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June 1, 2017
रिपोर्ट- जैसे जैसे वस्तु व सेवा कर, जीएसटी कानून लागू करने का समय नजदीक आ रहा है, राज्यों की बेचैनी बढ़ रही है। एक तरफ भाजपा, सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी को ऐतिहासिक आर्थिक सुधार मान रहे हैं तो दूसरी ओर कई विपक्षी पार्टियां और राज्यों की सरकारें इसे लागू करने को लेकर हिचक रही हैं।
जीएसटी की अधिकार प्राप्त मंत्री समूह के अध्यक्ष रहे पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने इस पर अमल की तारीख आगे बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि उनका राज्य एक जुलाई से इसे लागू करने के लिए तैयार नहीं है। मित्रा ने जीएसटी की दरों पर भी सवाल उठाए और इनमें सुधार के लिए कहा। उन्होंने बुनियादी ढांचे का सवाल उठाया और कहा कि इसे तुरंत लागू करना मुश्किल होगा।
इसी तरह दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस पर अमल को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को कर की दरें और कम करनी चाहिए और कर वसूली के सिस्टम को बेहतर बनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इतने बड़े आर्थिक सुधार को लागू करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे की कमी है। सिसोदिया को लग रहा है कि इसमें अमल में कई मुश्किलें आएंगी और महंगाई बढ़ सकती है। हालांकि सभी राज्यों ने जीएसटी पर सैद्धांतिक सहमति दी है और इस पर अमल टालने की सलाह देने वाले राज्यों ने भी अपनी विधानसभा से इसे पास कर दिया है। बहरहाल, सरकार इसे टालने के मूड में नहीं है और प्रधानमंत्री मोदी व वित्त मंत्री अरुण जेटली दोनों ने एक जुलाई से इसे लागू करने का संकल्प जाहिर किया है।
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