !
और आप उम्मीद करते हैं कि हर पुलिस वाला आप को पहचाने!! राकेश पारीक जी आप बेहद आम आदमी जैसा व्यक्तित्व रखते हैं। कृपया डॉ रघु शर्मा बनने की कोशिश ना करें !!
डॉक्टर रघु शर्मा को पुलिस वाले विगत 30 सालों से पहचानते हैं ।उनके क़द तक पहुंचने में आपको अभी 30 साल लगेंगे।
रघु शर्मा को पूरा राजस्थान पहचानता है ।उन्होंने राजनीति में बड़े-बड़े पापड़ बेले हैं ।उन्हें राजस्थान तभी पहचानने लग गया था जब वे राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष बने । आप जितने साल से विधायक नहीं रहे उनसे कई गुना साल से तो वे मंत्री रहे हैं। सांसद रहे हैं। विधायक रहे हैं ।अधिकारियों में उनका जलवा मिनी मुख्यमंत्री के रूप में रहा है। उन्हें राज्य का हर छोटा-बड़ा अधिकारी नाम से ही नहीं शक्ल से भी जानता है ।आपको सत्ता का बुखार तो पिछले कुछ महीनों में चढ़ा है ।अभी तापक्रम थोड़ा और बढ़ने दीजिए ।
आप को मामूली पुलिस वालों ने नहीं पहचाना तो आप आग बबूला हो गए ।विधायकों के माथे पर लिखा तो नहीं होता कि वे विधायक हैं।आपको क्या अभी तो सचिन पायलट को भी पूरा राजस्थान नहीं जानता ।
पहले आप अपने क़द को इस लायक कीजिए कि लोग आप को पहचाने ।आपको यदि कोई नहीं पहचानता तो यह उनकी भूल नहीं आपकी कमी है।
जहां तक कल के कार्यक्रम में शक्ति प्रदर्शन का सवाल है ,अजय माकन छोटे-मोटे नेता नहीं, बहुत समझदार और सुलझे हुए नेता हैं। वे प्रायोजित नेतागिरी और नारे लगाने वाले नारे बाजों की औकात समझते हैं। डॉ रघु शर्मा की हाय हाय करने या उनके पोस्टर फाड़ने से आप ने सचिन पायलट को फायदा नहीं पहुंचाया बल्कि नुकसान पहुंचाया है ।
जिस सचिन पायलेट ने आज तक अपनी संजीदगी नहीं खोई।आज तक गहलोत का अपमान नहीं किया।आज तक डॉ रघु शर्मा को बुरी नज़र से नहीं देखा।भले ही गहलोत ने उनको निकम्मा, नकारा और धोखेबाज़ तक कह दिया हो। जब सचिन पायलट ने अपनी गरिमा नहीं खोई तो उनके चिलगोजों की इतनी हिम्मत कैसे हो गयी
मेरा दावा है कि यदि रघु शर्मा के पोस्टर फाड़ने वाली बात पर पायलेट से सवाल पूछा जाए तो वे खुद उसकी घोर निंदा करेंगे।
पायलट के पक्ष में नारे लगाने वालों में कुछ असामाजिक तत्व भी शामिल थे यह बात अजय माकन तक भी पहुंची है । इससे सचिन पायलट की छवि खराब ही हुई है।
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