Post Views 791
March 9, 2021
नए कृषि कानूनों को लेकर भारत में जारी किसान आंदोलन पर सोमवार को ब्रिटेन की संसद में चर्चा हुई। किसान आंदोलन का मुद्दा एक पिटीशन पर लाखों लोगों हस्ताक्षर होने ब्रिटिश संसद में उठाया गया। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
लंदन में भारतीय उच्चायोग ने भारत में तीन कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर एक ई-याचिका पर कुछ सांसदों के बीच हुई चर्चा की निंदा की है। भारतीय उच्चायोग ने बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन को लेकर गलत तथ्यों पर आधारित बहस थी।
उच्चायोग ने सोमवार शाम ब्रिटेन के संसद परिसर में हुई चर्चा की निंदा करते हुए कहा कि इस एक तरफा चर्चा में झूठे दावे किए गए हैं। उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि बेहद अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे किए गए। इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक और उसके संस्थानों पर सवाल खड़े किए हैं।
ब्रिटिश संसद की वेबसाइट पर किसान आंदोलन पर चर्चा के लिए एक पिटीशन डाली गई थी, जिस पर एक लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। यही कारण रहा कि ब्रिटिश संसद को इस मसले पर बहस करनी पड़ी।
वहीं उच्चायोग ने साफ किया कि ब्रिटिश समेत दुनिया की मीडिया भारत में किसान आंदोलन को फॉलो कर रही है, जो दर्शाता है कि किसानों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जा रहा है।
ब्रिटेन की सरकार पहले ही तीनों नए कृषि कानूनों के मुद्दे को भारत का घरेलू मामला बता चुकी है। ब्रिटिश सरकार ने भारत की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत और ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बेहतरी के लिए एक बल के रूप में काम करते हैं और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग कई वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है।
ब्रिटिश सांसदों की इस चर्चा में कई सांसदों ने हिस्सा लिया, कुछ लोग मीटिंग स्थल पर थे जबकि कुछ वर्चुअल तरीके से जुड़े थे। ये बहस करीब 90 मिनट तक चली थी। किसान आंदोलन से पहले ब्रिटिश संसद में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बहस हुई।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved