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August 30, 2022
अनिल वनवानी . उदयपुर। वागड़-मेवाड़ की समृद्ध जैव विविधता के सतरंगी रंग अब दुर्लभ और अनोखे जीव जन्तुओं के यहां दिखाई देने के रूप में दिखाई देने लगे हैं। देश में पहली बार और विश्व में तीसरी बार ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की उदयपुर में साइटिंग के बाद अब संभाग के सागवाड़ा शहर के समीप काली गिलहरी दिखाई दी है। राजस्थान में अपनी तरह की पहली काली गिलहरी को खोजने, क्लिक करने और पुष्टि करने का श्रेय वागड़ नेचर क्लब सदस्य ख्यातनाम तितली विशेषज्ञ सागवाड़ा निवासी मुकेश पंवार को जाता है।
पंवार ने बताया कि दुर्लभ मेलाविस्टिक फॉर्म में गिलहरियां तो दिखाई देती हैं परन्तु सामान्य गिलहरियोंं के बीच एक विशिष्ट गिलहरी है काली गिलहरी। यह जीव पूर्णतया काले रंग में है, इसके शरीर के बाल, आंखें, पूंछ के बाल सभी कुछ एक जैसे काले रंग में हैं। दो अलग-अलग स्थानों पर दो काली गिलहरियां दिखाई दी हैं।
पादरड़ी बड़ी के सर्प विशेषज्ञ धर्मेंद्र व्यास ने बताया कि सामान्यत: समस्त जीवों की त्वचा का रंग आनुवांशिक रूप से निर्धारित रहता है, परन्तु लाखों में एक जीव मेलानिस्टिक (डार्क) फोर्म (गहरे या काले रंग) में हो सकता है। यह कोई रोग या आनुवांशिक नहीं भी हो सकता है। दुर्लभ जीव की साइटिंग पर वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा, वीरेंद्रसिंह बेड़सा, रूपेश भावसार, विनय दवे सहित अन्य सदस्यों सहित संभागभर के प्रकृति व पर्यावरण विशेषज्ञों ने खुशी जताई है।
संभवत: राजस्थान का पहला मामला
प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि राजस्थान में काली गिलहरी की साइटिंग का कोई आधिकारिक रिकार्ड उपलब्ध नहीं है, संभवत: राजस्थान का यह पहला मामला है। उन्होंने कहा कि समृद्ध जैव विविधता के कारण वागड़-मेवाड़ अंचल दुर्लभ प्रजातियों के जीवों के लिए भी मुफीद दिखाई दे रहा है, ऐसे में काली गिलहरियों की साइटिंग के बाद एक बार पुन: हमें इस जैव विविधता को सहेजने की तरफ ध्यान देना होगा।
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