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January 21, 2021
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बेवजह ठुकाई का सबब पूछेंगे
पुलिस वालों ने डॉक्टर्स पर दर्ज़ कराया मार पीट का मुक़दमा: ख़ाकी और सफ़ेद के बीच तनाव
संवेदनशील पुलिस कप्तान करवा सकते हैं मामले की निष्पक्ष जांच
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
एक तरफ अजमेर के पुलिस कप्तान जगदीश चंद्र शर्मा सोशल मीडिया और फेसबुक पर आम लोगों को पुलिसिंग से जोड़ रहे हैं उन्हें अपराध और अपराधियों से बचने के लिए जागरूक कर रहे हैं, वहीं पुलिस के जवानों पर डॉक्टरों और ख़ादिमों पर पुलिस के साथ हाथापाई करने की ख़बरें भी सामने आ रही हैं।
चाकू पर खरबूजा गिरे या ख़रबूज़े पर चाकू,बदनामी चाकू की ही होती है। पुलिस पर मेडिकल कॉलेज के पास डॉक्टरों से हाथापाई की जो ख़बर आज प्रकाशित हुई है और कोतवाली पुलिस ने डॉक्टरों पर राजकाज में बाधा पहुंचाने और उन्हें ठोकने पीटने का जो मुक़दमा दर्ज़ करवाया है उसी से जुड़े हैं मेरे कुछ सवाल और आज का ब्लॉग।
ख़ादिम के साथ दरगाह बाज़ार में हुई घटना को एक तरफ रख भी दिया जाए तो डॉक्टरों पर दर्ज़ हुए मुक़दमे पर सवाल उठने लाजमी हैं।
सोचने की बात ये है कि मूलतया डॉक्टर्स कोई अपराधी किस्म के लोग नहीं होते। वे अस्पताल के बाहर खड़े होकर किसी किस्म की बदमाशी या असामाजिक क्रियाकलाप भी नहीं कर रहे होते। जाते हुए पुलिसकर्मियों की रोक कर उन्होंने किसी किस्म की बदतमीजी या जुमलेबाजी भी नहीं की होगी ,फिर ऐसा क्या हुआ कि जाती हुई पुलिस को रुकना पड़ा। या फिर बेमतलब की बहस करनी पड़ी। डॉक्टरों के साथ इतनी सख्ती बरतनी पड़ी कि वे आपा खो बैठे। किस ने पहले आपा खोया फिलहाल तो यह भी जांच का मुद्दा है। यदि पुलिस की रिपोर्ट को सही मान भी लिया जाए तो क्या पुलिस यह बता पाएगी इस बात की पुष्टि कैसे होगी कि पुलिस को रोककर उनके राजकाज में बाधा डाली गई
पुलिस वाले ऐसा कौन सा राज काज कर रहे थे जिनको डॉक्टरों ने बाधा डाल कर रोक दिया
डॉक्टर्स की जगह कोई मीडिया कर्मी ,चोर उठाईगिरा होता,राजनेता या आम आदमी होता तो उस पर राजकाज में बाधा डालने का आरोप प्रथम दृष्टया सही भी मान लिया जाता, मगर रास्ते में खड़े हुए डॉक्टरों ने पुलिस वालों को किस लिए रोका होगा
क्या उन्होंने कोरोना का जबर्दस्ती वैक्सीन लगाने के लिए पुलिसकर्मियों को रोककर उनके साथ दुराचार किया होगा क्या वैक्सीन लगाने से मना किए जाने पर उन्होंने उनके साथ हाथापाई की होगी उन्हें आड़ा पटक दिया होगा
ज़रूर कुछ तो हुआ होगा जो जाते हुए पुलिस वाले और शांत खड़े डॉक्टर आपस में उलझ गए होंगे!! ज़रूर पुलिस वालों ने खड़े हुए डॉक्टरों के साथ ऐसा कुछ किया होगा या कहा होगा कि वे उत्तेजित हो गए!! उत्तेजित भी इतने कि उन्हें हाथापाई करने की ज़रूरत आ पड़ी !!
मित्रों !! वर्दीधारी पुलिस वालों के साथ हाथापाई करने का साहस आम आदमी में तो होता ही नहीं। आए दिन पुलिस वाले आम लोगों की ठुकाई कर देते हैं। बेचारा आम आदमी राजकाज में बाधा डालने की बात तो दूर , कामकाज में बाधा पहुंचाने का मुक़दमा भी दर्ज़ नहीं करा पाता।बेचारा ले दे के या पुलिस वालों के हाथ पैर जोड़कर चलता बनता है।
डॉक्टरों ने पुलिस वालों को ठोका या पुलिस वालों ने डॉक्टरों के साथ हाथापाई की इस बात का कोई वीडियो तो है नहीं ! ना ही है कोई चश्मदीद गवाह ! नाराज़ हुए पुलिस वालों ने थाने पहुंचकर मुक़दमा दर्ज़ करवा दिया जो उनके इख़्तियार में था। राजकाज में बाधा की धारा तो वर्दी के कारण अपने आप जुड़ गई।
बेहतर होता यदि मुक़दमा दर्ज़ करने से पहले आरोपी डॉक्टरों से भी पूछ ताछ या जांच कर ली जाती। उनसे भी पूछ लिया जाता कि पुलिस वालों को उन्होंने पीटा या नहीं यदि पीटा तो क्यों पीटा राजकाज में डॉक्टरों ने बाधा पहुंचाई या पुलिस वालों ने ख़ाकी वर्दी यदि राजकाज में थी तो सफ़ेद वर्दी भी तो राज काज में ही थी।
यहाँ आपको बता दूं कि अजमेर के पुलिस कप्तान जगदीश चन्द्र शर्मा एक अतिसंवेदनशील और जिम्मेदार पुलिस अधिकारी हैं। वे जहां रहे लोक प्रिय और ईमानदार पुलिस अधिकारी की पहचान बना कर रहे।लगे हाथ आपको यहां मैं यह भी बता दूं कि मैं भी कोई मामूली पत्रकार या ब्लॉगर नहीं! उच्च शिक्षा प्राप्त लेखक और साहित्यकार हूँ! मेरे पिता भी पुलिस विभाग के एक नेक अधिकारी थे!
कि मैंने भी एक किताब मानव व्यवहार और पुलिस लिखी है जो पिछले 10 साल से हैदराबाद पुलिस एकेडमी के कोर्स में पढ़ाई जा रही है।
मैं यहाँ जो लिख रहा हूँ ,पूरी ज़िम्मेदारी से लिख रहा हूं। पुलिस कप्तान को चाहिए कि वे इस मामले में स्वयं छानबीन करें या किसी अनुभवी अधिकारी से जांच करवाएं।
यह विषय बहुत नाज़ुक है। पहले भी इसी प्रकार के मामले की आवाज़ पूरे राजस्थान तक फैल गई थी।
यहां में डॉक्टर समुदाय से भी विनम्र प्रार्थना करता हूँ कि वे मामले को व्यर्थ में तूल न दें ! धैर्य पूर्वक पुलिस को अनुसंधान में सहयोग करें।योग्य पुलिस कप्तान के होते हुए पुलिस पूरी ईमानदारी बरतेगी ऐसा मेरा मानना है। दुर्भाग्यपूर्ण इस घटना को खाकी और सफेद रंग की लड़ाई ना बनाएं।
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी ,लोग बेवजह ठुकाई का सबब पूछेंगे
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