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January 14, 2021
गाँव बसा नहीं कि इकट्ठी हो गयी भिखारियों की भीड़
पार्षद उम्मीदवारों की जीतने से पहले महापौर और उपमहापौर की गद्दी पर नज़र
उपमहापौर के लिए भाजपा में अभी से सत्ता संघर्ष
सम्पत साँखला की ख़त्म हो सकती है राजनीतिक पारी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
भाजपा में कोहराम मचा हुआ है। अजमेर का अगला महापौर कौन होगा और उप महापौर का पद किसकी किस्मत में लिखा है, इन सवालों के जवाब भले ही पुष्कर के ज्योतिषी कैलाश दाधीच के पास भी न हों लेकिन अजमेर के विधायक भाई बहन ज़रूर जानते हैं ।
बहन अनीता भदेल और भाई भाऊ देवनानी 80 वार्डों में महापौर और उपमहापौर को नज़र में रख कर ही टिकट बांट रहे हैं। दोनों ही नेता चाहते हैं कि बोर्ड भाजपा का बने और महापौर व उपमहापौर बनें उनके गुर्गे! पिछली बार भाऊ ने अपने नीली आंखों वाले लड़के (ब्लू आई बॉय) धर्मेंद्र गहलोत को मेयर बनाने के लिए क्या नहीं किया? बहन अनीता भदेल की एक नहीं चलने दी! सुरेंद्र सिंह शेखावत को पद से जिस तरह पर्ची कांड के ज़रिए बाहर किया गया, वह पूरा शहर जानता है । इस बार भी अनिता जी जानती है कि भाऊ की ज़िद उनकी सोच पर भारी पड़ सकती है। इसलिए वे पहले से ही हाथ मिलाकर भाऊ की जिद को पढ़ने की कोशिश कर रही हैं।
बहन अनीता भदेल, भाऊ के मुकाबले बहुत भोली हैं। पिछली बार उपमहापौर के लिए संपत सांखला को आगे करके उन्होंने अपनी छवि के जिस तरह पलीता लगवा लिया वह आज भी उनके पछतावे की वजह बनी हुई है। इस बार भी सम्पत साँखला वार्ड 30 से टिकट लेने के लिए अटके हुए थे! उनकी नज़र में इस बार फिर से कम से कम उप महापौर बनने की तमन्ना थी मगर लगता है इस बार बहन अनीता जी की चौथी इंद्री जाग गई है!उन्होंने साँखला को अपने चिल्गोज़ों की लिस्ट से बेदख़ल कर हाईकमान को भी ये संदेश दे दिया है। इधर भाऊ ने भी संपत सांखला को अपने क्षेत्र से टिकट नहीं लेने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है। बहन अनीता ने उनके जेल जाने की संभावनाओं के कारण कदम पीछे हटा लिए हैं ।दोनों भाई बहनों के कारण इस बार संपत सांखला को बिना चुनाव लड़े अपनी पिछली खाई हुई खुराक के लिए पाचन शक्ति बढ़ानी पड़ सकती है।
संपत सांखला निबट गए हैं और उन्हें निपटाने में भाऊ देवनानी जी और उनके श्वेत अश्वों का बहुत बड़ा हाथ रहा। कारसेवक अभी भी उन्हें निपटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे । ईडी और इनकम टैक्स विभाग सक्रिय किए जा चुके हैं । यदि किसी ख़ास वजह से वे चुनाव लड़ भी लें तो उनका चुनाव लड़ना कानूनी रूप से रद्द करवाये जाने की व्यवस्था भी कर दी गई है ।
मित्रों!! यहां आपको बता दूँ कि इस बार महापौर से ज्यादा उपमहापौर पद के लिए आई पी एल टूर्नामेंट चल रहा है। कांग्रेस एक तरह से हथियार डाल चुकी है। वहां बोर्ड बनाने की दिशा में कोई नेता जिम खोलकर नहीं बैठा। कोई उम्मीदवार कसरत नहीं कर रहा।
भाजपा में कई रिंग मास्टर सक्रिय हैं ! भाजपा की जन्मपत्री में नीरज जैन, ज्ञान सारस्वत और रमेश सोनी मुख्य माने जा रहे हैं। रमेश सोनी भाऊ देवनानी की पहली पसंद माने जाते रहे हैं मगर उनकी दूसरी और तीसरी पसंद के सारथियों ने रमेश सोनी की हेलो गोल्ड मुकदमे वाली पुरानी फाइल हाईकमान तक पहुंचा दी है। मीडिया प्रबंधन भी चल रहा है। कुल मिलाकर निबटाने की तैयारी !!
उपमहापौर की सीट क्योंकि सामान्य वर्ग की है इसलिए नीरज जैन सर्वाधिक प्रभावशाली माने जा रहे हैं।भाऊ भी इस बार नीरज जैन के पीछे खड़े होने का नाटक कर रहे हैं। क्योंकि की उन्हें लग रहा है कि कही अंत मे हेलो गोल्ड कोई बखेड़ा खड़ा न कर दे । यह तय है कि रमेश सोनी या नीरज जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र के सबसे ताक़तवर नेता हैं। भाजपा में तो लगभग यह तय है कि उपमहापौर अजमेर उत्तर से ही बनेगा, इसलिए भाजपा के सारे नेता अपने अपने घोड़े इसी क्षेत्र में दौड़ा रहे हैं।
कांग्रेस की नज़र में ज़रा सी भी संभावना यदि है तो नगर परिषद के पूर्व अधिकारी और प्रभावशाली नेता महेंद्र सिंह रलावता के छोटे भाई गजेंद्र सिंह रलावता को लेकर है।
जहां तक महापौर का सवाल है भाजपा से दावेदारी पूर्व जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने कर रखी है। वंदना नोगिया को विधायक अनिता भदेल स्वाभाविक रूप से अपनी राजनीतिक सौत मानती हैं। लखावत की गोद भक्त होने के कारण भाऊ देवनानी भी अब शहर की राजनीति में उनका प्रवेश नहीं चाहते। नो नोगिया का नारा लगाया जा रहा है। उनको ठिकाने लगाने के लिए दोनों भाई-बहनों ने अंदर खाने से हाथ मिला रखे हैं। नोगिया विरोधी मानसिकता के कारण अब प्रिय शील हाडा की पत्नी मुख्य दावेदार हो सकती हैं ।
इधर राजनीति के हेड मास्टर ,रिंग मास्टर और मास्टर माइंड नेता ओंकार सिंह लखावत जो कई वर्षों से जयपुर रहकर अजमेर में क्रिकेट खेल रहे हैं और अनिता भदेल व देवनानी द्वारा हमेशा हिट विकेट आउट किए जाते रहे हैं, चाहते हैं कि किसी तरह हाईकमान की ताक़त से नोगिया को महापौर बनवा दें। नोगिया को प्रदेश स्तरीय नेता बनवाकर उन्होंने ये सिद्ध कर दिया है कि शहर में अब उनके दो गोद भक्त हैं नोगिया और संपत सांखला। इस बार दोनों ही भाऊ और भदेल के संयुक्त खेल में निपट चुके हैं। इनके हाल तो इतने बुरे हैं कि इन्हें पार्षद की टिकट लेने तक के लिए हाथ पैर मारने पड़ रहे हैं ।
कांग्रेस की चुप्पी ने अजमेर की राजनीति से कांग्रेस को दूर रखा ! यदि कांग्रेसी नेता सिर्फ़ निगम के भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलाफ खुलकर बोलते रहते तो शहर में वे आज अपना महापौर व उपमहापौर बनवा सकते थे, मगर पता नहीं बेकार के मुद्दों पर बकबक करने वाले ये नेता क्यों भ्रष्टाचार के मामले में खामोश हो जाते हैं जैसे उनकी भी पूरी हिस्सेदारी रहती हो!
भाजपा में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा के ही पार्षद आपस में लड़ते रहे मगर कांग्रेस ने आज तक कभी एक शब्द नहीं बोला! नतीजा यह है कि शहर समझ गया है कि चोर चोर मौसेरे भाई हैं। लिफाफे दोनों तरफ बांटे गए हैं।
भाइयों !!
हर रोज़ की तरह अंत में एक बात फिर दौहरा रहा हूँ कि नेताओं को टिकट देना उनकी पार्टियों के हाथ में है लेकिन वोट देना आपके हाथ में है!!
आप किसी भी पार्टी को वोट दें मगर इस बार पार्टी से ज्यादा व्यक्ति को देखकर वोट दें !! हो सकता है ईमानदार व्यक्ति आप की पार्टी का न हो, मगर उसे हारने न दें! शहर का मुकद्दर पार्टियां नहीं ईमानदार नेता तय करेंगे! पार्षदों का इतिहास आपके सामने हैं। आपके क्षेत्र में इन पार्षदों ने आपको छोटी-छोटी बातों के लिए रुलाया है! आपके साथ ऐसा व्यवहार किया है जैसे वे महान कृपा निधान हों और आप उनकी प्रजा या उनके सेवक ! आपके वोट से बनने वाले ये पार्षद जीतने के बाद आपके मालिक न बन जाएं, आपको ग़ुलाम की तरह से ट्रीट न करें, इसके लिए जीतने से पहले ही इनका पुख़्ता इंतजाम कर दें। हम जब घर मे कोई पालतू जानवर भी पालते हैं तो उनकी नस्ल देखते हैं।ये तो पार्षद हैं। ईमानदार लोगों को अपना वोट दें।
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