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March 31, 2021
भाजपा का निगम बोर्ड आँखों पर पट्टी बांध कर क्या दिखाना चाहता है
भागीरथ तो ज़मीन से गंगा निकाल लाया था ,और सांसद भागीरथ चौधरी पानी को ज़मीदोज़ होते देख रहे हैं!!
ईमानदारी तो द्रोपदी बनी निर्वस्त्र की जा रही है और भीष्म पितामह, पांडवों की विवशता के मूक दृष्टा बने हुए हैं!
हे भागीरथ जी !! अब आप सांसद हो गए हो विधायक और पार्षद जैसा व्यवहार मत करो! प्लीज..
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
शहर की प्रथम नागरिक हैं हाडा रानी भाभी बृज लता ! स्मार्ट समिति के अध्यक्ष! उम्मीद की जा रही थी कि वे अपनी चार आंखों से, चारों तरफ का ध्यान रखेंगी! चार आंखों में उनके पति भाजपा के शहर अध्यक्ष प्रिय शील हाडा की दो आंखें भी शामिल हैं।नगर निगम के आयुक्त स्मार्ट सिटी योजना के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं ।यह पद मेयर हाडा रानी के सहायक के रूप में ही आता है।दो आंखें यदि उनकी भी जोड़ ली जाएं तो छह आंखें हो जाती हैं। ये आंखें यदि एक साथ खुली रहें तो शहर की परवरिश ढंग से हो सकती है, मगर मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि ये आंखें पिछले कई दिनों से जानबूझकर बंद पड़ी हैं।
शहर में वह सब कुछ हो रहा है जिससे शहर की इज़्ज़त पर ख़तरे मंडरा रहे हैं । स्मार्ट सिटी योजनाओं की आड़ में सिटी को घोड़ी बनाकर उस पर माफिया सवारी कर रहे हैं।
बंद आंखों को सिर्फ़ होली का हुड़दंग नज़र आ रहा है। फाग महोत्सव के नाम पर हेल्थ गाइड लाइन का जो हश्र हुआ वह तो पूरा शहर जानता है। मीडिया में उनकी कई स्तरों पर निंदा की जा चुकी है। अब बंद आंखों के ऊपर काला चश्मा चढ़ा कर शहर को देखा जा रहा है।
ईमानदार छवि वाली भाभी हाडा रानी की बंद आंखों के सामने खेला चल रहा है। उनके कार्यकाल में यदि ईमानदारी की यही शुरुआत है तो आगे चलकर क्या होगा अभी से पता चल रहा है ।
जिला प्रशासन पहले से ही स्मार्ट आंखों के माध्यम से शहर को बर्बाद करने वाली योजनाओं को पूरा करने के मूड में है ।
बाटा तिराहे को लेकर शहर के व्यापारियों का विरोध देख कर लग रहा है कि वे भी अब जान गए हैं कि उनका विरोध किसी नपुंसक द्वारा खरीदे जाने वाले निरोध जैसा होता जा रहा है।वे विरोध कर रहे हैं और उनके विरोध को अनदेखा कर प्रशासन वही करते जा रहा है जो उसे करना है ।व्यापारी लाख सही हैं। उनके द्वारा उठाए जाने वाले सारे सवाल लाख व्यवहारिक हैं मगर उनके विरोध को प्रशासन, विरोध की तरह ले ही नहीं रहा ।हस्ताक्षर अभियान या धरने उन्हें ओछे लग रहे हैं ।
आनासागर के मूल स्वरूप को पूरी तरह बदला जा चुका है । माफियाओं ने जो किया वह अब स्मार्ट अधिकारी कर रहे हैं। कृत्रिम ज़मीन बनाने की जो विधि भू -माफियाओं ने इज़ाद की थी वह प्रशासन ने अपना ली है ।अब भूमाफियाओं को कुछ नहीं करना ।आना सागर में मिट्टी भरने का काम खुद प्रशासन कर रहा है ।
नगर सुधार न्यास के पूर्व चेयरमैन धर्मेश जैन बेकार अपनी सारी ऊर्जा आनासागर को बचाने में लगा रहे हैं।
मेरे जैसा मामूली पत्रकार अपनी ईमानदार कलम को लेकर तलवार की मुद्रा में अनावश्यक रूप से हवा में घुमा रहा है। हवा काट रहा है। बेनतीजा ज़िद लेकर बैठा हुआ है।
स्मार्ट सिटी योजना केंद्र सरकार की योजना है और केंद्र सरकार की तरफ से भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी भी ज़िले में मौजूद हैं।वे चाहें तो इस केंद्रीय योजना की रफ्तार और रिमोट अपने हाथों में ले सकते हैं मगर मुझे अफसोस है कि वे अभी भी सांसद की तरह व्यवहार नहीं कर रहे।बरसो विधायक रहने के कारण वे अब भी विधायकों की मानसिकता से उबर नहीं पा रहे ।
नगर पालिका के चुनाव में कांग्रेसी पार्षद प्रदीप गुप्ता के बूथ पर वे जिस तरह पहुंचे और उनके साथ जिस तरह शारीरिक ज़बरदस्ती जैसी घटना हो गई । और कोई सांसद होता तो सबक सिखा कर ही दम लेता , मगर उनके पार्षदों जैसे व्यवहार ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह उसी व्यवहार के लायक हैं ।
उनसे मैंने फोन पर बात की। आनासागर को लेकर ।बोले होली के बाद वे मुआयना करेंगे । उनके जिले में क्या कुछ हो रहा है वे जानते ही नहीं। किशनगढ़ में रहकर अपने कर्तव्यों पर कुंडली मारकर बैठना उनकी फितरत है ।
वे अच्छी तरह जानते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट फैसला है कि देश की किसी भी झील, तालाब या नदी के डूब क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं किया जा सकता। उसके मूल स्वरूप के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नही की जा सकती। यदि ऐसा किया जाता है तो वह न्यायिक आदेश की अवहेलना है ।उस पर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की कार्रवाई की जा सकती है। ....मगर यह जानते बुझते वे आनासागर को बचाने के लिए मुट्ठी नहीं तान रहे।
होली के बाद कुछ करेंगे। कलेक्टर साहब से जानकारी हासिल करेंगे , जैसे जुमले बोलकर काम नहीं चलेगा सांसद महोदय!! आपको अपनी हैसियत तो तय करनी ही होगी!! आपके अधिकारों की सीमाएं तो आपको जाननी ही पड़ेंगी। आप बाटा तिराहे पर व्यापारियों के विरोध का साथ देने के लिए उनके बीच पहुंचे। बड़ी-बड़ी बातें कीं। उनका क्या हुआ
प्रशासन तो वही किए जा रहा है जो करना चाहता है ।आपने जाकर उनकी मंशा पर कौन सा कुठाराघात कर दिया
आप सांसद हैं ! आप चाहें तो केंद्र सरकार को अजमेर में हो रहे हैं जनता विरोधी, नीति विरोधी योजनाओं की जानकारी देकर तुरंत हस्तक्षेप करवा सकते हैं मगर आप कुछ नहीं कर पा रहे ।
नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है मगर वह आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है ।हर तरफ भाजपा अपने होने को नकार रही है । ऐसा लगता है अजमेर में सिर्फ़ अधिकारियों का ही राज है।
कांग्रेस और भाजपा के नेता सिर्फ़ मूक दृष्टा हैं। अरे हां , भागीरथ चौधरी जी !! आपका नाम तो भागीरथ है!वह भागीरथ जो गंगा को ज़मीन से बाहर निकाल लाया था ! मगर आप तो पानी को ज़मीन में से बाहर निकालने की जगह उसे ज़मीदोज़ होते देख रहे हैं।
आपसे तो निर्दलीय विधायक सुरेश टांक ही बेहतर हैं जो गुंडोलाव झील और हमीर तालाब को लेकर विधानसभा में आवाज़ तो उठा रहे हैं।
काश आप संसद में एक बार आना सागर के बचाव को लेकर कुछ कह दे ! आपके प्रयासों से सही दिशा में प्रयास हो जाए!
आज़ादी के बाद अजमेर में बाहर के लोग आकर सांसद बनते रहे ।चुनाव जीतकर उन्होंने मुड़कर भी अपने क्षेत्र की तरफ नहीं देखा ।आप इस जिले के भागीरथ हैं। आप चाहें तो दिशा भृमित अधिकारियों को अपनी सीमाओं का ज्ञान करवा सकते हैं।
हे पवनपुत्र !! जागो !! अजमेर आपके जागने का इंतजार कर रहा है।
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