Post Views 841
January 28, 2021
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दीये में जान होगी वह दीया रह जाएगा
ज़िले भर के दोस्तों!!
रावणों को इस बार वोट मत देना!! राम सामने न हो तो लक्ष्मण,भरत, शत्रुघन या किसी को भी जिता देना रावणों को नहीं!
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
जिले भर के दोस्तों !! जहाँ -जहाँ स्थानीय सरकार के चुनाव हो रहे हैं वहाँ तेज़ हवाएं चल रही हैं। ख़ासतौर से किशनगढ़ में मार्बल के दीए आंधियों के सामने हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच की टक्कर को सुरेश टाक निर्मित किशनगढ़ विकास मंच के चरागों ने परेशान कर रखा है। केकड़ी में डॉ रघु शर्मा के दीपको की रोशनी दांव पर लगी हुई है ।पूर्व अध्यक्ष अनिल मित्तल और राजेंद्र विनायका ने उनके दीपों के सामने अपनी फैक्ट्री के तेल वाले दिए जला दिए हैं ।
बिजयनगर में भाजपा और कांग्रेस के बीच रोशनी का फैसला होने वाला है उम्मीद है ।यहां निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी हवाओं को चुनौती देते हुए अपनी उम्मीदें रोशन कर रखी है ।
अजमेर में दोनों पूर्व मंत्री बहन अनीता भदेल और भाई देवनानी के दीपक लौ ऊँची करके जल रहे हैं। भाजपा के दिग्गज नेता अरूण चतुर्वेदी अजमेर में और गुलाबचंद कटारिया केकड़ी व बिजयनगर में अपनी इज्जत की मोमबत्ती जलाकर रोशनी का उत्सव मना रहे हैं। हर उम्मीदवार को उम्मीद है कि उसका दीपक आंधियों में जलता रहेगा ,बाकी दीपक बुझ जाएंगे ।
इस बार मतदाताओं का मन तूफानी आवेग में है! पिछले पार्षदों की धोखेबाजी से आहत कई मतदाता इस बार अतिरिक्त रूप से आक्रामक नज़र आ रहे हैं ।आंकड़ों की भाषा बोल कर मैं आप को गुमराह करना नहीं चाहता ,न ही बोर करना मेरा मक़सद है ।हक़ीक़त यही है कि इस बार कई लोगों के भ्रम टूट जाएंगे।
भाजपा शुरू से ही यह भ्रम फैला रही है कि उसकी जीत एकतरफा है। कांग्रेस के टिकट वितरण में हुए कुप्रबंधन से उनकी जीत को मैं निश्चित तो मान रहा हूँ मगर वह एकतरफा जीत होगी यह नहीं मानता।
भाजपा के पूर्व पार्षदों ने पूरे 5 साल जो सलूक जनता के साथ किया! स्त्रियों के मासिक धर्म की तरह लिफाफे बांटे ! शेर और बकरियों ने एक ही घाट पर पानी पिया! मिलकर शिकार करने की परंपरा फलीभूत हुई ! पार्षद भू माफिया बन गए ! धर्मेंद्र गहलोत की नीयत फाइलों की शक्ल में यू डी एच में पड़ी हैं! निवर्तमान आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने लेडी सिंघम बनकर कई नेताओं की नींद खराब की ! अनिता भदेल और देवनानी के चेलों ने जो कोहराम मचाया! बंदरबांट के जितने मामले उठे और दबाए गए! ये सब इन चुनावों में अपना रंग जरूर दिखाएंगे।
मैं ये नहीं कहता कि इस बार पिछली बार के बदनाम पार्षद फिर चुनाव नहीं जीतेंगे मगर मेरा यह मानना है कि वही रावण चुनाव जीतेंगे जिनके सामने राम युद्ध के मैदान में नहीं ।
कांग्रेस या भाजपा दोनों ही पार्टियों में टिकट वितरण को लेकर भारी रोष व्याप्त है और बाग़ी व निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी संख्या में इस बार अपने परचम फहराएंगे। ऐसा किशनगढ़ और बिजयनगर में तो भयंकर रूप से होगा।
अजमेर शहर का जहां तक सवाल है यहां मैं कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन को इलायची बाई की गद्दी से नहीं जोडूंगा , क्योंकि ऐसा करने से आदरणीय इलायची बाई का नाम बुरा माना जाएगा।
कांग्रेस की धड़ेबाज़ी और विगत कार्यकाल में मिले सुर मेरा तुम्हारा,तो सुर बने हमारा वाले गाने का लोकप्रिय होना इस बार चुनाव परिणामों में ज़रूर अपना जादू दिखाएगा ।
शहर भाजपा में तो दो ही नेताओं के आदमी चुनाव मैदान में हैं या तो अनिता भदेल के या देवनानी के, मगर कांग्रेस में तो कौन किसका आदमी है पता ही नहीं चल रहा! एक-एक उम्मीदवार कई -कई नेताओं का आदमी बना हुआ है। जंगल में जिसकी पूंछ उठाओ वही मादा ! जो पुरुष वो भी आधा!!
ये रलावता का आदमी !! ये हेमंत भाटी का आदमी!! ये जयपाल का आदमी !! ये डॉ बाहेती का आदमी! ये विजय जैन का आदमी!! ये सचिन का आदमी!! ये गहलोत का आदमी!! ये डॉ रघु शर्मा का आदमी !! जिसे देखो वह अपनी पत्नी के अलावा किसी ना किसी का आदमी है । कांग्रेस का कोई आदमी नहीं !! पार्टी जैसे बिना आदमी के विधवा हो चुकी हो !
काँग्रेस पार्टी के निष्ठावान आदमी घरों में बैठे हुए हैं ।लगभग 500 नाम तो मैं जानता हूँ जिन्होंने 40 से 50 साल तक अपने खून से पार्टी को बिना स्वार्थ के सींचा।ऐसे लोग जो राजनेताओं से तो जुड़े रहे मगर आदमी कांग्रेस के रहे । केसरी चंद चौधरी, श्रीकिशन मोटवानी, कौल साहब,ब्रजमोहन शर्मा, ज्वाला प्रसाद जी ,विश्वेस्वर नाथ भार्गव सहित कई राजनेताओं ने कांग्रेस को अपने बलबूते पर खड़े रखा मगर उनके कार्यकाल में हर कार्यकर्ता सच्चा कांग्रेसी रहा।
पिछले 10 सालों में तो जिले में कांग्रेसियों ने चाल चेहरा और चरित्र ही बदल लिया है ।भाजपा और कांग्रेस के पार्षद एक दूसरे को हलवा खाओ और हलवा खिलाओ का नारा लगाकर राजपाट चला रहे हैं।
मित्रों !! आज का दिन आपके हाथ में है ! फैसला आपके हाथ में है! आप मतदान करने जा रहे हो तो सोच लो ! इस बार रावण को वोट नहीं देना है! सामने यदि राम ना हो तो लक्ष्मण को, भरत व शत्रुघ्न को वोट दें मगर रावणों को तो वोट न दें! इस बार पिछला इतिहास ना दोहराएं ! आपसे हाथ जोड़कर मेरी विनती है कि शहर की सरकार में विचारधारा नहीं व्यक्ति सामने रहता है ।इसी दृष्टि से वोट दीजिएगा और वोट जरूर दीजिएगा।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved