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अजमेर न्यूज़: तनाव मुक्त होकर योग से मिलेंगे बेहतर परिणाम - देवनानी

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June 17, 2017

योग साधकों को सिखायी विभिन्न योग क्रियाएं एवं नियम 

अजमेर । शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्य मंत्री  वासुदेव देवनानी ने कहा कि योग के कुछ नियमों का नियमित पालन कर अभ्यास किया जाए तो स्वास्थ्य के लिए बेहतर परिणाम हासिल हो सकते हैं। अभ्यास के समय आरामदायक स्थिति में शरीर एवं श्वास-प्रश्वास की सजगता से योग आरम्भ किया जाता है। विशेष निर्देश के अलावा नासिका से ही श्वसन किया जाना चाहिए। शरीर को लचीला एवं तनावमुक्त रखकर योगाभ्यास किया जाए। 

शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्य मंत्री देवनानी ने बताया कि क्षेत्रा में 30 स्थानों पर संचालित शिविरों में क्षेत्रावासियों की रूचि व झुड़ाव से सम्पूर्ण क्षेत्र का वातावरण योगमय हो गया है। देवनानी ने आज अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्रा में विभिन्न स्थानों पर आयोजित योग शिविरों में योग साधकों सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि साधकों  को अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता के अनुसार ही अभ्यास करना चाहिए। अपेक्षित परिणाम के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है । योगाभ्यास का समापन ध्यान एवं मौन के साथ करने से आत्मिक एवं आध्यात्मिक प्रगति में तेजी आती है। अभ्यास के लगभग आधे घण्टे पश्चात ही स्नान एवं भोजन जैसे अन्य क्रियाकलाप किए जाने चाहिए। 

उन्होंने कहा कि योग शारीरिक, स्नायु एवं कंकाल से संबंधित कार्यों के साथ-साथ हृदय और नाड़ियों के स्वास्थ्य के लिए भी हितकर होता है। यह मधुमेह, श्वसन, रक्तचाप एवं जीवनशैली के विकारों के प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभाता है। योग अवसाद, थकान, चिंता, तनाव को कम करने में सहायक होता है। योग शरीर एवं मन के निर्माण की ऐसी प्रक्रिया है जो समृद्ध और परिपूर्ण जीवन की उन्नति का मार्ग है। 

वार्ड 51 में क्षेत्रापाल हास्पीटल के पास संचालित योग शिविर में आज राजस्थान धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह लखावत ने सम्बोधित करते हुए योग के महत्व पर प्रकाश डाला तथा अजमेर उत्तर में आयोजित किये जा रहे शिविरों की सराहना की।

इसी प्रकार वार्ड 49 में वैभव वाटिका लोहाखान में आयोजित योग शिविर में अजमेर जिले के भाजपा संगठन प्रभारी श्री महेश शर्मा उपस्थित हुए तथा शिविरार्थियों को सम्बोधित किया। 

विभिन्न स्थानों पर योग शिक्षकों ने बताया कि सदलज, चालन अथवा शिथीलीकरण की क्रियाओं के द्वारा शरीर में सूक्ष्म संचरण बढ़ाने में सहायता मिलती है। इसमें पैरों के बल आराम से खड़े होकर संचालन क्रियाएं की जाती है। सामान्यतः ग्रीवा (गर्दन), स्कंद (कंधा), कटि (कमर) एवं घुटनों का संचालन इसके अन्तर्गत समाहित किया गया है।  हाथों को कमर पर रखकर ग्रीवा चालन सम्पादित किया जाता है। श्वास को बाहर निकालते हुए सिर को धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकाए और थुड़ी को वक्ष स्थल पर स्थित कण्ठकूप पर लगाने का प्रयास करें। श्वास को अन्दर लेते हुए सिर को जितना पीछे ले जा सकते है ले जाएं।  द्वितीय चरण में श्वास को बाहर छोड़ते हुए सिर को धीरे-धीरे दायी तरफ झुकाएं। कान को गर्दन के पास तक स्पर्श करने का प्रयास करें। श्वास को अन्दर लेते हुए सिर को सामान्य स्थिति में लाए। श्वास को बाहर छोड़ते हुए सिर बायी तरफ झुकाएं। पुनः सामान्य स्थिति में आए इस चरण में कंधों को ऊपर उठाने से बचना चाहिए। यह प्रक्रिया 2 बार दोहराएं।  तृतीय चरण में श्वास को बाहर छोड़ते हुए सिर को धीरे-धीरे दायी ओर घुमाकर ठुड्डी को कंधे के समानान्तर लाने का प्रयास करें। श्वास को अन्दर लेकर सिर को सामान्य स्थिति में लाए। श्वास बाहर छोड़ते हुए सिर बायी ओर घुमाएं। पुन- सामान्य स्थिति में लाए। चतुर्थ चरण के अन्तर्गत ग्रीवा को चारो तरफ घुमाया जाता है। श्वास छोड़ते हुए सिर को सिने के लगाए। श्वास को अन्दर लेते हुए घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में घुमाएं। सामने सिने पर ठुड्डी लगते समय श्वास छोड़े। यही प्रक्रिया घड़ी की सुई की दिशा में दोहराएं। 

उन्होंने साधकों को स्कंध संचालन की जानकारी देते हुए बताया कि सीधा खड़े रहते हुए बगल से दोनो भुजाओं को सिर से ऊपर उठाएं ओर नीचे लाए।इसके पश्चात हाथो का जांघो के सामानान्तर लेकर आए। इसके द्वितीय चरण में हाथो को कोहनी से मोड़कर अंगुलियां कंधे पर रखे। दोनो कोहनियों को चकराकार घुमाएं।कोहनियों के सिने की तरफ आने पर उन्हें मिलाने की कोशिश करें। यही प्रक्रिया विपरीत दिशा में भी दोहराएं, ऐसा 5 बार करें। यह क्रिया कंधे के आसपास की हड्डीयों, मांसपेशियों, तंत्राीकाओं एवं सर्वाइकल स्पान्डिलाइट्स (रीढ़ की हड्डी की अपकर्षण) के लिए लाभदायक होती है। 

शिविर सह संयोजक सुभाष काबरा ने बताया कि कुशल योग शिक्षकों के मार्गदर्शन में कराये जा रहे योगाभ्यास में दिनों दिन साधकों की संख्या में बढोतरी हो रही है। 


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