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January 16, 2021
अजमेर के निकाय चुनावों में भाजपा आसानी से हराई जा सकती थी मगर काँग्रेस के बेवकूफ़ टिकट प्रबंधन ने उनको सत्ता पत्तल में परोस दी
काँग्रेस के अधिकृत उम्मीदवारों का रात तक पता नहीं चला।ग़फ़लत में लोगों ने भरे नामांकन मगर। कईयों के कट गए टिकेट
भाजपा में भदेल और देवनानी की विंडो पर रही भीड़ तो काँग्रेस में डॉ रघु शर्मा, जयपाल और जैन की तिगड़ी पड़ी भारी रलावता ,भाटी और बाहेती की विंडो पर टिकिट के नाम पर निकला ग़ुस्सा
आज फट सकते हैं पैसा लेकर भी टिकिट न देने वालों के कपड़े
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
निकाय चुनाव में अजमेर ज़िले के हाल बुरे हैं। कांग्रेस का दम घुट रहा है और भाजपा अपने कद्दावर नेता की करतूतों के बोझ से संक्रमित है। बग़ावत का कोरोना वायरस दोनों ही पार्टियों को डायलिसिस तक पहुंचा चुका है।
अजमेर निगम में इस बार चुनाव परिणाम कांग्रेस की बेवकूफी के कारण अभी से निकल चुका है। औपचारिक घोषणा भले ही चुनाव परिणामों के बाद ,चुनाव आयोग करे।
कांग्रेस ने आसानी से जीता जाने वाला बोर्ड, बुझी हुई भाजपा को सौंप दिया है। भूखे ने भूखे की.....दोनों को गश आ गया। कमज़ोर काँग्रेस ने कुपोषित भाजपा को सत्ता पंगत में बैठाकर पत्तल में परोस दी है।
कल दोनों ही पार्टियों के गुमराह प्रत्याशियों ने अपने- अपने पर्चे दाखिल कर दिए। कांग्रेस में 5 स्वयंभू नेताओं की टिकट विंडो से टिकट लेकर कांग्रेसी खुद को अधिकृत मानकर ढोल धमाकों के साथ फार्म भर आए ।पार्टी के अलग अलग विंडोबाज़ों ने आश्वासन दिया था कि सिंबल पत्र जिला चुनाव अधिकारी तक सीधे पहुंचा दिए जाएंगे। कुछ को लिफ़ाफ़ों में सिंबल दे भी दिए गए थे।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट इस बार भी आपसी दूरियों के साथ सक्रिय रहे। शहर की कांग्रेस महेंद्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी, डॉक्टर श्रीगोपाल बाहेती, राजकुमार जयपाल और विजय जैन के बीच बंट गई। सब्जी किसी के पास! पूड़ियाँ किसी के पास! मिठाई किसी के पास! और रायता किसी के पास!! पार्टी में अतिथियों को पंगत में बैठाकर पत्तल परोस दी गई। जिसकी पत्तल में जो आया उसे लेकर वह चल दिया।
इधर रलावता और भाटी विंडो से टिकट लाने वाले अपने अधिकृत होने का इंतज़ार करते रहे। हाईकमान ने जब सिंबल देने में आनाकानी की तो सचिन गुट के सरगना ने हाईकमान को साफ़ कह दिया कि उन्हें उनके विधानसभा क्षेत्र की टिकटों के सिंबल खाली लेटर पैड पर दे दिए जाएं वरना वे अपने लोगों को निर्दलीय खड़ा कर देंगे ।एक बार को हाईकमान की सांस फूल गई ।पांचों विंडो पर खाली लेटर पैड के ज़रिए सिंबल भेजे जाने की बात होने लगी। तभी ज़िले के धुरंधर नेता डॉ रघु शर्मा ,राजकुमार जयपाल और विजय जैन एक हो गए। तीनों ने अपनी सहमति से पूरे शहर की टिकट बांट दीं।
गुप्त टिकिट वितरण का आलम ये रहा कि रलावता , भाटी और बाहेती की टिकट विंडो पर खड़े कई लोगों को पता ही नहीं चला कि उनकी टिकट काटी जा चुकी हैं। देर रात तक अफ़वाहों का खेल चलता रहा। कई लोगों के रायते ढुल गए। जिन लोगों ने जिस विंडो से अधिकृत होने का पवित्र वादा देकर, पवित्र वादा लिया था चुनाव कार्यालय जाकर फार्म भर आए। टिकट कटने पर अब वे निर्दलीय चुनाव लड़ने के लायक भी नहीं रहे। उनकी बग़ावत या ग़ुस्सा धरा रह गया है।
इस विंडो बाज़ी में वार्ड 29 से भाजपा प्रत्याशी हेमलता की लॉटरी खुल गई है। उनके खिलाफ कांग्रेस ने किसी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना ही उचित नहीं समझा है। उनको बैठे बैठाए वाक ओवर मिल गया है। और कांग्रेस के टिकट कन्फर्म होने से पहले ही भाजपा की जीत का खाता खुल चुका है।
इधर भाजपा में सिर्फ़ दो टिकट विंडो खुले। बहन भाई के।यहाँ भी टिकट पाने के लिए कई खेल चले। बागी होकर कई नेता भाजपा छोड़ कर काँग्रेस की विंडो पर टिकिट लेने पहुंच गए। वार्ड 77 से मोदी के कट्टर समर्थक दौलत खेमानी जो संघ के स्वयंसेवक भी हैँ पार्टी से बगावत कर कांग्रेसी नेता रलावता की विंडो पर पहुँच गए।रलावता ने उनको भी टिकट का लॉलीपॉप पकड़ा दिया। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र भी भर दिया। शाम तक टिकट मिली नहीं। अब वे घर के रहे हैं ना घाट के। इसी तरह देवनानी भक्त संजय भाटी भी देवनानी से नाराज़ होकर रलावता विंडो पर जा खड़े हुए। उनकी पत्नी को टिकट का वादा दे कर नामांकन भरने भेज दिया गया।शाम तक प्रत्याशी रहने के बाद उनकी भी टिकट कट गई। ऐसे ही दो चार उदाहरण और भी हैं।
भाजपा विंडों की संचालक विधायक अनिता भदेल ने यद्यपि इस बार सभी जातियों का टिकट वितरण में समावेश किया है फिर भी कई नाम अप्रत्याशित रूप से टिकट पाने वालों में आ गए ।यही वजह रही कि उन पर भी कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। वार्ड 32 से मात्र 22 साल के मासूम परमेन्द्र हाडा को वार्ड 34 से महेंद्र राव, वार्ड 36 से पृथ्वी सिंह ,वार्ड 42 से संदीप मखीजानी के नाम चर्चाओं में हैं।इनमें से कोई भी अभी तक पार्टी के लिए सक्रिय योगदान देने वालों में नहीं रहा।
देवनानी की टिकट विंडो से भी कई नाम चौकाने वाले निकले ।इनमें सबसे प्रमुख वार्ड 75 से चाय व्यवसाई रमेश चेलानी का है। वार्ड 62 से आदित्य ढलवाल भी ऐसे ही मासूम प्रत्याशी हैं। पार्टी के कार्यक्रमों में इन्हें भी कभी नहीं देखा गया।
भाजपा युवा मोर्चा के जिला मंत्री शुभम पारीक ने भाजपा से यह कहकर इस्तीफा दे दिया है कि टिकट वितरण में भाजपा अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा ने पैसे खा कर टिकट बांटे हैं। उन्होंने बाकायदा वीडियो जारी कर भूतड़ा पर लाखों रुपए खाने का आरोप लगाया है ।
इसी प्रकार भाजपा मसूदा के उपाध्यक्ष अशोक सेन ने भी भूतड़ा पर इसी तरह के आरोप लगाकर त्यागपत्र दे दिया है।
केकड़ी और किशनगढ़ में भी दोनों ही पार्टियों को बागी उम्मीदवारों का गुस्सा झेलना पड़ रहा है ।उम्मीद है कि आज दिन भर भी लोग अपना गुस्सा निकालने के लिए मीडिया के सामने आएंगे। दोनों ही पार्टियों के जिन नेताओं और उनके दलालों ने टिकट देने के नाम पर लाखों रुपए वसूले और उन्हें अंत समय तक टिकट भी नहीं मिला वे आज अपने चीर हरण के लिए तैयार रहें। ।माना जा रहा है कि आर्थिक प्रबंधन के मामले में इस बार कोई भी पार्टी कहीं भी पीछे नहीं रही है ।यही वजह है कि सोशल मीडिया पर आज दिन भर नए नए आरोपों को लेकर लोग सामने आएंगे।
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