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क़लमकार: बेहतर होगा कि आज का मेरा ब्लॉग ना ही पढ़ें

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January 1, 2021

प्लीज़ ! न पढ़ कर आप निराश होने से बच जाएंगे

बेहतर होगा कि आज का मेरा ब्लॉग ना ही पढ़ें



प्लीज़ ! न पढ़ कर आप निराश होने से बच जाएंगे



नया साल मुबारक़ हो! ये कहने में मुझे डर लग रहा है दोस्तो!!



सुरेन्द्र चतुर्वेदी



पुराना जाता है ।नया आ जाता है। समय केचुली बदलता रहता है ।सांप की तरह। सीधा नहीं चलता कभी। उसकी फितरत ही कुछ ऐसी है। पिछला साल महामारी की भेंट चढ़ गया ।चाइना के एक छोटे से वायरस ने ही हमें अपनी औक़ात दिखा दी।




ताक़तवर मुल्कों को आईना दिखाने के बाद भी वह अभी मरा नहीं है। देश और भेष बदल -बदल कर हमें डरा रहा है।




वक्त हम पर हंस रहा है। बेरहम वक्त को अपने पर ठहाका लगाते देख हम कसमसा रहे हैं। हम ईश्वर को भी तो कुछ नहीं कह सकते क्योंकि यह बुरा वक्त हमारे ही पापों का नतीजा है।कर्मों की ही सज़ा है ।जो सलूक हमने वक्त के साथ किया वहीं वो अब हमारे साथ किए जा रहा है ।




आने वाले साल की शुभकामनाएं तो हम दे रहे हैं मगर हमारा दिल जानता है कि अगला साल भी हमें ऐसे ही डसे बिना नहीं लौटेगा।




दोस्तों की साथ हैं शुभकामनाएं




फिर भी है तूफान की संभावनाएं




बन्द पड़े मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर खुल चुके हैं । स्कूल कॉलेज फिलहाल बंद हैं। बच्चे पूरे दस महीनों से घरों में क़ैद हैं। खुले मैदानों को खिड़कियों से देखते हुए।




छोटे-छोटे बच्चों के मुंह पर लगे मास्क बता रहे हैं कि आने वाला साल भी उनको ख़ामोशी ही पढा कर जाएगा।




कोरोना गया नहीं है।स्ट्रेन आ गया है।वह नहीं जाएगा उससे पहले ही और कोई दूसरी बीमारी हमारे दरवाज़े पर खड़ी मिल जाएगी। मानसिकता तो हमारी पहले से ही बीमार थी, अब शरीर भी बीमारी के दौर से गुज़र रहा है।




इस बुरे वक्त में कोई ऐसा नहीं जो कहे कि मैं बाहुबली हूँ। डॉन हूँ। दोस्तों ..!! कोरोना ने सारे दारा सिंहों को ख़ून का घूंट पीने को मजबूर कर दिया है ।जो कोरोना से मुँहजोरी करने आए उनकी लाशें पॉलीथिन में लिपट कर अस्पतालों से सीधे श्मशानों, कब्रों और ग्रेवयार्ड में पहुंच गईं। उनके लाडले उनके अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए।श्रद्धा सुमन अर्पित करने के मौके भी हाथ से जाते रहे।




आगमन और प्रस्थान नई परंपरा शुरू हो गई ।मृत आत्माओं का स्वर्ग में मेला लगा हुआ है ।पृथ्वी पर वही बचे हुए हैं जो मौत से डर कर हर सुबह अपने जिस्म में क़ैद हो जाते हैं।




दोस्तों !! आज का ब्लॉग लिखते समय मैं निराशा भरे वाक्यों का सहारा ले रहा हूँ। आप चाहें तो झूठी आशाओं और दिलासाओं से भी आपको ख़ुश कर सकता हूँ। मैं यह भी कह सकता हूं कि आने वाला साल आप को निहाल कर देगा। मालामाल कर देगा । न जाने कौन -कौन से कमाल कर देगा, मगर मैं जानता हूं कि नया साल पुराने साल के ही बताए रास्ते पर चल पड़ा है।




कल 31 दिसंबर और आज 1 जनवरी में कोई फर्क नहीं है। कल भी रात का कर्फ्यू लगा था आज भी लगा है और संभवतः अभी और लगा रहेगा।




वक्त अभी भी पुरानी चाल ही चल रहा है। हाथों की रिस्टवाच और कील गाढ़ कर ईसा मसीह बना कर दीवारों पर चिपका दी गई घड़ियां सब वक्त की साजिश में शामिल हैं।




दुनिया में यदि कहीं भी कोई खुश नज़र आ रहा है तो वह निश्चित रूप से अपने साथ नाटक कर रहा है। जो यह कह रहा है कि इस साल वो बहुत बड़ा तीर मार लेगा तो मान कर चलिए वह अपने अंदर उतना ही डरा हुआ है।




बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं




और पुलिया पर हमारे घर बने हैं 




आने वाला साल बीते हुए साल से किस तरह अच्छा हो यदि आप इस सवाल का उत्तर खोज रहे हैं तो मैं आपको बता दूँ की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाइए ! मास्क लगाइए ! कम से कम जिस्मानी दूरियां तो बनाकर ही रखिए ! वैक्सीन लगवाने के लिए हमेशा तैयार रहिए और सबसे बड़ी बात ये कि मरने के लिए हमेशा तैयार रहिए।




बर्थडे हर साल आ जाता है। नया साल भी हर 365 दिन बाद आ जाता है मगर मौत एक बार ही आएगी। और उसका कोई समय तय नहीं । उसके स्वागत के लिए तैयार रहिए हर समय तैयार नहीं रहे तो कुछ भी नहीं होने वाला उसको तो आना ही है इतनी निराशाजनक बात के बाद अब एक ऐसी बात है जिसे पढ़कर आपका दिल खुश हो जाएगा आप आनंद से झूम उठेंगे




हैप्पी न्यू ईयर


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