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March 6, 2021
दुनियाभर में खाने की बेइंतिहा बर्बादी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल पूरी दुनिया में अनुमानित रूप से 93.10 करोड़ टन खाना बर्बाद हो गया, जो वैश्विक स्तर पर कुल खाने का 17 फीसदी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय घरों में हर साल करीब 6.87 करोड़ टन खाना हर साल बर्बाद हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की ओर से तैयार खाने की बर्बादी के सूचकांक की रिपोर्ट, 2021 के मुताबिक इतना खाना घरों, खुदरा दुकानों, रेस्तरां समेत खानपान की अन्य जगहों पर बर्बाद हुआ।
इसके मुताबिक, 93.10 करोड़ टन बर्बाद खाने में से 61 फीसदी हिस्सा घरों से, 26 फीसदी खाद्य सेवाओं और 13 फीसदी खुदरा जगहों से आता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सालाना प्रति व्यक्ति 121 किलो खाना बर्बाद हो रहा है। इनमें प्रति घर के हिसाब से हिस्सेदारी 74 किलो है।
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन के मुताबिक, अगर हम जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों के नुकसान के प्रति अपनी जवाबदेही को नहीं समझेंगे तो इसका खामियाजा भी एक दिन हमें ही भुगतना होगा।
दुनिया के हर देश और हर देशवासी को यह ध्यान देना होगा कि अन्न का एक भी खराब न होने पाए। खाद्य उत्पादन को खराब करने में सबसे आगे अमीर देश हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2030 तक खाने की बर्बादी को कम करने का संकल्प लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में घरों में प्रति व्यक्ति के हिसाब से हर साल 50 किलो खाना बर्बादी की भेंट चढ़ जाता है या दूसरे शब्दों में कहें तो हर साल भारतीय घरों में 68,760,163 टन खाना हर साल बर्बाद होता है। वहीं, अमेरिका के घरों में प्रति व्यक्ति के हिसाब से हर साल 59 किलो खाना, जबकि चीन में 64 किलो खाना बर्बाद हो जाता है।
वहीं, दक्षिण एशियाई देशों में सालाना प्रति व्यक्ति खाना बर्बाद करने वाले देशों की सूची में भारत अंतिम पायदान पर है। इस सूची में 82 किलो के साथ अफगानिस्तान शीर्ष पर है। उसके बाद 79 किलो के साथ नेपाल, 76 किलो के साथ श्रीलंका, 74 किलो के साथ पाकिस्तान और फिर 65 किलो के साथ बांग्लादेश का नंबर आता है।
कुल बर्बाद खाने को तौलें तो यह 2.3 करोड़ ट्रकों में समाएगा, जिसमें पूरी तरह 40-40 टन खाने भरे हों। यह पूरी पृथ्वी का सात बार चक्कर लगाने के लिए पर्याप्त है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घरों से करीब 11 फीसदी, खाद्य सेवाओं से करीब 5 फीसदी और खुदरा विक्रेताओं से करीब दो फीसदी खाना बर्बाद होता है। इससे सामाजिक और पर्यावरणीय नुकसान होता है।
साथ ही देश की आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर भी इसका असर पड़ता है, क्योंकि 8-10 फीसदी वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन सीधे तौर पर बर्बाद खाने से जुड़ा होता है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक, 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार थे। वहीं, 300 करोड़ लोगों को सेहतमंद भोजन नहीं मिल पाया था। नई रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के दौरान तो भूखे रहने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का अनुमान है।
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