Post Views 2021
February 20, 2022
सारी कविताएं
जो भूख पर लिखी गई
ज्यादा तारीफ खा कर
प्रगाढ़ बेहोशी में है,
सारी कविताएं जो
लिखी गई स्त्री की दशा पर
दिशा भ्रमित होकर
अभी भी मंच पर है,
सारी कविताएं जो
राजनीति पर लिखी गई
इतना ऊपर चढ़ी
पर कुर्सी के नीचे है
सारी कविताएं जो
अभी लिखी नहीं गई
किताबों में बसेरे को
वो कतार में है
अजीब दौर है
सब लिखा गया
सब पढ़ा गया
पर गया कहां?
शायद!!
कुछ को तालियों ने निगल लिया
कुछ तारीफ़ ने चबा लिया
और कुछ
लुप्त की कगार में है।
हमेशा कविता ने
बचाया है हमें
अब हमे कविताओं को
बचा लेना चाहिए...
मेधा..
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved