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राष्ट्रीय न्यूज़: 1961 बैच के आईपीएस निर्मल कुमार सिंह का 7 अक्टूबर को निधन हो गया. इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ, सिंह ने हमेशा सत्य का साथ निभाया.

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October 9, 2025

जीप खरीद घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी होनी थी. कई अधिकारी इससे पीछे हट रहे थे, लेकिन एन.के सिंह ने बिना हिचकिचाहट के यह दायित्व स्वीकार किया

एक IPS जिसे सौंपी गई थी पूर्व प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी

1961 बैच के आईपीएस अधिकारी निर्मल कुमार सिंह (एन.के. सिंह) का 7 अक्टूबर को निधन हो गया. इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ, एन.के. सिंह ने हमेशा सत्य का साथ निभाया.

बीते 7 अक्टूबर को भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के दिग्गज अधिकारी, निर्मल कुमार सिंह (एनके सिंह) का निधन हो गया. वे 1961 बैच के आईपीएस (ओडिशा कैडर) अधिकारी थे. बिहार के मधेपुरा जिले में जन्मे एन.के सिंह ने अपनी पूरी जिंदगी अनुशासन, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के सिद्धांतों पर जिया. राजनीतिक दबावों के बावजूद सच्चाई का साथ नहीं छोड़ा, जिसकी वजह से उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर भारी कीमत चुकानी पड़ी. उनकी कहानी न केवल पुलिस सेवा की चुनौतियों को उजागर करती है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में ईमानदार अधिकारियों की भूमिका को भी रेखांकित करती है. उनकी किताब The Plain Truth (हिंदी में ‘खरा सत्य’ ) उनके जीवन के उतार-चढ़ावों का जीवंत चित्रण हैं, जो राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई को दर्शाती हैं

सबसे बड़ी चुनौती

एन.के सिंह का प्रारंभिक जीवन बिहार के ग्रामीण इलाके में बीता, जहां उनके परिवार की स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी ने उन्हें नैतिक मूल्यों से जोड़ा. राजनीति विज्ञान में शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुछ समय तक रांची विश्वविद्यालय में अध्यापन किया. भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद उनकी पहली नियुक्ति सीबीआई में 1972 से 1980 तक रही, जो उनके करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण दौर था. 1977 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार ने उन्हें एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी सौंपी. उस समय जीप खरीद घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी होनी थी. कई अधिकारी इससे पीछे हट रहे थे, लेकिन एन.के सिंह ने बिना हिचकिचाहट के यह दायित्व स्वीकार किया.

पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी

3 अक्टूबर 1977 को एन.के सिंह ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक वी.आर. लक्ष्मीनारायणन के निर्देश पर इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया. मामला चुनावी उद्देश्यों के लिए जीपों की खरीद में पद का दुरुपयोग करने का था. गिरफ्तारी की प्रक्रिया काफी नाटकीय रही. इंदिरा गांधी ने जमानत लेने से इनकार कर दिया और हथकड़ी लगाने की मांग की. उनके समर्थकों ने भीड़ जुटाई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. सिंह ने दृढ़ता से स्थिति संभाली और गांधी को हरियाणा ले जाने की योजना बनाई, लेकिन रेलवे क्रॉसिंग पर रुकावट के कारण उन्हें दिल्ली के किंग्सवे कैंप पुलिस लाइंस में रखा गया. अगले दिन अदालत में पेशी के दौरान भगदड़ मच गई. अंततः श्रीमती गांधी को रिहा कर दिया गया. इस घटना ने एन.के सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बना दिया, लेकिन यह उनके लिए मुसीबतों की शुरुआत भी थी


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