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January 19, 2021
अच्छा हुआ हरिमोहन शर्मा बीमार होने के कारण अजमेर नहीं आए, आ जाते तो बीमार होकर जाते
बीमार सिर्फ़ हरिमोहन जी नहीं, पूरी शहर कांग्रेस है
भाजपा विधायकों के बीच मेयर और उप मेयर पद की अभी से खींचतान
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अजमेर में कांग्रेस गुप्त पेट दर्द से पीड़ित है। हंगामे की आशंका के चलते संभाग प्रभारी हरिमोहन शर्मा अजमेर नहीं आए। बताया गया कि अचानक उनकी तबीयत ख़राब हो गई।उनकी तबियत तो अचानक ख़राब हुई जबकि कांग्रेस की तबीयत पहले से ही खराब थी। वे अगर आ जाते हैं तो उनके साथ क्या होता , यह उन्हें बता दिया गया था इसलिए बीमार कांग्रेस का हालचाल पूछने बीमार प्रभारी नहीं आए ।
यह भी मेरी दृष्टि से ठीक हुआ। गुज़रे दिनों के शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन का स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है ।तभी वे पेट दर्द से तड़प रही कांग्रेस को तरह तरह की टैबलेट दे रहे हैं ।
शहर के एक समारोह स्थल पर आयोजित बैठक में उन्होंने जो भाषण दिया और मीडिया को बताया उससे लग रहा है कि उनकी तबीयत बाहर से तो ठीक है मगर शायद अंदर से ठीक नहीं।
मुस्लिम बहुसंख्यक वार्डों में प्रत्याशी खड़ा नहीं किए जाने का फ़ैसला किसका था यह पूछे जाने पर उन्होंने डॉ बाहेती ,डॉ राजकुमार जयपाल और फ़करे मोइन सहित कई नेताओं को लपेटे में ले लिया। अपने आप को पाक साफ बताते हुए उन्होंने इस फैसले से पल्ला झाड़ लिया। वो बात अलग है कि उन्होंने हाथों हाथ इस गलत फैसले पर माफी भी मांग ली।
विजय जैन किस मानसिकता की मिट्टी के बने हैं मैं नहीं जानता ।जानना भी नहीं चाहता, मगर उन्होंने जिस तरह मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ा है उसे देखकर मुझे मेरा एक शेर याद आता है। आह भी भरने लगे हैं भेड़िए, वाह भी करने लगे हैं भेड़िए।
आज उन्हें बाहेती और जयपाल सहित कई राजनेता याद आ रहे हैं। कल जब पार्टी यह फैसला कर रही थी तब वे क्या कर रहे थे उन्होंने इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज क्यों नहीं करवाया मकराना राज होटल का राज़ क्यों नहीं खोला टिकट बांटने में सिद्धहस्त साबित करने के लिए उन्होंने जो किया उसी का नतीजा है कि आज शहर कांग्रेस पेट के दर्द से परेशान है ।यदि वे वास्तव में कांग्रेस की किसी भूल में शामिल नहीं रहे तो उन्होंने संभाग प्रभारी हरिमोहन शर्मा को उसी समय बता क्यों नहीं दिया कि अजमेर के मुस्लिम कांग्रेसी गुस्से में क्यों हैं बगावती उम्मीदवार मैदान में क्यों डटे हुए हैं कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों को शहर के गुंडा तत्व प्रचार करने क्यों नहीं जाने दे रहे
आज चुनाव मैदान में नाम वापस लेने का आखरी दिन है। क्या विजय जैन बता पाएंगे कि कितने बागियों को उन्होंने समझा कर मैदान से बाहर खड़ा किया है
मुझे तो नहीं लगता कि एक भी बाग़ी उनके कहे में है ! वह जिस तरह आज भी कांग्रेस अध्यक्ष की तरह व्यवहार कर रहे हैं उसे देखकर लगता है कि वे डोटासरा की नई कार्यकारिणी में भी वे ही अध्यक्ष बनने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
संभाग प्रभारी हरिमोहन शर्मा की तबीयत में क्या खराबी आ गई ये तो विजय जैन ही जानते होंगे या वे खुद मगर आम कांग्रेसी तो यही मानकर चल रहा है कि बीमारी तो एक बहाना था। डर के मारे उन्हें अजमेर नहीं आना था।
अजमेर में कांग्रेस की जो मिट्टी पलीत हरिमोहन शर्मा की देखरेख में उनकी टीम ने की, उसका सामना करने की ताक़त अब उनमें शेष नहीं बची है।उनकी बीमारी उनके अंदर का डर है ।वह बीमारी के बहाने नहीं आए अच्छा हुआ ! आ जाते तो बीमार होकर ही जाते ! कई कार सेवक कोरोना वायरस की तरह उन्हें घेरने के लिए तैयार बैठे थे और उसका वैक्सीन उनके पास नहीं था।
इधर भाजपा की तबीयत भी पूरी तरह से खराब तो नहीं मगर स्वास्थ उसका भी ठीक नहीं। निगम में बोर्ड फिर से बनता देख वहाँ भी नेताओं के बदन में मरोड़े उठने लगे हैं ।कौन हारेगा , कौन जीतेगा ,इस बात की नेताओं को चिंता नहीं ।बागी और निर्दलीय योद्धा उनके चुनाव परिणामों को कितना प्रभावित करेंगे ,इसके लिए भी कोई ठोस प्रबंधन नहीं हो पाया है। निर्दलीय योद्धाओं की हुंकार अभी भी भाजपा को साफ सुनाई दे रही है मगर कमजोर कांग्रेस का फायदा उठाकर बोर्ड उनका बनना लगभग तय ही है। बस यही संभावना है जिसके कारण भाजपा को मेयर की राजगद्दी ख्वाबों में भी दिखाई दे रही है । मेयर पद के लिए भाजपा के दोनों विधायक अभी से चौसर बिछाकर बैठ गए हैं ।अनिता भदेल के विधानसभा क्षेत्र से प्रिय शील हाडा की श्रीमती जी पहली बात तो चुनाव जीत ही नहीं पाए इसका इंतजाम किया जा रहा है। यदि वे जीत भी जाएं तो अनीता जी द्वारा बांटी गई टिकटों के लोग संख्या बल में ज्यादा ना हो ,इस बात की भी गुप्त साजिश चल रही है। क्योंकि अनिता बहन नही चाहती कि अ.जा. का कोई भी प्रतिद्वंद्वी उनके क्षेत्र में हो। इसलिए वे ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी की तर्ज पर चल रही हैं।
उधर विधायक भाऊबली देवनानी अपने समर्थकों की जीत के लिए पूरी जान लगा रहे हैं ।उनकी नज़र में भी पहली प्राथमिकता यही है कि पिछली बार की तरह इस बार भी उनका समर्थक ही मेयर बने।इसके लिए उन्हें भले ही पिछली बार की तरह अपनी ही पार्टी के किसी शेखावत को सरपलटी देनी पड़ जाए। उनकी पूरी नज़र इस बार उनके क्षेत्र से एकमात्र अ.जा. की महिला प्रत्याशी वंदना नरवाल पर है।वे उन पर ही बाजी आज़माना चाह रहे हैं।
दोनों विधायकों के लोग अपनी-अपनी तरह से शतरंज की गोटियां चल रहे हैं। भाजपा इस बार चुनाव जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है ,इसलिए उसका पूरा ध्यान मेयर व उप मेयर के पद पर ही टिका हुआ है ।दोनों पदों की लड़ाई आपसी हैं । दोनों विधायक एक दूसरे को प्रतियोगी मान रहे हैं। कांग्रेस तो दूर तक उनके सामने नहीं।
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