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December 30, 2020
गहलोत जी के ईमानदार विधायक
फिर कहा कि भाजपा ने 35 -35 करोड़ का लालच दिया पर नहीं बिके!
मेरे सवालों का क्या जवाब है गहलोत भैया के पास
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
बिल्ली को ख़्वाब में सिर्फ़ छिछडे नज़र आते हैं। यह बात मुझे तब याद आई, जब मुख्यमंत्री गहलोत ने फिर दोहराया कि कांग्रेस के विधायकों को खरीदने के लिए भाजपा ने 35- 35 करोड़ रुपए का लालच दिया मगर वे बिके नहीं।
मंगलवार को युवा कांग्रेस के प्रशिक्षण शिविर में उन्होंने यह बात फिर दोहराई। बात तो उन्होंने बहुत सी कहीं मगर यही बात ऐसी है जो वे अक्सर कई अवसरों पर कहते रहते हैं।
गहलोत अपने विधायकों को बिकाऊ नहीं टिकाऊ मानते हैं। यह उनकी कही बात से सिद्ध होता है ।
क्या गहलोत जी यह बता सकते हैं कि उनकी पार्टी में ऐसे कौन- कौन से विधायक हैं जो 35 करोड़ का प्रस्ताव रखने के बाद भी बिके नहीं
हो सकता है उनके साथ कुछ ऐसे भी विधायक हों जिन्होंने 35 करोड़ रुपये कभी अपने हाथों से गिने हों वरना तो यदि एक एक करके विधायकों का नाम लिया जाए तो अधिकांश विधायक ऐसे होंगे जिन्होंने रुपये तो क्या काग़ज़ के 35 करोड़ टुकड़े भी नहीं गिने होंगे।
राजस्थान में कांग्रेसी विधायक अमूमन मध्यमवर्ग परिवार के हैं। करोड़ों में भी नही बिकने की बात मुझे तो उनमें से किसी में नज़र नहीं आती! हां, अलबत्ता इतना ज़रूर है कि अशोक गहलोत ने उनकी कीमत 35 करोड़ तक तो पहुंचा ही दी है। आगे कभी भाजपा उन्हें खरीदने का मूड बनाएगी तो गिनती 35 करोड़ के आगे से ही शुरू करनी पड़ेगी।
ईमान की संपत्ति जो 35 करोड़ में नहीं बिकी अब 50 करोड़ में बिकने के लिए मंडी में खड़ी हो जाएगी। अभी गहलोत किसान -आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं बाद में ईमान- आंदोलन को समर्थन देंगे।
मैं यहां एक बात माननीय गहलोत जी से पूछना चाहूंगा। यदि उनके विधायक 35 करोड़ में भी नहीं बिकने वाले लोग हैं! यदि उनका ईमान इतना ही ग़ैर बिकाऊ है तो वो कौन सा डर है कि उन्हें अपने विधायकों को कड़ी निगरानी रखकर बाड़े में बंद रखना पड़ता है करवा चौथ पर महिला विधायकों से बिना पति के दर्शन करवाए व्रत करवाए जाते हैं क्यों एक जगह से दूसरी जगह बाड़े बदल दिए जाते हैं
जैसलमेर में जब गहलोत ने अपने बाड़े में कांग्रेसी विधायकों को रखा था तब सूर्य -महल को भारी सुरक्षाकर्मी लगाकर पूरी तरह सील क्यों कर दिया गया था ईमानदार विधायकों के साथ यह तो बहुत बड़ी नाइंसाफी थी! उनके चरित्र पर बहुत बड़ा सवाल था!
कांग्रेस के पास जब 35 करोड़ तक में भी नही बिकने वाले विधायक मौजूद हैं तो उन्हें फिर भाजपा से डर क्यों लगता है ख़्वाब में भी बिल्ली को छिछडे क्यों नजर आते हैं भेड़िया आया भेड़िया आया की आवाज़ें क्यों सुनाई पड़ती हैं
यहाँ मेरी एक बात और ! भाजपा काँग्रेसी विधायकों को खरीद रही थी और वे 35 करोड़ में भी बिकने को तैयार नहीं थे तब सचिन पायलट के 18 विधायक क्या कर रहे थे भाजपा उन्हें भी तो खरीदने का प्रयास कर ही रही होगी !! उनकी कीमत भी तो लगाई जा रही होंगी!! 35 करोड़ तो उनको भी दिए जा रहे होंगे!! मगर बिके तो वे भी नहीं !
इससे दो बातें तो साफ़ हुईं। एक तो ये कि विधायक चाहे सचिन पायलट के हों या गहलोत जी के दोनों ही बेहद ईमानदार हैं।दूसरी बात ये कि भाजपा ने दोनों ही के समर्थक विधायकों को खरीदना नहीं चाहा । पैंतीस करोड़ क्या 35 लाख में भी नहीं!!
अब चलिए वे नहीं बिके तो उनके लिए गहलोत और सचिन जी ने किया क्या कम से कम उनको मंत्री पद से तो नवाज़ देना चाहिए। विधायक जिन्होंने 35 करोड़ के ठोकर मार दी उन इमानदारों को खाने कमाने के लिए गहलोत जी को कुछ तो करना ही चाहिए।
यह क्या कि बूढ़े और बीमार विधायक अकेले हलवा खाते रहें और जवान विधायक दाने-दाने के लिए मोहताज़ रहें।
मैं अगर मुख्यमंत्री गहलोत जी की जगह होता तो सब ईमानदार विधायकों को मंत्री पद देकर सम्मानित करता ।दो साल तक जो मंत्री रह लिए उन्हें हटाकर आगे तीन सालों के लिए बेचारे लोगों को सुनहरे अवसर प्रदान करता ।
अजय माकन के शिकंजे में जकड़े ईमानदार विधानसभा विधायकों के भविष्य अब सम्मान के साथ बाइज्जत बरी कर दिए जाने चाहिए।
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