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June 1, 2017
रिपोर्ट- देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस बात पर चिंतित है कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह जो बार बार कह रहे हैं कि सरकार कश्मीर समस्या का अंतिम समाधान निकालेगी, वह अंतिम समाधान क्या है। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब जब अंतिम समाधान की बात होती है तो उसका नतीजा अच्छा नहीं होता है। इसलिए कांग्रेस जानना चाहती है कि अंतिम समाधान से राजनाथ सिंह का क्या मतलब है।
सरकार इस बारे में खुल कर कुछ भी नहीं बोल रही है। लेकिन एक सोची समझी रणनीति के तहत अंतिम समाधान की बात कही जा रही है। जिस दिन मनीष तिवारी ने सवाल पूछा उस दिन भी राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार इस समस्या को निर्णायक तरीके से सुलझाएगी। असल में भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि सरकार जम्मू कश्मीर की समस्या का होमियोपैथी तरीके से इलाज कर रही है। जिस तरह होमियोपैथी इलाज में बीमारी को पहले बढ़ाया जाता है और फिर उसको जड़ से खत्म किया जाता है, उसी तरह का इलाज कश्मीर का भी होगा।
भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर तात्कालिक समाधान निकालना हो तो सरकार तुरंत ही शांति बहाल कर देगी। लेकिन उससे कश्मीर समस्या का नासूर खत्म नहीं होगा। इसलिए सही समय का इंतजार किया जा रहा है, जब अंतिम समाधान की पहल होगी। बताया जा रहा है कि वह सही समय चुनाव से ठीक पहले का हो सकता है। इसकी शुरुआत नए राज्यपाल से होगी। नए राष्ट्रपति के चुने जाने के बाद जम्मू कश्मीर में नया राज्यपाल नियुक्त होगा और उसके बाद सरकार निर्णायक समाधान की ओर बढ़ेगी।
बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने या राज्य को तीन हिस्से में बांटने की पहल होगी। सरकार इन दो में से कोई एक कदम उठा सकती है। कोई भी कदम उठाया जाएगा तो घाटी से लेकर राजधानी दिल्ली तक उसका बड़ा विरोध होगा। उस विरोध को काबू में करने के लिए सरकार को पहले से कुछ तैयारियां करनी होंगी। अगले साल राज्यसभा के दोवार्षिक चुनाव के बाद राज्यसभा में भाजपा मजबूत होगी और कांग्रेस की ताकत बहुत घट जाएगी। साथ ही राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों भाजपा के एजेंडे को लागू करने पर सहमत होंगे। तभी सरकार कोई पहल करेगी।
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