Post Views 21
March 30, 2021
तन्हाई ने मना किया था,
तब भी मैं बेज़ार हुआ था।
कितनी आवाज़ें थीं मुझमें,
हर आवाज़ से तू ही जुड़ा था।
याद आया मेरी यादों में ,
बरसों इक ख़रगोश रहा था।
तू करता था झूठे वादे,
मैं सच्ची कसमें खाता था।
तेरे लिए ईमान था सूली,
मैं जिस पर हर बार चढ़ा था।
खिड़की बंद अगर कर लूँ तो,
दरवाज़ा गाली बकता था।
समय साथ मे बैठ के मेरे,
चौसर खेल लिया करता था।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
Satyam Diagnostic Centre
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved