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December 28, 2020
इधर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा बीमार ! उधर नेहरू अस्पताल के वार्ड की छत गिरी
डॉ रघु शर्मा और अस्पताल की छत में एक समानता :दोनों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर
अनिल जैन प्लीज़ बताओ ,डी एस ऑफ़िस, तोपदड़ा स्कूल की छत क्यों नहीं गिरी? क्या अस्पताल की छत उससे ज्यादा पुरानी थी
सवाल जो चाहते हैं जवाब
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
इधर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल के एक पुराने वार्ड की छत गिरी, उधर चिकित्सा मंत्री पंडित रघु शर्मा जी की तबीयत खराब होने की खबर मिली। दोनों ख़बरों से दिल दुखी हो गया।
ईश्वर हमारे चिकित्सा मंत्री डॉ शर्मा को दीर्घायु प्रदान करे। वे राज्य के अस्पतालों की हालत सुधारते सुधारते स्वयं की हालत बिगाड़ बैठे हैं। उन्हें अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरह अपनी सेहत पर भी ध्यान देना चाहिए। मुख्यमंत्री गहलोत जी को पता है कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है इसलिए वे बिना किसी हिचकिचाहट के या तो बाड़े में बंद रहते हैं या अपने आवास में। ज़रूरत पड़ने पर वे अपने मंत्रियों और पदाधिकारियों को 2 साल की उपलब्धियां गिनवाने के लिए दौरे पर भेज देते हैं। ख़ुद दौरा पड़ने के डर से दौरे पर नहीं जाते। यह कोई बुरी बात नहीं बल्कि अच्छी बात है। जान जोखिम में डालकर राजनीति करनी भी नहीं चाहिए ।
डॉ रघु शर्मा पता नहीं क्यों अपनी सेहत का ध्यान नहीं दे पा रहे। वे मेरे पुराने मित्र हैं इसलिए उनके बारे में जब भी सोचता हूं डर लगने लगता है ।पिछले दिनों जब वे अपने पुत्र सागर शर्मा के साथ चुनावी दौरा कर रहे थे, तब भी मैं डरा हुआ था। मास्क लगाने की चिंता किए बिना वे कांग्रेस का हाथ मजबूत कर रहे थे और खुद के हाथ करोना वायरस का प्रसाद ले बैठे । उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए था । ज़िले के बहुत से राजनेता कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता से डर कर घरों में छिपे बैठे हैं।अपने लखावत जी को ही लीजिए, क्या मजाल कि घर से बाहर निकल जाएं।उनको अच्छे से पता है कि ज्यादा शान चोटाई कोरोना वायरस के सामने किसी की भी नहीं चलती।
रघु शर्मा लगता है राजनीति के अतिरिक्त उत्साह में अपना आपा खो बैठते हैं। पिछले दिनों वे निकम्मे और नकारा नेता (गहलोत जी उवाच) सचिन पायलट जी की कार में बैठकर कई कार्यक्रमों में पहुंच गए। सचिन पायलट भी कोरोना वायरस के शिकंजे में आ चुके हैं।रघु जी जो खुद भी कोरोना के शिकार होने के बाद नेगेटिव हुए हैं दोनो एक साथ हो लिए। गणित में दो नेगेटिव मिलने से परिणाम पॉजिटिव हो जाता है ।यह मैंने बचपन में पढ़ा था।
रघु शर्मा जब सचिन पायलट की कार में बैठे थे तब भी मेरा दिल कांप उठा था ।मुझे पता नहीं क्यों लग रहा था कि रघु भैया यह ठीक नहीं कर रहे। अचानक पैदा हुआ भाईचारा नुकसानदाई भी हो सकता है। दो विपरीत तरह के करंट मिलने से धमाका हो सकता है। विद्युत उपकरण फुंक सकते हैं । यह बात तो सब जानते हैं।
अब मित्र शर्मा जी बीमार हैं तो मुझे लग रहा है कि वह अपनी सेहत के प्रति गंभीर नहीं हैं।
इधर जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के वार्ड की छत गिर गई। सुबह 4 बजे शहर के इकलौते कांग्रेसी नेता राजेश टण्डन का मेरे पास फोन आया ।वार्ड की छत गिर गई है । कैजुअल्टी वार्ड में हाहाकार मच गया है। परिजन तो क्या मरीज़ भी बिस्तर छोड़ कर भाग रहे हैं। असमय फोन पर गुस्सा तो बहुत आया। अस्पताल में हुआ धमाका अस्पताल के प्रबंधन को सुनाई नहीं दिया पर राजेश टंडन ने सुन लिया! मरीज़ तक बिस्तर छोड़कर भाग लिए मगर अस्पताल प्रबंधक अनिल जैन ने अपने बिस्तर नहीं छोड़े ।
मैंने राजेश टंडन जी को कहा भाई!! ये ठीक है कि पिछले लंबे समय से आप नेहरू अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार के कई गंभीर वायरस को चुनौतियां दे रहे हैं ! जब शहर भाजपा और कांग्रेस के सभी राजनेता ज़ुबान सीं कर बैठे हैं तो आप बुढ़ापे में प्रतिरोधक क्षमता को भूलकर अस्पताल सुधारने में क्यों लगे हैं
मेरे कहने का उन पर बस इतना असर हुआ कि वह सुबह 4 बजे की जगह 6 बजे अस्पताल के वार्ड की गिरी छत देखने पहुंच गए। उनकी संवेदनशीलता पर मुझे गर्व है। चलो गब्बर सिंह को कोई तो मिला जो आंख मिलाकर इतनी बात कर सके, मगर उनके पहुंचने से हुआ क्या
गिरी हुई छत तो वापस दीवारों पर पहुंच नहीं गई! घण्टो बाद उल्टे अस्पताल के मैनेजर अनिल जैन ने कहा कि छत पुरानी और जर्जर होने के कारण गिर गई ।
उनके इस बयान से कई सवाल उठ गए ! जर्जर और पुरानी होने से यदि छत गिर जाती है तो डी एस ऑफिस की क्यों नहीं गिरी तोपदड़ा स्कूल की क्यों नहीं गिरी अकबर का किला यानी अजमेर के किले की दीवार क्यों नहीं गिरी
शहर में सैकड़ो ऐसी इमारतें हैं जो नेहरू अस्पताल की बिल्डिंग से पुरानी है। वे सब सही सलामत है, क्योंकि उनका निर्माण ईमानदार लोगों ने किया था। नेहरू अस्पताल की छतें इसलिए गिरती हैं कि कमीशनखोर अधिकारी उनको बनवाते हैं। भ्रष्ट अधिकारियों की नीयत और उनके आचरण छतों को जर्जर बना देते हैं।
यदि जांच की जाए तो कई गोखरू टाइप के लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं ।समय-समय पर रख रखाव किया जाना जरूरी होता है जो कागजों में तो होता होगा पर हकीकत में नहीं होता। जर्जर वार्डों को तुरंत गिरवा दिया जाना चाहिए जो नहीं होता। इंतजार किया जाता है कि कोई बड़ा हादसा हो ! अच्छा बजट मिले! फिर कमीशन खोरी हो और निर्माण शुरू हो जाए।
हमारे प्यारे चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा तो हमारी दुआओं से ठीक हो जाएंगे मगर ये नेहरू अस्पताल देखना किसी बड़े हादसे के बाद भी ठीक नहीं होगा
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