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January 3, 2021
राजनेता मुंगेरी लाल के देख रहे हैं हसीन सपने,
प्रशासन स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों की योजनाओं के लगा रहा है धुआँ
आना सागर के चारों तरफ़ भू -माफ़िया और गुंडों के गिरोह सेटिंग की बदौलत खेल रहे है करोड़ों के खेल
प्रशासन की आँखें बंद: गधे खा रहे हैं गुलकंद
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
वैक्सीन की तैयारी चल रही है। एक्स्ट्रा स्मार्ट सिटी को और स्मार्ट बनाया जा रहा है ।नगर निगम में अधिकारियों का बोलबाला है क्यों कि स्थानीय प्रतिनिधियों का नियंत्रण खत्म हो चुका है । शहर में बादाम का हलवा खाया और खिलाया जा रहा है।
शहर के दोनों विधायक कोरोना से बचते हुए राष्ट्रीय मुद्दों पर तो बयान दे रहे हैं मगर शहरी समस्याओं की तरफ से आंखें मूंदे बैठे हैं।
कांग्रेसी नेताओं को सांप सूँघा हुआ है ।सभी अजय माकन और गोविंद डोटासरा के पिटारे को खुलने की दुआएं दे रहे हैं। मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने में हर कांग्रेसी एक से बढ़कर एक नज़र आ रहा है। बेचारी जनता घोड़ी बनकर हिन हिना रही है । अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
अजमेर जिले के हर शहर के कमोबेश यही हाल हैं। केकड़ी ख़ुश है कि कांग्रेस से तंग आकर बादशाही अंदाज़ में भूपेंद्र सिंह शक्तावत वापस भगवा हो गए हैं ।
ब्यावर में भूतड़ा और रावत के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। किशनगढ़ में महत्वाकांक्षी विधायक सुरेश टांक और सांसद भागीरथ चौधरी के बीच आर-पार की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही विकास का पहिया एक चलाता है तो दूसरा रोक लेता है ।
पुष्कर में सुरेश रावत क्या कर रहे हैं यह बात महत्वपूर्ण नहीं रही, बल्कि वे क्या नहीं कर रहे हैं यह सवाल पूछे जा रहे हैं ।
मसूदा के विधायक राकेश पारीक सचिन पायलट के हवाई जहाज़ में बैठकर जैसे सचेतक ही बने हुए हैं।
पूरा ज़िला ही खाम ख्याली के दौर से गुज़र रहा है ।
जहां तक अजमेर शहर का सवाल है ,अब साफ हो चुका है कि इस शहर पर प्रशासनिक नियंत्रण खत्म हो चुका है । उधर ज़िला प्रशासन स्मार्ट सिटी योजना में करोड़ों रुपए ठिकाने लगाने में व्यस्त हैं इधर भू-माफिया और संपत्ति के दलाल उर्फ प्रॉपर्टी डीलर शहर बेचने पर आमादा हैं।
नगर निगम और विकास प्राधिकरण प्रशासन की अनदेखी से शहर में लुटेरे एक बार फिर से सक्रिय हो चुके हैं। अवैध निर्माणों की बाढ़ आई हुई है। जो काम पहले नगर निगम द्वारा रुकवा दिए गए थे, या कठोरता पूर्वक सीज़ कर दिए गए थे ,फिर धड़ल्ले से चल रहे हैं। खोल दिए गए हैं। कोई रोकने वाला नहीं ।कहने सुनने वाला नहीं । और जिनके काम अभी भी सीज़ पड़े हैं और जो खुलवा नहीं पा रहे वे ऐसे बदनसीब हैं जिनकी सैटिंग नहीं बैठ पाई। सेटिंग करने वालों का ग्रुप पूरे शहर में सक्रिय हैं और उनके कोई काम नहीं रुक पा रहे।
आनासागर क्षेत्र को ही लीजिए!इस क्षेत्र पर शहर के बाहुबली, धन बली ,पूरी टीम के साथ निगम प्रशासन की निष्क्रियता के चलते फिर से सक्रिय हो गए हैं । देवनारायण मंदिर के आसपास देखिए ! शहर का हुलिया किस तरह बिगाड़ा जा रहा है ।जिस ज़मीन को डूब क्षेत्र में मानकर निगम ने निर्माण तुड़वा दिया था , वह फिर कब्जा धारियों की गिरफ्त में आ गया है ।फिर से वहां बस स्टैंड संचालित हो रहा है।
इस क्षेत्र में होने वाले अतिक्रमणों से यह क्षेत्र एक्सीडेंट जोन बन गया है ।आए दिन हादसे हो रहे हैं ।
भूमाफिया और असामाजिक तत्व अपने संरक्षण में अब पक्के निर्माण की जगह ऊँचे ऊँचे लोहे के पोल खड़े करके टीन शेड बनवा कर पक्के निर्माण का ही रूप दे रहे हैं। यह अवैध निर्माण अवैध भी हैं और जानलेवा भी। लोहे की इमारतों में बिजली के कनेक्शन किसी भी समय बड़े हादसे की शक्ल में सामने आ सकते हैं। बिजली विभाग चांदी की चमक से अंधा होकर कनेक्शन दे रहा है ।
पूरे गौरव पथ पर इस तरह के अवैध निर्माण नगर निगम और एडीए के अंधे अधिकारियों और उनके शागिर्दों द्वारा ही करवाए जा रहे हैं ।
बिना व्यवसायिक रूपांतरण करवाए कई व्यावसायिक निर्माण निर्बाध रूप से चल रहे हैं ।होटल मानसिंह के सामने, होटल लेक विनोरा के सामने, जी ब्लॉक मुख्य सड़क पर सुविधा शुल्क परोसकर बन रही दुकानों के काम पूरा होने से पहले ही करोड़ों में सौदे हो रहे हैं ।
गौरव पथ पर बधिर विद्यालय के सामने सड़क किनारे बेशकीमती सरकारी ज़मीनों पर लोगों ने ठेले व केबिन्स लगाकर कब्जा कर लिया है । इनकी आड़ में कई अवैध कार्य संचालित हो रहे हैं।
इनकम टैक्स कॉलोनी के सड़क किनारे बेशकीमती ज़मीन पर लोहे की केबिन्स लगाकर रेस्टोरेंट चालू कर दिए गए हैं ।सड़कों पर टेबल कुर्सी लगाकर लोगों को बैठाया जा रहा है। कॉलोनी वाले सर पीट पीट कर रो रहे हैं ।
रीजनल कॉलेज के बाहर बनी चौपाटी के पहले भी यही स्थिति है। कोरोना काल में दी गई हिदायतों का इस क्षेत्र से जनाज़ा निकल चुका है। कर्फ्यू काल में भी यहां रेस्टोरेंट खुलेआम चल रहे हैं।
सुविधा शुल्क के बिना क्या यह सब संभव है
स्मार्ट सिटी के रूप में करोड़ों रुपए खर्च करने वाला जिला प्रशासन, नगर निगम, एडीए, विद्युत विभाग, पुलिस विभाग सब को इस ओर ध्यान देना चाहिए। जब तक संगठित होकर ठोस कदम नहीं उठाए जाएँगे इस शहर को कभी स्मार्ट सिटी नहीं बनाया जा सकेगा।
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