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January 30, 2021
ब्रजलता हाड़ा को ही येन केन प्रकारेन अगला मेयर बनाएंगे संपत साँखला
संघ को दरकिनार कर हाड़ा ने मेयर बनाने के लिए दी संपत को सुपारी
क्या संघ इस अनुशासन हीनता को कर पाएगा बर्दास्त
चाल !चेहरा ! चरित्र ! किस दृष्टि से साँखला को संघ मानेगा पवित्र
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
चंपत ने तर्कशील के दिल पर कब्जा कर लिया है। दिल तो है दिल ,दिल का ऐतबार क्या कीजे फिल्मी गाना डीजे के स्पीकरों पर भाजपा की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाड़ा- बंदी में गाया बजाया जा रहा है ।
शहर के एक समारोह स्थल में पार्टी ने अपने काले सफेद घोड़ों को एक साथ खूँटे पर बांध लिया है। मतगणना के बाद काले घोड़ों को खुला छोड़ दिया जाएगा और सफेद घोड़े अपने अस्तबल के मालिक का चुनाव करेंगे ।फिलहाल अस्तबल में तर्कशील ने चंपत भाई को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे कुछ भी करके, कैसे भी करके उनकी अर्धांगिनी को सफेद घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज बनवा दें ।
चंपत भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के कई मामलों में प्रथम दृष्टया दोषी हैं। उन पर अवैध तरीके से धनार्जन के भी कई आरोप चस्पा हैं। चंपत को पार्टी ने टिकट नहीं दिया लेकिन पार्टी के नेता चौबे जी की आंखों में वे पाक साफ नेता के रूप में हैं। वैसे चौबे जी तो खुद भी नगर की एक नर्तकी पर जॉ निसार अख्तर हो चुके हैं।
आप भी सोच रहे होंगे कि मैं यह क्या अनाप-शनाप परोसे जा रहा हूँ। मित्रों !! ऊपर मैंने जो कुछ भी लिखा वह किसी कहानी का एक हिस्सा है जो कल्पनाओं पर आधारित है। इस कहानी में सभी नाम, स्थान और पात्र काल्पनिक हैं। सत्यता से इस कहानी का यदि कोई रिश्ता निकल जाए तो उसे आप संयोग ही समझें।
असली कहानी तो यह है कि अजमेर की भाजपा बाड़े में बंद है। ठीक कहा आपने कि बाड़े तो मवेशियों के होते हैं ।पशु मेले में तो पशु ही शामिल होने चाहिए मगर दोस्तों ! कोई भी पशु में ऐसा नहीं होता जहां मवेशियों के साथ पशुपालक या पशु विक्रेता शामिल ना होते हों।
भाजपा की बाड़े बंदी में भी सारे मुंगेरीलाल शामिल हैं, जो पार्षद बनने के हसीन सपने, दिन के उजाले में धूप सेकते हुए देख रहे हैं ।
शहर भाजपा अध्यक्ष प्रियशील हाडा की पत्नी बृजलता जी चुनाव जीतेंगी या नहीं सवाल अभी ये नहीं बल्कि सवाल ये है कि जीत गईं तो मेयर पद पर सुशोभित हो पाएंगी या नहीं
परेशान पति प्रियशील हाड़ा को यकीन है कि अगली मेयर और कोई नहीं उनकी गृह स्वामिनी ही होंगी और इसके लिए उन्होंने भाजपा के और किसी नेता पर भरोसा नहीं किया है। अनिता भदेल तक पर नहीं ! भाऊ देवनानी जी तक पर नहीं ! संघ के निष्ठावान नेताओं तक पर नहीं !सबको दर किनार कर उन्होंने यह जिम्मेदारी पूर्व उपमेयर और करामाती मसीहा संपत सांखला को सौंपी है
संपत सांखला ने संघ के पदाधिकारियों से लोहा ले कर जादू का डंडा अपने सिद्ध हाथों में ले लिया है ।उनके करिश्माई हाथ क्या-क्या चमत्कार दिखा चुके हैं पूरा शहर जानता है ! भ्रष्टाचार विभाग के अधिकारी जानते हैं ! गुजराती स्कूल का प्रशासन जानता है ! (जहां से फर्जी मार्कशीट का जन्म हुआ) ,वे नेता जानते हैं जिन्होंने इस बार उन्हें टिकट प्रदान नहीं किया ! मीडिया से जुड़े लोग जानते हैं जिन्होंने उनकी खबरें पिछले दिनों प्रमुखता से उजागर कीं! वे किस किस्म की नेतागिरी करते हैं यह अनिता भदेल जानती हैं! वासुदेव देवनानी जी सहित सभी आला नेता भी जानते है! मगर कोई नहीं जानता तो वे हैं अबोद प्रियशील हाड़ा जो इन दिनों संघ सहित सबके सामने आश्चर्य जनक उदाहरण बन चुके हैं।
भाजपा के प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी में चर्चित भाजपा नेता संपत सांखला को ही जिलाध्यक्ष डॉ प्रियशील हाड़ा ने अपना विश्वासपात्र मानकर अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण कमान सौंपी है।संघ ताज़्ज़ुब से कभी साँखला को तो कभी हाड़ा की दूरदर्शिता को देख रहा है।चरित्र और चेहरे की पवित्रता को प्रमुखता देने वाला स्वयं सेवक संघ इस स्वयम्भू नेता के चाल चरित्र और चेहरे के हाथ मे रिमोट कंट्रोल देख कर आश्चर्य चकित है।
संघ का मानना है कि भाजपा के कई जिला पदाधिकारी जिन्होंने चुनाव नही लड़ा उन्हें भी ये कमान सौंपी जा सकती थी मगर हाड़ा ने ऐसा नहीं किया या कहिए किसी मदारी नेता ने ऐसा होने नहीं दिया।
संघ के पदाधिकारियों के लिए अचंभित करने वाली बात तो ये है कि सांखला को सरकारी ज़मीन की खरीद फरोख्त में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा प्रथम दृष्टया अपराधी मान लिया गया है।उनके विरुध्द अन्य आपराधिक मामलों में जाँच भी लंबित है। संदेहास्पद व्यक्ति को भाजपा हाईकमान ने इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे कैसे दी
अंदरखाने की ख़बर तो ये है कि संपत भाई वो करामाती (खुराफ़ाती नहीं) व्यक्तित्व है जो कोई भी असंभव काम को संभव बनाने के लिए किसी को भी अपने सम्मोहन में लेकर आश्वस्त कर सकता है। वह चाहे तो हवा में क़िले बनाने का ठेका ले सकता है।रेत की झील में सिंघाड़े की बेल बो सकता है!! सांखला ने हाड़ा जैसे भोले भाले नेता जी को आश्वस्त कर दिया है कि यदि टिकट वितरण से लेकर बाड़ेबंदी तक उनको जिम्मेदारी सौंपी जाए तो वह उनकी पत्नी को येन केन प्रकारेण महापौर बना सकता है। इसी तरह के विश्वास में उसने भोली भाली अनीता भदेल को भी जम कर छीला था।
इस बार हाड़ा ने चुनावी रण प्रारंभ होने से बाड़ेबंदी तक संपत को उसी प्रकार से अपने से चिपका के रख रखा है जैसे बंदरिया अपने बच्चे को मरने के बाद भी, अपने से चिपका कर रखती है।
मेरा मानना है कि संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के मौजूद होने के बावजूद भी गंभीर आरोपों से घिरे संपत सांखला को पहले तो निगम चुनावों में सह संयोजक बनाना फिर भाजपा की होने वाली कई सभाओं में संचालन निभाने तक कि जिम्मेदारी देना ; इस फ़ैसले से संघ (RSS) भी बिल्कुल सहमत नहीं होगा।
संघ की राय को संपत साँखला और हाड़ा मिलकर शायद इस बार चलने नही दे रहे हों परंतु संघ की परिपाटी के अनुसार किसी भी नेता पर यदि कोई धब्बा या आक्षेप लग जाए तो उसे क़ानून की क्लीन चिट मिलने तक दूर ही रखा जाता है।इस मामले में भी संघ तो यही चाहता होगा। परंतु..!!
कुछ भी कहो यहाँ मैं ये तो माँनुगा की गॉडफादर लखावत जी का इस बार भी भाजपा में वर्चस्व साबित हो गया है। इतने कुचर्चित होने के बाद भी और संगठन के कई पदाधिकारियों को नज़रअंदाज़ करके अपने चेले संपत को ही इतनी जिम्मेदारियां दिलवा दी गयी हैं। उनके ही संकेत से प्रदेश से आए प्रभारी अरुण चतुर्वेदी के लिए भी ये ज़रूरी हो गया।
संपत को लेकर संघ के चरित्रवान पदाधिकारियों की चुप्पी फ़िलहाल किसी आने वाले तूफ़ान के संकेत दे रही है जिसे हाड़ा और साँखला शायद सुन नहीं पा रहे।
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