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June 9, 2017
नई दिल्ली- जेएनएन। राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले आगामी चुनावों में शिवसेना भाजपा को इस तरह घेरने की रणनीति बनाई है जिसमें पार्टी की हालत कहा भी न जाए और सहा भी न जाए जैसी हो सकती है। पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करके भाजपा को शर्मिंदा कर चुकी एनडीए की अहम सहयोगी शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि वह इस चुनाव में अपना अलग रुख अपना सकती है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि वह राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उम्मीदवारी पर जोर देती रहेगी।शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि हम आगामी राष्ट्रपति चुनाव में अपने वोट को लेकर अलग रुख अपना सकते हैं। हमने बार-बार कहा है कि हम हिंदू राष्ट्र के सपने को पूरा करने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत से अधिक सक्षम किसी और को नहीं देखते। राज्यसभा सदस्य राउत ने यहां कहा कि पार्टी आखिर तक भागवत का नाम सुझाती रहेगी।सबसे पुराने सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना ने 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन करके भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी। भाजपा ने इस पद के लिए पीए संगमा का समर्थन किया था।
शिवसेना ने 2007 में भी एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भैंरो सिंह शेखावत के बजाय यूपीए की उम्मीदवार और कांग्रेस नेता प्रतिभा पाटिल के लिए वोट दिया था। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें ‘बड़ा भाई कहा था। इस तरह से उन्होंने दोनों भगवा दलों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में नरमी का संकेत दिया था।राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और भाजपा को उम्मीद है कि उसे शिवसेना के 18 सांसदों और 63 विधायकों का समर्थन मिलेगा।
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