For News (24x7) : 9829070307
RNI NO : RAJBIL/2013/50688
Visitors - 102919568
Horizon Hind facebook Horizon Hind Twitter Horizon Hind Youtube Horizon Hind Instagram Horizon Hind Linkedin
Breaking News
Ajmer Breaking News: अक्षय तृतीया के मौके पर संस्था के जागरूकता अभियानों द्वारा रूकवाए पांच बाल विवाह |  Ajmer Breaking News: भगवान परशुराम संपूर्ण मानवता के लिए आदर्श-श्री देवनानी |  Ajmer Breaking News: वासुदेव देवनानी के निवास पर नामदेव समाज द्वारा स्वागत व अभिनन्दन |  Ajmer Breaking News: कश्मीर के पर्यटक स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमलें को लेकर  को पुष्कर पुलिस थाने में सीएलजी सदस्यों की बैठक आयोजित की गई।  |  Ajmer Breaking News: भैरव धाम राजगढ़ पर चढाया 15,551 फिट का साफा |  Ajmer Breaking News: अजमेर जिला बार एसोसिएशन के बैनर तले पाकिस्तान का झंडा जलाकर अधिवक्ताओं का विरोध प्रदर्शन, |  Ajmer Breaking News: अक्षय तृतीया के सावे को अबूझ सावा माना जाता है लेकिन इस बार शास्त्रों के अनुसार आखा तीज के दिन शादी विवाह के लिये शुभ नही माना जा रहा । |  Ajmer Breaking News: सात माह के बच्चे का अपहरण करने वाले सभी आरोपी को हुए गिरफ्तार,  |  Ajmer Breaking News: बढ़ती गर्मी के साथ अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल अधीक्षक ने किया अस्पताल का निरीक्षण, |  Ajmer Breaking News: बिना दवा स्वस्थ जीवन संभव, सिलोरा पंचायत समिति एवं रूपनगढ़ ग्राम पंचायत में एकात्म अभियान योग की पहल | 

क़लमकार: कौओं की मौत पर रोता अजमेर और उठते सवाल

Post Views 1261

January 4, 2021

अजमेर के कौओं के प्रकार, उनकी विचार धारा और उनको बचाने की चुनौती

कौओं की मौत पर रोता अजमेर और उठते सवाल




अजमेर के कौओं के प्रकार, उनकी विचार धारा और उनको बचाने की चुनौती





आना सागर का टापू बनाम कौओं की राजधानी






सुरेन्द्र चतुर्वेदी





बेहताशा कौवे मर रहे हैं। उन पर लॉक डाउन नहीं लगाया जा सकता। रात्री कर्फ़्यू का वे आदतन पालन करते हैं मगर वे मास्क धारण नहीं कर सकते ।( चौंच के कारण), आपसी दूरी बना कर नहीं रख सकते( लाशों के सामूहिक भोज के कारण) ,बार बार साबुन से चौंच नहीं धो सकते (साबुन का इस्तेमाल वर्जित होने के कारण )। ज़ाहिर है कि उनका ख़तरा हमसे बड़ा है ।कोरोना और स्ट्रेन ने हमारा जीवन बर्बाद कर दिया है ।अब कौओं का भी जीना हराम होने लगा है।






हमारे लिए वैक्सीन तैयार है मगर कौओं के लिए कोई वैक्सीन सरकार शायद कभी नहीं बना पाए ।देश में किसी समय कौओं की भारी आबादी हुआ करती थी ।अब तो वे ईमानदार लोगों की तरह दुर्लभ नज़र आने लगे हैं। ऐसे में कौओं की लगातार हो रही मौतों से मैं बहुत परेशान हूँ।अजमेर शहर के वे लोग जो दुर्लभ होने का दर्द भोग रहे हैं परेशान हैं।






रामायण में काक भूसंडि जी का जिक्र है ।यह नाम शायद कौओं के आदि गुरु का है , जो बहुत विद्वान थे और जिन्होंने ऋषि मुनियों के रूप में कई महाकाव्य लिखे । कौए हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं।श्राद्ध पक्ष में इनकी पूछ उसी तरह होती है जिस तरह बाड़े बंदी के दौरान विधायकों की होती है।





सचिन पायलट और गहलोत के बीच की दरार को पाटने के लिए जिस तरह अजय माकन या वेणु गोपाल जी की पूछ कांग्रेस में है, उसी तरह की पूछ पंछियों की बिरादरी में कौओं की बनी रहती है




अजमेर में विधायक देवनानी जी का जिस तरह बयान बाजी में अपना अलग सम्मानीय स्थान है, ठीक उसी प्रकार पक्षी जाति में कौओं का बेहद पूजनीय स्थान है। हमारी मान्यता है कि घर में जब कोई मेहमान आने वाला होता है तो कौए घर की मुंडेर पर आकर आने स्वर लहरी बिखेरते हैं।





हिंदू परंपरा के मुताबिक जब कोई मरता है और उसकी चिता के फूल ठंडे करने के बाद श्मशान पर खीर बनाई जाती है तब कौओं को विशेष रूप से पुकार पुकार कर आमंत्रित किया जाता है।जैसे हम उठावने पर शहर की विशेष हस्तियों का आह्वान करते हैं।कौओं को भोजन कराने से मृत आत्मा को असीम शांति पहुंचती है ।





कौए जंगल में जिला कलेक्टर जैसे होते हैं। जंगल की जो नीतियां और योजनाएं राजा शेर निर्धारित करता है उन्हें प्रचारित और लागू कराने के लिए कौओं की प्रशासनिक प्रतिभा का लाभ उठाया जाता है । उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है।





कौओं को कुछ लोग आदिकाल से चालाक और धूर्त फितरत का मानते हैं।ऐसे लोगों ने शायद अजमेर ज़िले के कौओं को नहीं देखा। केकडी, ब्यावर, बिजयनगर, नसीराबाद, किशनगढ़ ,पुष्कर के कौओं को मैने बड़ी नज़दीकी से देखा है इसलिए मैं उनको चालाक नहीं बल्कि समझदार मानता हूँ।





जब कहीं भी कौए काँय काँय की कर्कश आवाज़ से माहौल को विचलित करते हैं तो मुझे राजस्थान की विधानसभा याद आ जाती है। कमोबेश संसद को भी ऐसे वक्त में याद किया जा सकता है।





अपनी बात रखने का कौओं का बहुत अलग अंदाज़ होता है मगर फिर भी वे ब्यावर के भूतड़ा जी का मुक़ाबला नहीं कर सकते।देवनानी जी का मुक़ाबला नहीं कर सकते।हां मगर कुछ मामलों में वे अजमेर के नेताओं से अलग टाइप के होते हैं ।बेकार की बयानबाज़ी नहीं करते । केवल बोलने के लिए नहीं बोलते ।





देवनानी जी ने आज के अखबारों में किसान आंदोलन को लेकर बयान दिया है ।अच्छा लगा कि उन्होंने कुछ तो बोला ।शहर की पूरी तरह से 12 बजी हुई है। स्मार्ट सिटी बर्बाद सिटी बनती जा रही है और किसी भी नेता की जुबान से एक शब्द नहीं निकल रहा ।





उनकी जगह कोई काला कौवा होता और वह जंगल के हालात अजमेर जिले जैसे होते ,तो वह जंगल के समस्त कौओं की बिरादरी के साथ धरने पर बैठ जाता।




विधायक अनिता भदेल , विधायक राकेश पारीक, विधायक शंकर सिंह रावत, विधायक सुरेश टांक ,विधायक सुरेश सिंह रावत सभी को कौओं से ज़रूरत पड़ने पर बोलने और बिना ज़रूरत ख़ामोश रहने का हुनर सीखना चाहिए ।





डॉ श्रीगोपाल बाहेती, राज कुमार जयपाल, नसीम अख़्तर, महेंद्र सिंह रलावता , हेमंत भाटी, विजय जैन, सुरेश गर्ग , प्रकाश गदिया , कुलदीप कपूर, प्रताप यादव, विजय यादव,सबा खान,शैलेंद्र अग्रवाल आदि ऐसे कई नेता हैं जिनको मैं सलाह देता हूं कि वे कौओं की आदतें सीखें ।






रोटी का टुकड़ा सबको ललचाता है ।चाहे वह राजनेता हों, अधिकारी हों, पुलिस वाले हों, व्यापारी हों या वकील या कोई और भी ...मगर वह घात लगाकर रोटी उड़ाने की कला नहीं जानते।तुरंत रोटी पर मुंह मार देते हैं जिससे एन्टी करेप्शन वाले पकड़ लेते हैं।इस दिशा में कौओं को बड़ा महारथ हासिल होता है। वे विजय माल्या और नीरव मोदी की तरह चालाक, चौकन्ने और समझदार होते हैं ।लंबे अरसे तक घात लगाए रहते हैं।






कौवे और कोयल में बहुत फर्क होता है। रंग से दोनों भले ही काले होते हैं मगर बोलने पर दोनों का अंतर समझ में आ जाता है ।देवनानी जी और अनीता भदेल को आपने बोलते देखा होगा। दोनों जब बोलते हैं तो हमको उनका अंतर समझ मे आ जाता है।





अजमेर कौओं का लोकप्रिय शहर है ।कई प्रजाति के कौए इस शहर में सदियों से जीवन यापन कर रहे हैं। आना सागर टापू इन दिनों सभी प्रकार के कौओं के लिए राजधानी बना हुआ है ।शहर के सारे कौए चाहे वे किसी भी विचारधारा के क्यों न हों,किसी भी मत को मानने वाले क्यों न हों, यहां आकर एक हो जाते हैं ।





कौए यूँ फितरतन भू माफिया नहीं होते मगर भूमाफियाओं में कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कौओं को भी पीछे छोड़ देते हैं। अजमेर के अधिकांश भू माफिया ऐसे ही हैं।





अजमेर के कुछ भूमाफिया ऐसे भी हैं जिनमें मूर्खों की प्रवृत्ति पाई जाती है ।जहां रोटी का टुकड़ा नज़र आता है टूट पड़ते हैं।वैशाली नगर के कई माफ़िया ऐसे ही हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो कौओं की तरह ख़ाली पड़ी रोटी पर कड़ी नज़र रखते हैं। इससे पहले कि प्रशासन कोई कदम उठाए या कोई दूसरा परिंदा रोटी ले उड़े वे झपट लेते हैं।मरे का मांस वे कौओं की तरह ही खाते हैं।





दोस्तों ! कौओं की मौत पर अजमेर के लोगों को सबसे ज्यादा दुख है ।कौए चाहे कांग्रेस के द्वारा पूजे जाते हों या भाजपा के ,या और किसी विचारधारा के उन्हें मरने से बचाया जाना चाहिए।





सरकार को इस दिशा में कारगर कदम उठाने की जरूरत है।


© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved