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January 12, 2021
सम्पत साँखला के बहाने काँग्रेस व भाजपा नेताओं के चाल-चरित्र
सोमरत्न आर्य में भाजपा को कौनसा कांटा नज़र आया जो संपत में नज़र नहीं आ रहा
अजमेर कॉंग्रेस हो या भाजपा दोनों के बीच भ्रष्टाचार को लेकर अज्ञात समझौता
इलायची बाई के इस शहर में जिसकी पूँछ उठाओ वही मादा
यहाँ मुद्दे नहीं मुर्दे उठाए जाते हैं
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का ।संपत सांखला की संपत्ति की जांच के लिए अब कई और विभाग भी सक्रिय हो गए है। हर मामले में सम्बंधित विभाग एक दूसरे को सहयोग कर रहे हैं ।एसीबी की सक्रियता पहले से ही चर्चाओं में है। ईमानदार जांच अधिकारी पारस जी बाल की खाल निकालने के लिए नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण की अलमारियों में रखी फाइलों को तलाश रहे हैं। मीडिया जिस तरह ईमानदार जांच अधिकारी पारस मल जी की हर नज़र पर अपनी पैनी नज़र रख रहा है वह भी क़ाबिले तारीफ़ है।जेल में बंद एक सांखला ज़मानत के लिए फड़फड़ा रहा है दूसरा जेल जाने से बचने के लिए।
यहां मजेदार बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के छोटे बड़े नेताओं को सांप सूँघा हुआ है ।भाजपा के महान नेताओं पर महान किस्म के मामले दर्ज हैं। प्रथम दृष्टया उन्हें दोषी भी मान लिया गया है लेकिन पार्टी उन्हें क्लीनचिट देने में लगी हुई है ।ऐसा लग रहा है कि संपत सांखला को यदि जेल भी जाना पड़ा तो लखावत जी उनका बाल बांका नहीं होने देंगे ।अरुण चतुर्वेदी और अशोक लाहोटी उनके पद और मद को संभाले रखेंगे । उन्हें पार्षद बनवाकर ही दम लेंगे।
फ़र्ज़ी मार्कशीट मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेकर अपनी कार्रवाई जारी कर रखी है। न्यायालय ने उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी करार दे दिया है मगर पार्टी के दिग्गज नेता शायद उनके जेल जाने तक का ही इंतज़ार कर रहे हैं।
यहां आपको बता दूं कि यह वही पार्टी है ,वही ईमानदार नेता हैं जिन्होंने नगर परिषद के पूर्व उपसभापति सोमरत्न आर्य पर मामला दर्ज़ होते ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था । हालांकि सोम रत्न आर्य बराबर कहे जा रहे थे कि उन्हें झूठे मामले में ,राजनीतिक छवि खराब करने के षड्यंत्र में फसाया जा रहा है। पार्टी के यही ईमानदार नेता तब उनकी एक नहीं सुन रहे थे।पार्टी ने तब उन्हें तुरंत निकाल कर सारे नैतिक कर्तव्य पूरे कर लिए थे ।आज जबकि चुनाव सर पर हैं।पार्टी के नेता एक निम्न श्रेणी के अपराध कारित करने के आरोपी को बचाने में लगे हुए हैं।वह भी शायद सिर्फ़ इसलिए कि वे पूर्व मंत्री बहन अनिता भदेल के ख़ास रह चुके हैं।( जबकि बाद में उन्हें भी संपत भाई आईना दिखा चुके हैं ) और लखावत जी तो उनके गॉडफादर हैं ही।
यदि मैं ग़लत कह रहा हूँ तो अनुशासन समिति के मुखिया लखावत जी इतने प्रचारित हो चुके मुद्दे पर चुप क्यों है बहन अनिता भदेल जी के मुंह पर ताला क्यों लगा हुआ है वे बोल क्यों नहीं रहीं कि दागी किसी भी नेता को तुरंत पार्टी से निकाल दिया जाना चाहिए। सोमरत्न जी के रिश्ते शायद उनसे बहुत अच्छे नहीं रहे होंगे तभी उन्होंने पार्टी से निकाल देने के फैसले को सही माना था । संपत सांखला में उनको कौन से सुर्खाब के पर नज़र आ रहे हैं जो वे खामोश बैठी हैं देवनानी जी चुप है ये तो समझ मे आता है। वे अंदर से ख़ुश हैं कि चलो बिना कुछ किये ही दुश्मन का एक और विकेट गिर रहा है।
ईमानदार और संवेदनशील एसीबी अधिकारी पारस जी ने संपत सांखला और उनके परिवार से जुड़ी सभी फाइलों के पन्ने खोलने शुरू कर दिए हैं। विकास प्राधिकरण की ईमानदार और कड़क लेडी सिंघम रेणु जयपाल भी उन्हें पूरी तरह सहयोग कर रही हैं। ऐसे में कई चौंकाने वाली जानकारियां अभी और भी सामने आ सकती हैं।
भाजपा के दिग्गज नेता और नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत पर भी कई मामले लंबित हैं ।उन पर भी गंभीर किस्म के आरोप हैं। उनका संपत सांखला के लिए एक शब्द भी न बोलना वाजिब नहीं मगर स्वभाविक है। जिनके खुद के घर कांच के होते हैं वे दूसरों के शीशे नहीं फोड़ते।एक ने ग़लती से फोड़ दिया था तो वह जेल में है।बाकी बचे लोग फिर से सफ़ेद पोशों की तरह चुनाव लड़ने की फ़िराक़ में हैं। हो सकता है उन्हें पार्टी अंधी होकर टिकट भी दे दे ,मगर पार्टी टिकट दे सकती है वोट नहीं ।वोट तो जनता ही देती है और जनता जानती है कि दागी नेताओं के चाल और चरित्र क्या है
हो सकता है गहलोत , दोनों सांखला और इसी किस्म के अन्य भ्रष्ट पूर्व पार्षदों को फिर से टिकट मिल जाए मगर चुनाव परिणाम क्या होंगे यह मैं जानता हूँ। जनता जानती है। सिर्फ़ पार्टी नहीं जानती!!
कांग्रेस पार्टी के सारे नेता खामोश बैठे हैं । भाजपा नेताओं पर लग रहे आरोपों को लेकर वे कुछ नहीं बोल रहे।
अपने आप को निष्ठावान कहने वाले बुजुर्ग कांग्रेसी भी चुप बैठे हैं। महेंद्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी ,विजय जैन, सुरेश गर्ग, प्रकाश गदिया, महेश ओझा,प्रताप यादव ,डॉक्टर बाहेती या कोई भी युवा नेता में से एक नाम ,विपरीत पार्टी के नेताओं पर लग रहे गंभीर आरोपों को लेकर शायद इसलिए मुंह नहीं खोल रहा कि इलायची बाई के इस शहर में चोर --चोर मौसेरे भाई होते हैं ।
अजमेर शहर में लोग मुद्दे नहीं मुर्दे उठाते हैं। जिसकी पूंछ उठाओ वही मादा निकलता है। यदि ऐसा ही है तो दोनों पार्टियों को आगामी निगम के चुनावों के लिए नूरा कुश्ती की तरह नूरा समझौता भी कर लेना चाहिए ।अस्सी वार्डों में से 40 वार्ड कांग्रेस को ले लेने चाहिए ,40 भाजपा को । फिर दोनों पार्टियों की तरफ से मेयर और उप मेयर के लिए एक-एक पर्ची देकर लॉटरी निकाल लेनी चाहिये। नूरा कुश्ती के यही परिणाम होते हैं ।
अजमेर शहर में जो चल रहा है इसे कांग्रेस और भाजपा समझ कर भी भले ही न समझे मगर जनता समझ रही है। आगामी चुनाव में भले ही बोर्ड किसी भी पार्टी का बने, जनता भ्रष्ट और दागी नेताओं को चुनाव नहीं जीतने देगी ,यह मेरा वादा है ।
मैं जनता से विनम्र आग्रह करता हूँ ।भीख मांगता हूँ कि आप अपना कीमती वोट किसी भी पार्टी के नेता को दे देना मगर उसे देना जिसकी छवि मोदी जी जैसी बेदाग हो! जो भ्रष्टाचार की पाठशाला या मदरसे में न पढा हो।
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