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क़लमकार: नाम वापसी के बाद भी ज़िले के निकाय चुनावों में बाग़ी और निर्दलीय पड़ रहे हैं भारी

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January 20, 2021

किशनगढ़ में सुरेश टांक का प्रगती मंच छुड़ा रहा है काँग्रेस और भाजपा के पसीने

नाम वापसी के बाद भी ज़िले के निकाय चुनावों में बाग़ी और निर्दलीय पड़ रहे हैं भारी




किशनगढ़ में सुरेश टांक का प्रगती मंच छुड़ा रहा है काँग्रेस और भाजपा के पसीने





केकडी में भाजपा का पलड़ा भारी मगर बाग़ी और निर्दलीय पूरी ताक़त से छक्के छुड़ाने में क़ामयाब





बिजयनगर में भाजपा का टिकट वितरण पड़ रहा है महंगा




अजमेर में कुछ काँग्रेसी उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवारों से डर कर नहीं कर पा रहे प्रचार





सुरेन्द्र चतुर्वेदी





जिले के नगर निकाय चुनाव अब आखिरी मोड़ पर पहुंच गए हैं। बागियों और निर्दलीयों को पार्टियों के नेता जितना मना सकते थे मना चुके हैं। जिनका गुस्सा किनारे पर था वे मैदान से हट गए ।जिनको आर-पार की लड़ाई लड़नी है, वे पार्टी के नेताओं को ठेंगा दिखाकर पार्टी को मज़ा चखाने के लिए पलाड़ा वाले अंदाज़ में मैदान में डट गए हैं ।





अजमेर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि दोनों तरफ से 10 -10 बागियों को समझा कर बैठा दिया गया है ।यह अच्छी बात हो सकती है मगर मेरी नज़र में जो उम्मीदवार मैदान से हटाए गए हैं वे अगर मैदान में भी बने रहते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। सभी लोग जनाधार वाले नहीं थे। ज़मीन से जुड़े कद्दावर उम्मीदवार अभी भी मैदान में डटे हैं ।हाल यह है कि केकड़ी, बिजयनगर और किशनगढ़ सभी के चुनावी जंग में निर्दलीय योद्धा बड़ी तादाद में तलवारें भांज रहे हैं। खासतौर से किशनगढ़ में विधायक सुरेश टांक ने किशनगढ़ प्रगति मंच के जरिए पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों की जीत के सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं। कुल 60 वार्ड में 252 उम्मीदवार हैं। दोनों पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने जितना डैमेज कंट्रोल करना था कर लिया मगर किशनगढ़ प्रगति मंच के प्रत्याशी पूरी मजबूती के साथ मैदान में डटे हुए हैं ।





मेरी नजर में किशनगढ़ का चुनावी तांडव सबसे खतरनाक है, जबकि सबसे आसान अजमेर का चुनाव है ।अजमेर में भाजपा के नेता कांग्रेसी नेताओं पर पूरी तरह भारी पड़ रहे हैं ।येन केन प्रकारेण यानी साम-दाम-दंड-भेद के सारे उपाय भाजपाई उम्मीदवार उपयोग में ला रहे हैं।हाहाकार मचा हुआ है। कई कांग्रेसी नेता तो ऐसे हैं जो टिकट लेने में तो कामयाब हो गए मगर चुनाव प्रचार में घर से बाहर जाने में भी उन्हें डर लग रहा है। उन्हें डर है कि भाजपा का उम्मीदवार उन्हें ठोक न दे।कांग्रेस के एक उम्मीदवार राजकुमार वजीरानी ने तो अपने साथ भाजपा उम्मीदवार द्वारा किए जा रहे आतंक के डर से थाने में रिपोर्ट तक दर्ज करा दी है। इस उम्मीदवार ने बाकायदा एक वीडियो क्लिप वायरल कर अपने साथ हो रही कथित ज्यादती का वर्णन भी किया है। विधायक डॉ राजकुमार जयपाल और पूर्व पार्षद रमेश सेनानी ने यद्यपि उनके घर पहुंचकर दिलासा दिलाया है कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा मगर राजकुमार वजीरानी बुरी तरह डरे हुए हैं ।उन्होंने जिला कलेक्टर से प्रजातांत्रिक तरीके से चुनाव प्रचार की आजादी मांगी है। अजमेर के कई वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग इसी मानसिकता के साथ चुनाव मैदान में है ।





किशनगढ़ में विधायक सुरेश टांक के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे किशनगढ़ प्रगतिशील मंच के सभी उम्मीदवार ज़मीन से जुड़े कर्मठ कार्यकर्ता हैं ।छवि को लेकर भी वे बेदाग माने जा रहे हैं। कांग्रेस के ऐसे लोग जिन्हें टिकट नहीं मिला या भाजपा के बाग़ी नेता भी चोरी छुपे प्रगति मंच के उम्मीदवारों को पूरी तरह समर्थन दे रहे हैं। उनकी कार सेवा से किशनगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी घबराए हुए हैं ।दोनों ही पार्टियों को अपना अपना सिक्का चलाने में पसीने छूट रहे हैं ,जबकि प्रगति मंच के उम्मीदवार पाने के लिए यह धर्म युद्ध लड़ रहे हैं।





विधायक सुरेश टांक जब नगर परिषद के सभापति थे उन्होंने अपने कार्यकाल में शहर का जमकर विकास किया ।उनकी छवि ज़मीन से जुड़े नेता की बन गई। यही वजह रही कि किशनगढ़ भाजपा ने जब उनकी टिकट काटी तो पूरे किशनगढ़ ने उन्हें कंधे पर उठा लिया। जमकर समर्थन मिलने के कारण वे निर्दलीय होने के बावजूद रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत गए ।निर्दलीय चुनाव लड़ने से वे चुनाव तो जीत गए मगर किशनगढ़ के विकास में मील का पत्थर साबित नहीं हो सके ।जिले के कुछ प्रभावी नेताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री गहलोत के नज़दीक नहीं आने दिया। उन्होंने कांग्रेस को समर्थन भी दिया ।मंत्री बनने की उम्मीद भी जागी मगर कुछ बिगड़े हुए राजनेताओं ने उन्हें गहलोत से दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस बार निकाय चुनावों में उन्होंने किशनगढ़ के विकास को मुद्दा बनाकर फिर से नई पहल की है ।भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए उनकी फौज़ भारी पड़ेगी ।यह तय है।





केकडी में भी हालात अच्छे नहीं। भाजपा यहां कांग्रेस पर भारी पड़ती नज़र आ रही है मगर दोनों ही पार्टियों की धड़े बाजी के कारण यहां भी निर्दलीय बागी अपनी अपनी पार्टी को आईना दिखा कर ही दम लेंगे। यहां 24 निर्दलीय और एक बसपा प्रत्याशी चुनावी गणित बिगाड़ने के लिए मौजूद हैं ।कुल 105 तलवारबाज़ मैदान में हैं।





बिजयनगर की बात की जाए तो यहां भी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों की हालत खराब है। यहां भी बागी और निर्दलीय पूरी तरह से कार सेवा कर रहे हैं। नाम वापसी की तारीख के बाद अनेक वार्ड में विरोधी हुँकार भर रहे हैं टिकट वितरण के बाद से उपजी आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रही





ताज़ा घटना क्रम में भाजपा ने वार्ड एक से निधि शर्मा को भाजपा प्रत्याक्षी बनाया है ओर वार्ड 3 से भाजपा नेता गोपाल रावत की बड़ी पुत्री मोनिका को टिकट दिया है ,गोपाल रावत की दूसरी पुत्री ने वार्ड एक से निर्दलीय नामांकन भरा था जिसे आज वापस नहीं लिया है।वे भाजपा प्रत्याक्षी के खिलाफ निर्दलीय मैदान में हैं। भाजपा नेता गोपाल रावत के इस कृत्य को भाजपाइ पार्टी संविधान के विरुद्ध बता रहे हैं।





वार्ड 3 के भाजपाइयों में इसको लेकर भारी रोष है ओर भाजपा प्रत्याक्षी मोनिका रावत को वोट नही देने का सामूहिक निर्णय ले लिया गया है।ये माहौल कौनसा रंग दिखायेगा ये चुंनव परिणाम ही बताएंगे।


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