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January 8, 2021
क्या डोटासरा की नई कार्यकारिणी से मजबूत हुए हैं सचिन पॉयलट
क्या अशोक गहलोत को अजय माकन ने किया साइड लाइन
गहलोत के जादू ने रंग बदला है लिबास नहीं! सचिन के चिल्गोज़ों को तरज़ीह देना उनकी दूरदर्शिता!
मंत्री मंडल का विस्तार तय करेगा सचिन कितने हुए हैं मजबूत
सचिन का सत्ता में किस तरह होगा जलवा पूजन , यही तय करेगा उनकी हैसियत
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और प्रदेश प्रभारी अजय माकन दोनों इन दिनों चर्चाओं में हैं। हाल ही में उन्होंने जो प्रदेश कार्यकारिणी गठित की है ,उसमें शामिल नेताओं को लेकर तरह तरह के बयान सामने आ रहे हैं ।कहा जा रहा है कि इस कार्यकारिणी में सचिन पायलट गुट को अच्छी ख़ासी तरज़ीह दी गई है ।उनके चहेतों को बड़ी संख्या में नवाज़ा गया है ।वे अब मजबूत हो गए हैं
ऐसा कहने वालों को मैं धुरंधर समीक्षक नहीं मानता। अशोक गहलोत ने पी सी सी की यह टीम बिना अपनी सहमति के जारी नहीं होने दी है।वे इतने नादान नहीं कि नकारा और निकम्मे नेताओं को अपने आगे ताक़तवर बनने दें।
अजय माकन की सहमति से बनी डोटासरा की नई टीम गहलोत ने खुद नज़रबार कर स्वीकार की है और उन्होंने अपनी जादूगरी इस बार भी पूरी तरह काम में ली है। किसी मजबूरी में या माकन के दवाब में आकर नहीं
वे राजस्थान के विधायकों और नेताओं की इच्छाशक्ति को भली-भांति जानते हैं। समझते हैं। वे आधा तीतर , आधा बटेर वाले मुहावरे से विधायकों के मनोभावों ,भावनाओं को तोलते हैं। वे जानते हैं कि सचिन पायलट नाम के शहद में कितनी चासनी है ? कितना मीठा पन है?
मुख्यमंत्री बनने से पहले और मुख्यमंत्री बनने के बाद सचिन पायलट ने उन्हें किस -किस तरह, कितना परेशान किया ? उनकी इज़्ज़त पर गायबाना और ज़ाहिराना किस किस तरह से हमले किए ? उनके समर्थकों को किस तरह परेशान किया ? यह गहलोत इस जन्म में तो भूलने वाले नहीं!
उनसे ज्यादा यह कोई नहीं जानता कि यदि आने वाले समय में सचिन पायलट को ज़रा भी ताकत मिली तो वे उसका उपयोग उनके लिबास पर कीचड़ उछालने में ही करेंगे ।
गहलोत की सहमति से जो पीसीसी की कार्यकारिणी गठित की गई है उसमें उन्होंने कई तीसमारखाँओं को संगठन तक सीमित कर दिया है ।
राकेश पारीक जिन्हें सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर महामंत्री बनाया गया या फिर सचिन के वे सिपहसालार जो लिस्ट में ज़ोरदार पदों से नवाज़े गए यह गहलोत की अतिरिक्त समझदारी है। गहलोत ने उन्हें कार्यकारिणी में पदों से नवाज़ कर मंत्रिमंडल के विस्तार से पूर्णतः निष्कासित कर दिया है। आने वाले वक्त में यह तय है कि एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला ही लागू किया जाएगा। डोटासरा भी सिर्फ़ अध्यक्ष ही रह जाएंगे। ऐसे में सचिन के ये सारे समर्थक जो संगठन में शामिल हैं सत्ता से अपने आप अलग हो जायेंगे।उनको सिर्फ़ लैटर पेड़ छाप नेता बना दिया गया है।
अब आइए !! ज़रा बात करें उस समय की जब पायलट प्रदेश अध्यक्ष थे ।उन्होंने विधानसभा में टिकट बाँटी थीं। उनके कोटे में जिन्हें टिकट मिलीं वे जीतने के बाद कैसे खेमा बदल गए
प्रताप खाचरियावास, डॉ रघु शर्मा, भजन लाल जाटव, दानिश अबरार और विवेक बोहरा ये सभी सचिन के समर्थक माने जाते थे । उन्हें उन्हीं के कोटे से टिकट भी मिला था। आज ये सब अशोक गहलोत के साथ हैं ।हो सकता है इस नई कार्यकारिणी में आज के कई सचिन समर्थक, आने वाले समय में गहलोत के गीत गाने लग जाएं ।
इस कार्यकारिणी में सचिन पायलट का जिन्हें अंधभक्त माना जा रहा है उनमें प्रशांत शर्मा , शोभा सोलंकी , रवि पटेल सहित कई नेता हैं मगर सच्चाई देखी जाए तो ये नेता सिर्फ़ पायलट के ही गीत नहीं गाते बल्कि राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं के साथ ढफली भी बजाते हैं । भाभी नसीम अख्तर को ही लीजिए ।सब जानते हैं कि वे सचिन पायलट की कभी खास हुआ करती थीं मगर उनके झुकाव में पिछले कुछ समय से काफी बदलाव देखा जा रहा है ।वे गहलोत से भी रिश्ते सुधारने में लगी हुई हैं।
नई कार्यकारिणी मेरी नज़र में कांग्रेस के शोरूम के बाहर लगाए पोस्टर जैसी है ,जिसमें पार्टनरों के सिर्फ़ नाम लिखे हैं। बैंक अकाउंट में उनका नाम नहीं है।
निकाय चुनाव में यदि आप सोचते हैं कि कार्यकारिणी के किसी पदाधिकारी की टिकट बांटने में राय ली जाएगी तो आप ग़लत फ़हमी में हैं। जो लोग विधायक हैं उनसे ज़रूर रायशुमारी की जाएगी बाकी के पदाधिकारी तो सिर्फ लेटर पैड की शोभा ही बढ़ाएंगे ।
गहलोत भली-भांति जानते हैं कि पीसीसी के पदाधिकारियों की हैसियत क्या होती है? वे यह भी जानते हैं कि जब वे अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे तब उनको अजय माकन का कितना सम्मान देना है ?हाईकमान की कितनी चलने देनी है?
सचिन पायलट के लोगों को कार्यकारिणी में शामिल करना अलग बात है ।उनके विधायकों को मंत्री बनाना अलग बात ।
कौन कितना ताक़तवर है यह तो तभी पता चलेगा जब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा !! सचिन समर्थक कितने विधायक मंत्री बनेंगे!!
गहलोत ने अजय माकन को साफ़ कह दिया है कि कार्यकारिणी में आप जैसा चाहे कर लें लेकिन मंत्रिमंडल में टीम मैं अपनी दृष्टि से अनुकूल लोगों को ही लेकर बनाऊंगा। राजपाठ मुझे चलाना है, सचिन पायलट को नहीं। उंगली उठाने या करने वाले नेताओं को वे पहले बहुत भुगत चुके हैं अब नहीं भुगतेंगे।
यहां अंत में एक और बात !! अभी सचिन पायलट के चिल्गोज़ों का नाम संस्करण हुआ है । जलवा पुजा है।उनका खुद का नहीं। उनके क़द का अभी भी राजस्थान की सत्ता या संगठन में कहीं कोई हिस्सा नहीं है।देखना होगा कि उन्हें गहलोत की सत्ता में किस तरह, किस रूप में क़ाबिज़ और समायोजित किया जाएगा।
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