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क़लमकार: अजमेर ज़िले में भाजपा कांग्रेस पर पड़ रही है भारी

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January 23, 2021

किशनगढ़ में भाजपा और कांग्रेसी नेताओं की गर्दन फंसी हुई है सुरेश टाक के मंच की मशीन में

अजमेर ज़िले में भाजपा कांग्रेस पर पड़ रही है भारी: बिजयनगर और केकडी में कटारिया की कटार और अजमेर में चतुर्वेदी की ललकार काँग्रेसियों के छुड़ा रही है पसीने




किशनगढ़ में भाजपा और कांग्रेसी नेताओं की गर्दन फंसी हुई है सुरेश टाक के मंच की मशीन में




डॉ रघु शर्मा की पनौती प्रदीप अग्रवाल की इज़्ज़त , भाजपा के वेद प्रकाश दाधीच और निर्दलीय योगेश साँखला के बीच उलझी




दाधीच लगभग जीत के क़रीब




सुरेन्द्र चतुर्वेदी




अजमेर ज़िले में निकाय चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है। केकड़ी और बिजयनगर में भारतीय जनता पार्टी के चमत्कारी नेता गुलाब चंद कटारिया के पहुंचने से जान आ गई है। कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। इतना उत्साह कि केकड़ी में उनके पहुंचने पर भाजपा के पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम तक के नारे लगा दिए गए ।पार्टी के शहर ज़िला अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा के ख़िलाफ़ उन्हें हटाने तक के लिए नारे लगा दिए गए। इतना उत्साह देखकर मुझे लग रहा है कि अब वक्त आ गया है जब भाजपा प्रजातांत्रिक तरीकों से आंतरिक कलह पर विजय पा लेगी।




बिजयनगर ,केकड़ी और किशनगढ़ में भाजपा की जीत के लिए देवीशंकर भूतड़ा को अब अपनी मौजूदगी नियमित कर देनी चाहिए । इन चुनाव में उनका सक्रिय होना बहुत ज़रूरी है ।टिकट वितरण के समय उन्होंने कहा था कि जीतने वाले और जड़ों से जुड़े उम्मीदवार ही खड़े किए जाएंगे ।उन्होंने जिन लोगों को टिकट देने में मदद की अब उन्हें जिताने की नैतिक जिम्मेदारी भी उनकी ही है।





ऐसा ना हो कि ज़िला प्रमुख के चुनाव में उन्होंने पार्टी के साथ जो पाप किया वह फिर दोहरा दिया जाए ।और बिजयनगर और केकडी में हर रोज़ उनको टोलियों के साथ मतदाताओं के बीच जाना चाहिए। ऐसा मैं इसलिए भी कह रहा हूं कि ऐसा करने से उन्हें अपनी राजनीतिक हैसियत का भी पता चल जाएगा ।




गुलाबचंद कटारिया जैसे नेताओं का दुमछल्ला बनकर जाने से किसी नेता को अपनी औक़ात ढंग से पता नहीं चलती ।कटारिया जी का ग्लैमर उनके व्यक्तित्व को खा जाता है। इन चुनावों में प्रचार करने भूतड़ा जी अकेले ही जाएँ। हालांकि यह काम कम हिम्मतवाला नहीं ! जिस तरह उनके विरुद्ध पूरे जिले में माहौल बना हुआ है! बड़े नेताओं की मौजूदगी में उनके विरुद्ध नारे लगाए जा रहे हैं ! ऐसे हालातों में हो सकता है उनका अकेले जाना ठीक न हो ! कोई सिरफिरा कुछ भी कर सकता है ,मगर भूतड़ा जी बहादुर नेता हैं। वे ऐसी बातों से नहीं डरते। वे सच्चे नेता हैं ।जड़ों से जुड़े नेता ।




केकड़ी और बिजयनगर में भाजपा का वोट बनना लगभग तय है। किशनगढ़ में भी भाजपा मजबूत स्थिति में है मगर अभी भी उसकी जीत इतनी आसान नहीं ।




यहाँ कांग्रेस की हालत बेहद गंभीर है ।विधायक सुरेश टाक का विकास मंच सबसे ज्यादा उनको ही निपटा रहा है।कांग्रेस और भाजपा के बीच इस बार परंपरागत लड़ाई नहीं। काँग्रेस के सामने भाजपा तो है ही साथ ही किशनगढ़ विकास मंच भी है।





यही कारण है कि वार्ड 38 की मूँछ की लड़ाई में कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप अग्रवाल को अपनी इज्जत बचाने के लिए नीचे तक का यानी चोटी से एड़ी तक का ज़ोर लगाना पड़ रहा है ।अग्रवाल का नाम चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा के नाम से चिपका हुआ है ।वे किशनगढ़ में उन्हीं का शोरूम माने जाते हैं। यज्ञ नारायण अस्पताल में अग्रवाल का वैसा ही साम्राज्य है जैसा मुंबई में ठाकरे का! अस्पताल का डॉक्टर,नर्सिंग कर्मी ,हर कर्मचारी उनके ही गुण गाता है। जा पर कृपा राम की होई... ,वाली चौपाई जैसे तुलसीदास जी ने प्रदीप अग्रवाल के लिए ही लिखी थी । लोग उन पर न जाने कैसे कैसे आरोप लागते है मगर मैं उनको सही नहीं मानता




इस बार भाजपा के वेद प्रकाश दाधीच उनके सामने हैं ।अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे ऐसा मैं नहीं ,वार्ड के मतदाता कह रहे हैं। दाधीच इस बार चुनाव जीतने की पूरी मुद्रा में नज़र आ रहे हैं ।जहां तक दोनों नेताओं की छवि का सवाल है दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र के धुरंधर माने जाते हैं ।इस वार्ड में किशनगढ़ विकास मंच के कप प्लेट योगेश साँखला भी बेदाग छवि के उम्मीदवार हैं ,इसलिए उनके कारण भी अग्रवाल को सीधा नुक़सान पहुँच सकता हैं ।प्रदीप अग्रवाल वैसे भी इस वार्ड के नहीं।छलांग लगाकर इस वार्ड में आए हैं। इसलिए मतदाताओं के नेज़े पर हैं ।वेद प्रकाश दाधीच की छवि बहुत साफ-सुथरी है इसका लाभ उठाने में वे पीछे नहीं रहेंगे ।चुनाव परिणाम उनके ही हक़ में रहेगा ।




यहां वार्ड 41 में सुरेश दगड़ा जो पूर्व सभापति भी हैं और भाजपा के लोकप्रिय नेता भी, कांग्रेस के रोहित मेहता से मुकाबला कर रहे हैं। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है, मगर जहां तक मेरे व्यक्तिगत आँकलन की बात है यदि सुरेश दगड़ा को चुनाव जीतना है तो बाकी बचे दिनों में अपनी जान झोकनी पड़ेगी वरना वे जीत से हाथ धो बैठेंगे।





वार्ड 24 में मुकाबला भाजपा के किशन गोपाल दरगड का काँग्रेस के सुशील अजमेरा से है ।यहां मामला उल्टा है। भाजपा के किशन गोपाल लोगों का दिल जीतने में सुशील अजमेरा से पीछे हैं।यदि गोपाल जी ने अपनी रफ्तार दुगुनी नहीं की तो उनका चुनाव जीतना किसी भी हालत में मुमकिन नहीं होगा ।वह ज़रा सा ज़ोर लगा लें ।यही उनकी सेहत के लिए ठीक होगा।





मैं किशनगढ़ के कुछ नामी वार्डों का ही आँकलन कर रहा हूँ।जहां कांटे की टक्कर है और इज्जत का सवाल है ।




वार्ड 49 में भाजपा के राजू बाहेती और कांग्रेस के मोहित बियानी मैदान में हैं। फ़िलहाल इन दोनों पर निर्दलीय विकास वैष्णव भारी पड़ रहे हैं। भाजपा को यदि अपना बोर्ड बनाना है तो यहां अभी और ज़ोर लगाना पड़ेगा।





वार्ड नंबर 25 में भी इज्जत का मुकाबला है ।यहां भाजपा की निधि पहाड़िया कांग्रेस की पुष्पा मेहता पर भारी पड़ रही हैं ।पुष्पा जी ने यदि मेरी राय मानकर ज़ोर नहीं लगाया तो .....





यहाँ अंत में मेरा डॉ रघु शर्मा से एक आग्रह है कि वे केकड़ी छोड़ के एक दो दिन अपने राजनीतिक शिष्य प्रदीप अग्रवाल को जिताने के लिए किशनगढ़ भी जरूर पधारें ,क्योंकि बिना उनके आए प्रदीप अग्रवाल की राजनीतिक पताका लहरा नहीं पाएगी। उनकी जीत और हार उनके ही नाम से ही जुड़ी है ।यदि वे हार गए तो कांग्रेस की नहीं डॉ रघु शर्मा की हार होगी ,यह रघु शर्मा को सोच कर प्रचार के लिए किशनगढ़ भी जरूर आना चाहिए।


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