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January 9, 2021
उपमहापौर के पद का दुरुपयोग कर संपत सांखला द्वारा करोड़ो की सरकारी ज़मीन को बेचने का मामला गर्माया
ए सी बी ने की प्रथम दृष्टया जांच में संपत सांखला दोषी करार। अग्रिम जांच जारी!!
संपत सांखला से पीड़ित कारसेवक लगे पीछे ,और भी दर्ज़ मुकद्दमे रहे हैं खंगाल
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
नगर निगम अजमेर के भूतपूर्व उपमहापौर संपत सांखला इधर आगामी निकाय चुनाव में वार्ड 80 से भाजपा की ओर से मैदान में उतरने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं उधर ए सी बी उन्हें कानूनी शिकंजे में जकड़ कर जेल पहुंचाने की फिराक में जुट गई है। मामला बेशकीमती सरकारी ज़मीन के षडयंत्र पूर्वक बेचान का है। ए सी बी प्रथम द्रष्टया उन्हें दोषी मानकर ही कार्रवाई कर रही है। यदि भाग्य ने साथ नहीं दिया तो वे किसी भी समय चौंकाने वाली खबर बन सकते हैं ।
मैं निजी तौर पर संपत सांखला को बेहद ईमानदार समझता रहा हूँ। मैं सोच भी नहीं सकता कि वे करोड़ों की ज़मीन के बेचान में लाखों के बारे न्यारे कर सकते हैं।
पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक अनिता भदेल के सिपहसालार माने जाने वाले (अब नहीं ) और दिग्गज भाजपा नेता ओंकार सिंह लखावत की शहर में पहली पसंद संपत सांखला , पहले तो दसवीं पास की फर्जी डिग्री को लेकर चर्चाओं में रहे और अब मुझे जो कागजात मिले हैं उनके मुताबिक ए सी बी द्वारा इस फर्जीवाड़े में दर्ज मुकदमे में उन्हें नोटिस- दर नोटिस देकर तलब करने के बाद ही वे ए सी बी के समक्ष पेश हुए।
सवाल यह उठने लगा है कि क्या वे सरकारी ज़मीनों की बहुतायत वाले वार्ड 80 से वे पुनः दावेदारी कर पाएंगे वार्ड अस्सी पर क्या संपत सांखला को भाजपा फिर से अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाएगी
दोस्तों!! ए सी बी के काग़ज़ातों के मुताबिक मामला हरिभाऊ मुख्य सी ब्लॉक पार्क के पास ,पुराने खसरा न 107 ,108 ,117 और नए खसरा न 128,129, 175/ 2364, 120 योजना क्षेत्र के भाग का है। इन खसरों की कुल रकबा भूमि में से 3 बीघा 11 बिस्वा जमीन तो मूल खातेदारों द्वारा आनंद नगर गृह निर्माण सोसायटी को बेचान करने के बाद शेष बची जमीन अजमेर विकास प्राधिकरण की योजना क्षेत्र का अवाप्तशुदा भाग है।
आरोप है कि उक्त अवाप्त शुदा ज़मीन पर पद का कथित दुरुपयोग कर संपत सांखला द्वारा प्राधिकरण की ज़मीन पर नगर निगम द्वारा फर्जी AMC नम्बर 163 /1/45 E अंकित करवा लिया गया, जबकि उक्त AMC नम्बर नगर निगम रिकॉर्ड में कहीं दर्ज ही नही है
निगम का रिकॉर्ड ए सी बी द्वारा ज़ब्त किया हुआ है और नगर निगम के अधिकारियों द्वारा इसकी पुष्टि पूछताछ में कर दी गयी है कि ये AMC नम्बर फर्जी हैं
दोस्तों !! मैं आपको बता दूं कि वैसे भी नगर निगम द्वारा AMC नम्बर वर्ष 2003 के बाद से जारी ही नही किये जा रहे हैं।
अजमेर विकास प्राधिकरण की योजना क्षेत्र में नगर निगम द्वारा किसी भी प्रकार की दखलंदाज़ी नहीं की जा सकती , परंतु इस ज़मीन पर नगर निगम द्वारा ना जाने कैसे ए एम सी नम्बर जारी कर दिए गए और इसमें प्राधिकरण भी चुप होकर बैठ गया । उसकी यह चुप्पी भी ए सी बी को आश्चर्यजनक लग रही है।
मित्रो !! इस अवाप्तशुदा भूमि में से 638 वर्ग ग़ज़ भूमि पर संपत सांखला द्वारा 20/8/15 को उपमहापौर बनने के तुरंत बाद यानी सात दिन में ही 27/8/15 को उक्त ज़मीन के तीन टुकड़े करके अलग अलग नक्शे ही पास करवा लिए गए। ए सीबी का ऐसा मानना है कि नक्शा स्वीकृति में उपमहापौर के पद का दुरूपयोग हुआ है।
मज़ेदार बात यहाँ ये हुई कि नक्शे एकल खिड़की से , एक ही बाबू के हस्ताक्षर से जारी करवा लिए गए। कोई भी तकनीकी अधिकारी के नक्शे पर हस्ताक्षर तक नही है,जबकि आम जनता को बिना तकनीकी अधिकारी की सेवा सुश्रुषा करे नक्शे मिल ही नही सकते। बड़ी चतुराई से एकल खिड़की योजना का लाभ लेने के लिए ही इस भूखण्ड के तीन हिस्से किये गए अन्यथा तो एक बड़े भूखण्ड का नक्शा इतनी आसानी से स्वीकृत होना संभव नही था।
प्राधिकरण की ज़मीन होने के कारण नक्शे स्वीकृत करने का अधिकार ही नगर निगम को नही था परंतु फिर भी आँख बंद करके निगम द्वारा नक्शे स्वीकृत कर दिए गए।
इन स्वीकृत नक्शों को ही आधार बनाते हुए इस सरकारी ज़मीन को संपत सांखला द्वारा इकरारनामा बनाकर नक़द 55 लाख रु प्राप्त कर राजू लालवानी को बेचान कर दी ।
दोस्तों !! किसी भी व्यापारिक व्यवहार में 55 लाख रुपये का नक़द लेन देन होता ही नही है और जब नक़द 55 लाख रुपये ले ही लिए गए तो इसकी तुरन्त रजिस्ट्री की जानी चाहिए थी, जिससे सरकार को राजस्व प्राप्ति होती मगर यहां तो इतनी बड़ी रक़म प्राप्ति मात्र 500 रुपये के स्टाम्प पर ही हो गई और स्टाम्प क्रय नही करके सरकार को लाखों की राजस्व हानि पहुंचा दी गई। यहाँ बता दूं कि ऐसा मैं नहीं ए.सी.बी. मान रही है।
ए सी बी द्वारा दर्ज़ मुकदमे में अनुसंधान अधिकारी पुलिस उप अधीक्षक पारस मल द्वारा नगर निगम का रिकॉर्ड जब्त कर निगम के कार्मिकों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं।
अब प्राधिकरण के रिकॉर्ड का गहन अनुसंधान किया जा रहा है।अब तक किये अनुसंधान के अनुसार प्रथम दृष्टया इस बेचाननामे मे बहुत बड़ा गड़बड़झाला माना जा रहा है।
मित्रों !! कुल मिलाकर ए सी बी को इस प्रकरण में किसी बड़े षडयंत्र की बदबू आ रही है इसलिए वो इस मुकदमे में हाथ पैर धोकर पीछे पड़ी हुई है और एक ईमानदार अधिकारी श्री पारस मल के निर्देशन में बड़ी ही गहनता से जांच करवाई जा रही है।
अजमेर विकास प्राधिकरण यदि अपने स्वामित्व की ये ज़मीन तुरंत अपने कब्जे में लेकर नीलाम करे तो प्राधिकरण के खजाने में लगभग 2 करोड़ रुपए आ सकते हैं।
यहाँ सबसे बड़ी बात ये है कि इतना गड़बड़झाला करने के बावजूद हाल ही में होने वाले नगर निगम चुनावो में सम्मानीय संपत सांखला जी वार्ड नं 80 से पुनः अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।दोस्तो !! एक बार आपको फिर ये बता दूँ कि ये वही वार्ड है जहां सरकारी ज़मीन बहुतायत में है ।अब इस वार्ड से सांखला की दावेदारी सबको अचंभित करने वाली है। और उनकी इस दावेदारी के कारण ही कई कारसेवक उनको निबटाने में लग गए हैं।
सरकारी ज़मीन पर कब्जो को लेकर ही दो निवर्तमान पार्षदों में जमकर जूतम पैजार हो चुकी है और एक पार्षद तो अभी भी हवालात में हैं। इस जूतम पैज़ार का खामियाज़ा आने वाले चुनावों में सब परिस्थियां पक्ष में होने के बावजूद भी निश्चित रूप से भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
दोस्तो !! अब देखना ये है कि एक आदर्शवादी पार्टी इस प्रकरण से होने वाले फायदे नुकसान को किस नज़र से देखती है। और क्या कार्यवाही करती है !!!
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